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झारखंड सरकार गंभीर नहीं, गलत जानकारी देते हैं अफसर : अन्नपूर्णा देवी

प्रभात खबर संवाद कार्यक्रम में केंद्रीय शिक्षा राज्य मंत्री अन्नपूर्णा देवी ने कई मुद्दों पर अपनी बात रखी. उन्होंने केंद्र व झारखंड सरकार में समन्वय की कमी पर अफसोस जताया और इसके लिए राज्य सरकार के अफसरों को दोषी ठहराया.

Prabhat khabar Samvad: शनिवार को केंद्रीय शिक्षा राज्य मंत्री अन्नपूर्णा देवी प्रभात खबर संवाद कार्यक्रम में पहुंचीं. उन्होंने कई मुद्दों पर अपनी बात रखी. उन्होंने केंद्र व झारखंड सरकार में समन्वय की कमी पर अफसोस जताया और इसके लिए राज्य सरकार के अफसरों को दोषी ठहराया. इडी व सीबीआइ जैसी संस्थाओं के दुरुपयोग का आरोप विपक्षी दल लगाते रहे हैं, इस मामले में उन्होंने कहा कि अगर आरोप लगानेवाले पाक-साफ हैं, तो उन्हें डरने की क्या जरूरत है? लेकिन सच यह है कि जांच एजेंसियां जहां भी हाथ डाल रही हैं, वहां से भ्रष्टाचार के पुख्ता सबूत मिल रहे हैं. केंद्रीय मंत्री ने राज्य के मुख्यमंत्री पर सवाल उठाते हुए कहा कि लोगों की उम्मीदों पर राज्य की हेमंत सरकार पानी फेर रही है.

मंत्री अन्नपूर्णा देवी ने कहा कि झारखंड सरकार लोगों की अपेक्षाओं को पूरा नहीं कर पा रही है. इडी और सीबीआइ के दुरुपयोग की बात करनेवालों को यह भी सोचना चाहिए कि जांच एजेंसियां कहीं से खाली हाथ क्यों नहीं लौट रही हैं? जांच एजेंसियां जहां भी पहुंच रही हैं, वह जगह आकंठ भ्रष्टाचार में डूबी मिलती है. मुख्यमंत्री के आसपास के लोग, उनके विश्वसनीय बड़े अफसर भ्रष्टाचार के दलदल में फंसे हैं. उनके कई करीबी लोग और अफसर जेल में बंद हैं. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन केवल अपने व अपने परिवार की ही जिम्मेदारी लेते हैं. राज्य के प्रति वह कोई जवाबदेही नहीं लेते हैं. रूपा तिर्की मामले में वह आज तक न्याय नहीं दिला सके. उनके इलाके में बेटियों पर तेजाब डाल टुकड़े-टुकड़े कर फेंक दिया जाता है. राज्य में खनिज-संपदा की लूट हो रही है. असल में लोगों के विश्वास पर हेमंत सरकार फेल है. नौकरी और बेरोजगार भत्ता देना तो दूर, यह सरकार ने स्थानीय नीति तक नहीं बना सकी है. विरोध जताने वालों को लाठी से पीटा जाता है. सरकार मानदेय के लिए कर्मचारियों को इधर-उधर भटकने पर मजबूर करती है.

समन्वय की कमी

शिक्षा राज्यमंत्री रहते हुए पिछले दो वर्षों में मैंने केंद्र और राज्य सरकार के बीच समन्वय की कमी महसूस की है. राज्यों के साथ समन्वय बनाने के लिए केंद्र सरकार की ओर से अलग से अधिकारी नियुक्त किये गये हैं. राज्य को अगर किसी योजना या कार्य को लेकर किसी प्रकार की परेशानी हो रही है, तो वे उनसे संपर्क कर सकते हैं, लेकिन ऐसा नहीं होता है.

झारखंड सरकार गंभीर नहीं लगती. पिछले वर्ष अक्तूबर में झारखंड के शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने बताया गया कि झारखंड में शिक्षकों के 80 हजार पद रिक्त हैं. समाचार पत्रों में यह खबर प्रकाशित होने पर शीर्ष पदों पर बैठे लोगों ने फोन कर पूछा कि केंद्र को यह आंकड़े कहां से मिले? यह इस बात को दर्शाता है कि राज्य के अधिकारी शीर्ष पदों पर बैठे लोगों को भी सही जानकारी नहीं देते हैं. ये आंकड़े झारखंड सरकार के ही थे, दो समीक्षा बैठक में दिये गये थे.

गंभीरता नहीं दिखती

एक मंत्री के रूप में महसूस करती हूं कि भारत सरकार से सहायता हासिल करने के लिए राज्य तत्परता नहीं दिखाता. केंद्र को सही तरीके से जानकारी नहीं दी जाती है. राज्य के अधिकारी वह गंभीरता नहीं दिखाते, जो दिखायी जानी चाहिए. किसी भी मामले को लेकर समय सीमा की पालन अफसर नहीं करते हैं. पिछली समीक्षा बैठक तक की रिपोर्ट केंद्र को अब तक नहीं दी गयी है. यह स्पष्ट तौर पर कहा जा सकता है कि दूसरे राज्य शिक्षा को जिस गंभीरता से लिया जाता है, वह झारखंड में नहीं दिखता. प्राथमिक स्तर से शिक्षा व्यवस्था को बेहतर किये बिना आगे नहीं बढ़ा जा सकता है.

पारा शिक्षकों व रसोइयों के मानदेय को लेकर राज्य सरकार देती है गलत जानकारी

पारा शिक्षकों व रसोइयों के मानदेय को लेकर राज्य सरकार द्वारा गलत जानकारी दी जाती है. केंद्र मानदेय कह कर कोई राशि नहीं देती है, बल्कि राज्यों को सहयोग राशि दी जाती है. झारखंड में शिक्षकों के 80 हजार पद रिक्त हैं. सरकार इन पदों को भर नहीं रही है. राज्य को इन पदों पर नियुक्ति करनी चाहिए. केंद्र द्वारा राज्य को नियुक्ति के लिए कहा भी गया है. इन पदों की वित्तीय भार का जिम्मा राज्य सरकार का है. इन पदोें के अतिरिक्त जो आवश्यकता है, उसके लिए केंद्र सहयोग करेगी. राज्य सरकार अपनी नाकामी छिपने के लिए केंद्र पर राशि नहीं देने का आरोप लगाती है.

Prabhat Khabar News Desk
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यह प्रभात खबर का न्यूज डेस्क है। इसमें बिहार-झारखंड-ओडिशा-दिल्‍ली समेत प्रभात खबर के विशाल ग्राउंड नेटवर्क के रिपोर्ट्स के जरिए भेजी खबरों का प्रकाशन होता है।

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