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कोरोना संक्रमितों की लगातार बढ़ती संख्या के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने फिर सावधान किया है कि ‘जब तक दवाई नहीं, तब तक ढिलाई नहीं

कोरोना संक्रमितों की लगातार बढ़ती संख्या के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने फिर सावधान किया है कि ‘जब तक दवाई नहीं, तब तक ढिलाई नहीं.’ बीते कई महीनों से केंद्र और राज्य सरकारें कोविड-19 की रोकथाम की कोशिश में लगी हुई हैं.

इसका नतीजा यह है कि संक्रमण से मुक्त होनेवाले लोगों की संख्या में भी बढ़ोतरी हुई है और मृत्यु दर में भी गिरावट दर्ज की जा रही है, किंतु कुछ दिनों से औसतन रोजाना 90 हजार से अधिक लोग वायरस की चपेट में आ रहे हैं तथा मरनेवालों की तादाद भी हर दिन हजार का आंकड़ा पार कर रही है.

प्रधानमंत्री मोदी पहले भी लापरवाही से बचने की सलाह दे चुके हैं. उन्होंने एक बार साफ कहा था कि जान है, तो जहान है. किसी दवा या टीका के अभाव में सफाई रखने, मास्क पहनने, शारीरिक दूरी बरतने तथा भीड़ से बचने जैसे उपाय ही बचाव का एकमात्र रास्ता हैं. भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद का तो यह कहना है कि जानकारी में आनेवाले संक्रमण के हर एक मामले के साथ 80 से 130 संक्रमण ऐसे हैं, जिनका पता नहीं चल पाता है.

मई से जून के बीच कराये गये सर्वेक्षण के आधार पर परिषद का निष्कर्ष है कि देश की कम से कम 40 फीसदी आबादी संक्रमित हो चुकी है. इस आंकड़े में ऐसे लोग भी शामिल हैं, जिनके शरीर में संक्रमण के लक्षण नहीं दिखे या मामूली रूप से बीमार हुए. यदि अमेरिका से तुलना करें, तो वहां संज्ञान में नहीं आनेवाले मामलों का अनुपात एक और दस का है.

निश्चित रूप से यह एक डरावनी स्थिति है. अगर हम इस सर्वेक्षण को किनारे भी रख दें, तब भी सामने आ रहे संक्रमण के मामलों की संख्या भी बहुत बड़ी है. सीमित संसाधनों की वजह से बड़े पैमाने पर जांच की व्यवस्था कर पाना भी संभव नहीं है.

यह संतोषजनक है कि देश के बड़े हिस्से में कोरोना का कहर या तो कम है या फिर उसका आंशिक असर है. प्रतिरोधक क्षमता बेहतर होने की वजह से बहुत से लोग संक्रमण से या तो अप्रभावित रहते हैं या फिर उन्हें मामूली शिकायत होती है. लेकिन इस मसले का एक पहलू यह भी है कि कोरोना वायरस से होनेवाली मौतों की ज्ञात संख्या वास्तविक संख्या से कम हो सकती है तथा इसे देर-सबेर ठीक करना होगा ताकि इस महामारी के असर का समुचित आकलन हो सके.

सरकारी प्रयासों और स्वास्थ्यकर्मियों की मेहनत के अच्छे परिणाम के रूप में यह आंकड़ा संतोषजनक है कि स्वस्थ होनेवाले लोगों की दर अब 77.7 फीसदी हो गयी है. मृत्यु दर अब 1.66 फीसदी हो चुकी है. ठीक होनेवाले सबसे अधिक लोग महाराष्ट्र, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और उत्तर प्रदेश से हैं. ये राज्य सबसे अधिक संक्रमित भी हैं. सो, सुधार से उम्मीदें बढ़ी हैं. अब जब बहुत सी गतिविधियां शुरू हो चुकी हैं, तो हमें अतिरिक्त सावधानी बरतने की जरूरत है.

posted by : sameer oraon

Prabhat Khabar Digital Desk
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