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झारखंड के तीरंदाजी कोच धर्मेंद्र तिवारी को द्रोणाचार्य पुरस्कार

रांची : झारखंड के तीरंदाजी कोच धर्मेंद्र तिवारी प्रतिष्ठित द्रोणाचार्य पुरस्कार से नवाजे जायेंगे. ये टाटा आर्चरी अकादमी के मुख्य कोच हैं. द्रोणाचार्य पुरस्कार प्रशिक्षकों के लिए सबसे बड़ा सम्मान है. इस सम्मान की घोषणा के साथ ही झारखंड के खेलप्रेमियों में खुशी की लहर है.

रांची : झारखंड के तीरंदाजी कोच धर्मेंद्र तिवारी प्रतिष्ठित द्रोणाचार्य पुरस्कार से नवाजे जायेंगे. ये टाटा आर्चरी अकादमी के मुख्य कोच हैं. द्रोणाचार्य पुरस्कार प्रशिक्षकों के लिए सबसे बड़ा सम्मान है. इस सम्मान की घोषणा के साथ ही झारखंड के खेलप्रेमियों में खुशी की लहर है.

खेल प्रशिक्षकों का सबसे बड़ा सम्मान द्रोणाचार्य पुरस्कार झारखंड के तीरंदाजी कोच धर्मेंद्र तिवारी को दिया जायेगा. राष्ट्रीय खेल पुरस्कारों के लिए बनी कमेटी द्वारा इनके नाम की घोषणा कर दी गयी है. इनके नाम की घोषणा के साथ ही झारखंड के खेलप्रेमियों में खुशी की लहर है.

धर्मेंद्र तिवारी बिहार के सीवान जिले के रहनेवाले हैं, लेकिन लंबे समय से इनका परिवार जमशेदपुर में रह रहा है. तीरंदाजी कोच धर्मेंद्र तिवारी 1996 से टाटा आर्चरी अकादमी में कोच के रूप में कार्यरत हैं. फिलहाल वे मुख्य कोच हैं. धर्मेंद्र तिवारी के खाते में कई उपलब्धियां रही हैं. बतौर खिलाड़ी भी उन्होंने कई पद जीते हैं और राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बनायी है.

तीरंदाजी खेल की दुनिया में 80 व 90 के दशक की बात की जाये, तो राष्ट्रीय स्तर पर एक खिलाड़ी के रूप में इन्होंने अपनी पहचान बनायी थी. धर्मेंद्र तिवारी इस दौरान रिकर्व व इंडियन स्पर्द्धा में राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बना चुके थे. 87-88 में जूनियर नेशनल के दौरान इन्होंने 3 स्वर्ण पदक जीते थे.

तीरंदाजी की बात हो, तो सबसे पहले जुबां पर टाटा आर्चरी अकादमी का नाम आता है. ये उपलब्धि यूं ही हासिल नहीं हुई. इसके पीछे कड़ी मेहनत और कुशल मार्गदर्शन है. अब तक तीन प्रशिक्षकों को द्रोणाचार्य अवार्ड मिला है. काफी गर्व की बात है कि तीनों प्रशिक्षक टाटा आर्चरी अकादमी के ही रहे हैं. धर्मेंद्र तिवारी से पहले दो प्रशिक्षकों को यह अवार्ड मिल चुका है. झारखंड के तीसरे तीरंदाजी प्रशिक्षक हैं धर्मेंद्र तिवारी, जिन्हें द्रोणाचार्य पुरस्कार दिया जायेगा.

धर्मेंद्र तिवारी से पहले दो और तीरंदाजी प्रशिक्षकों को द्रोणाचार्य अवार्ड मिल चुका है. वर्ष 2007 में संजीवा कुमार सिंह को द्रोणाचार्य अवार्ड मिल चुका है. वर्ष 2013 में पूर्णिमा महतो यह सम्मान पा चुकी हैं और वर्ष 2019 के लिए धर्मेंद्र तिवारी का चयन हुआ है. सिर्फ टाटा आर्चरी एकेडमी में ही तीन प्रशिक्षकों को यह सम्मान मिला है. फिलहाल धर्मेंद्र तिवारी के नाम की घोषणा की गयी है.

जमशेदपुर के टाटा आर्चरी अकादमी के तीरंदाजी कोच धर्मेंद्र तिवारी कई खिलाड़ियों का कुशल मार्गदर्शन कर चुके हैं. रांची की बिटिया दीपिका ने इन्हीं के मार्गदर्शन में ओलंपिक का सफर तय किया. दीपिका अकेली नहीं हैं. इनके अलावा डोला बनर्जी, लक्ष्मी रानी मांझी, रीना कुमारी, बी परिणीता, जयंत तालुकदार व अतनु ओलंपिक तक का सफर तय कर चुके हैं.

टाटा स्टील के तीरंदाजी कोच धर्मेंद्र तिवारी का नाम भारत की सबसे प्रतिष्ठित गुरु सम्मान द्रोणाचार्य आवार्ड के लिए चुना गया है. पिछले 26 वर्षों से तीरंदाजी कोचिंग के क्षेत्र में अपना महत्वपूर्ण योगदान देने वाले धमेंद्र तिवारी अभी तक 250 से अधिक तीरंदाजों को ट्रेनिंग दे चुके हैं. भारत सरकार द्वारा यह पुरस्कार 29 अगस्त को दिया जायेगा. इसमें पांच लाख रुपये का नकद पुरस्कार व ट्रॉफी दी जाती है.

धर्मेंद्र के सान्निध्य में तीरंदाजी का गुर सीखने वाले तीरंदाजों की फेहरिस्त काफी लंबी है. 1993 से कोचिंग के क्षेत्र में कदम करखने वाले धमेंद्र तिवारी 250 से भी अधिक खिलाड़ियों को ट्रेंड कर चुके हैं. जयंत तालुकदार, राहुल बनर्जी, रीना कुमारी, वी प्रणिता, दीपिका कुमारी, अतनू दास, बूलबूल मरांडी, चक्रवोलू जैसे दिग्गज तीरंदाज धर्मेंद्र तिवारी के ही शार्गिद है. ये सभी तीरंदाजों ने भारत के लिए पदक हासिल किये हैं. भारतीय तीरंदाजी में धर्मेंद्र की गिनती सबसे अनुभवी कोच के रूप में की जाती है. नये-पुराने खिलाड़ियों ने धर्मेंद्र के चयन का स्वागत किया है.

Posted By : Guru Swarup Mishra

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