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कोल परियोजना की गठित उच्च स्तरीय समिति की बैठक में शामिल नहीं हो रही विधायक अंबा प्रसाद

कोल परियोजना की समस्याओं के समाधान के लिए गठित उच्च स्तरीय समिति की बैठक में बड़गांव विधायक अंबा प्रसाद शामिल नहीं हो रही

रांची : एनटीपीसी की पकरी बरवाडीह कोल परियोजना की समस्याओं के समाधान के लिए गठित उच्च स्तरीय समिति की बैठक में बड़गांव विधायक अंबा प्रसाद शामिल नहीं हुई. हालांकि समस्या के समाधान के नाम पर आंदोलन कर परियोजना का कामकाज विधायक ने ही ठप कराया था.परियोजना का कामकाज बंद होने से पैदा हुई परेशानियों के देखते हुए एनटीपीसी के अधिकारियों ने अक्तूबर में मुख्यमंत्री से मुलाकात की थी.

इसके बाद मुख्यमंत्री ने लोगों की मांग और व अन्य समस्याओं के समाधान के लिए एक उच्च स्तरीय समिति का गठन किया था. प्रमंडलीय आयुक्त की अध्यक्षता में गठित इस समिति में बड़कागांव विधायक, हजारीबाग के उपायुक्त और एनटीपीसी के अधिकारियों को सदस्य के रूप में शामिल किया गया था. इस समिति ने सबसे पहले उपायुक्त और एनटीपीसी के बिना ही अपनी रिपोर्ट राज्य सरकार को भेज दी.

इस रिपोर्ट पर समिति के अध्यक्ष और विधायक का हस्ताक्षर था. समिति द्वारा भेजी गयी इस रिपोर्ट में समस्या के समाधान और सुझावों के बदले परियोजना के सिलसिले में सरकार द्वारा जारी विभिन्न आदेशों और संकल्पों पर ही आपत्ति की गयी थी. इस बात के मद्देनजर सरकार ने इस रिपोर्ट को खारिज कर दिया था. साथ ही यह टिप्पणी भी की थी कि समिति ने अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर जा कर काम किया है.

रिपोर्ट खारिज किये जाने के बाद सरकार ने समिति को सभी पक्षों के सुनने के बाद अपनी रिपोर्ट देने का निर्देश दिया था. सरकार के इस निर्देश के बाद समिति की बैठक 11 नवंबर और 18 नवंबर को आयोजित की गयी. बैठक में शामिल होने के लिए विधायक को सूचना भेजी गयी. लेकिन वह बैठक में शामिल नहीं हुई.

विधायक द्वारा बैठक में शामिल नहीं होने की वजह समिति किसी भी मुद्दे पर किसी नतीजे पर नहीं पहुंच सकी. इसके बाद सरकार ने अपने स्तर पर मामले में हस्तक्षेप किया और जमीन के मुआवजे में पांच लाख रुपये की वृद्धि पर सहमति बनने के बाद पकरी बरवाडीह कोल परियोजना को शुरू कराया. जमीन के लिए मुआवजा राशि बढ़ाये जाने का यह चौथा मौका है.

सबसे पहले आठ लाख रुपये प्रति एकड़ की दर से मुआवजा राशि निर्धारित की गयी थी. 23 अगस्त 2009 को इसे बढ़ा कर 10 लाख रुपये प्रति एकड़ किया गया. दूसरी बार फरवरी 2013 में इसे 10 लाख से बढ़ा कर 15 लाख रुपये प्रति एकड़ किया गया. इसके बाद मार्च 2015 में इसे संशोधित करते हुए 20 लाख रुपये प्रति एकड़ किया गया. चौथी बार नवंबर 2020 में इसे बढ़ा कर 25 लाख रुपये किया गया.

posted by : sameer oraon

Prabhat Khabar News Desk
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