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No Kings Protest : क्या है ‘नो किंग्स प्रोटेस्ट’, जिसकी आग में जल सकते हैं अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप?

No Kings Protest : अमेरिका में कोई राजा नहीं, कोई राजा नहीं, कोई राजा नहीं! न्यूयॉर्क के टाइम्स स्क्वायर पर जुटी हजारों लोगों की भीड़ यह नारा लगा रही थी और अमेरिका के उस राष्ट्रपति को सचेत कर रही थी, जिनकी शक्तियां पिछले कुछ महीनों से काफी निरंकुश होती जा रही है. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की नीतियों से वैश्विक स्तर पर तो चिंता है ही, उनके अपने देश में भी लोग उन्हें अमेरिका के लिए अच्छा नहीं मान रहे हैं. सबसे बड़ी बात यह प्रदर्शन पूरी तरह शांतिपूर्ण था.

No Kings Protest : 18 अक्टूबर को अमेरिका के कई बड़े शहरों जिसमें वाशिंगटन, न्यूयार्क और बोस्टन जैसे शहर भी शामिल हैं, वहां 2000 से अधिक रैलियां आयोजित की गईं और राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की नीतियों के खिलाफ शांतिपूर्ण प्रदर्शन हुआ. द गार्जियन की रिपोर्ट के अनुसार ट्रंप की निरंकुश प्रवृत्ति और नीतियों के ख़िलाफ़ प्रदर्शन के लिए लोग एकत्रित हुए. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के दूसरे कार्यकाल में उनकी कई नीतियों के खिलाफ जून से ही आम अमेरिकी सड़कों पर उतर रहे हैं और ट्रंप को यह बताना चाह रहे हैं कि अमेरिका में ‘किंग्स’ जैसी नीतियां नहीं चलेंगी, जहां सारी शक्ति एक ही आदमी के हाथों में केंद्रित होती है.

क्या है ‘नो किंग्स प्रोटेस्ट’ (No Kings Protest) ?

अमेरिका में नो किंग्स प्रोटेस्ट की शुरुआत जून महीने में ही हो गई थी, जब अमेरिका के कुछ शहरों में ट्रंप की नीतियों के खिलाफ जनता सड़कों पर उतरी और अपने प्रदर्शन के जरिए उन्हें यह बताया कि निरंकुश नीतियां अमेरिका में नहीं चलेगी. रॉयटर्स के अनुसार एक प्रदर्शनकारी ने कहा कि वे लोकतंत्र और सही के लिए लड़ने के लिए प्रदर्शन में शामिल हैं. वे सत्ता के आक्रमण को कतई बर्दाश्त नहीं करेंगे, क्योंकि निरंकुश सत्ता अमेरिका की लोकतांत्रिक परंपरा के खिलाफ है. नो किंग्स प्रोटेस्ट में ‘किंग्स’ (Kings) शब्द एक प्रतीक है, जो यह बताना चाहता है कि अमेरिका में ‘राजा’ नहीं होना चाहिए, कहने का अर्थ यह है कि एक व्यक्ति असीम शक्ति नहीं रख सकता. हालांकि नो किंग्स प्रोटेस्ट के शुरू होने के बाद ट्रंप ने फॉक्स बिजनेस को दिए इंटरव्यू में यह कहा कि वे मुझे राजा कह रहे हैं, लेकिन मैं राजा नहीं हूं. रॉयटर्स के अनुसार, इस प्रदर्शन को कई नेताओं का समर्थन प्राप्त है, जिनमें सीनेटर बर्नी सैंडर्स और अलेक्जेंड्रिया ओकासियो-कोर्टेज भी शामिल हैं. प्रोटेस्ट के आयोजकों का कहना है कि वे अपने देश में लोकतंत्र की रक्षा करना चाहते हैं और वे ट्रंप की कार्यकारी शक्ति के विस्तार का विरोध कर रहे हैं, जिसके जरिए वे खुद को निरंकुश बनाते जा रहे हैं.

आखिर अमेरिका में ‘नो किंग्स प्रोटेस्ट’ की जरूरत क्यों पड़ी?

No Kings Protest In Us
अमेरिका में नो किंग्स प्रोटेस्ट

डोनाल्ड ट्रंप ने जबसे से अपना दूसरा कार्यकाल शुरू किया है, अमेरिका फर्स्ट की बात करके वे कई ऐसी नीतियों को लागू कर कर रहे हैं, जिससे आम आदमी परेशान हो रहा है. ट्रंप की टैरिफ नीति, प्रवासी नीति सहित कई अन्य नीतियों की वजह से अमेरिकी प्रभावित है और उन्हें यह लग रहा है कि एक लोकतांत्रिक देश राजशाही जैसा व्यवहार कर रहा है. राष्ट्रपति ट्रंप के अधिकार अत्यधिक केंद्रीकृत हो रहे हैं. ट्रंप की नीतियों की वजह से कार्यपालिका, व्यवस्थापिका और न्यायपालिका के बीच जो संतुलन है, वह बिगड़ है, इसलिए जनता प्रशासन में बैठे लोगों को उनकी जिम्मेदारियां याद दिलाना चाहती है. ट्रंप ने शरणार्थी नीति में कठोरता लाया, अल्पसंख्यकों और LGBTQ+ और महिलाओं के अधिकारों पर भी ऐसे निर्णय लिए जो ट्रंप को तानाशाह बनाते हैं. प्रदर्शनकारियों ने वन बिग ब्यूटीफुल बिल एक्ट का भी विरोट किया, जो करों से संबंधित है. भीड़ ने ट्रंप के विरोध में नारे वन बिग ब्यूटीफुल बिल एक्ट क्या है? भीड़ ने ट्रंप के विरोध में नारे लगाए और अमेरिकी झंडे लहराए.

‘नो किंग्स प्रोटेस्ट’ का उद्देश्य क्या है?

नो किंग्स प्रोटेस्ट के जरिए अमेरिकी जनता अपने राष्ट्रपति को यह बता चाह रही है कि अमेरिका में एक राजा की जरूरत नहीं है, लोकतंत्र वहां की आत्मा है.

वन बिग ब्यूटीफुल बिल एक्ट क्या है?

वन बिग ब्यूटीफुल बिल एक्ट 4 जुलाई, 2025 को लागू हुआ, यह एक सेंट्रल कानून है, जिसमें कर और व्यय नीतियां शामिल हैं.

थर्ड जेंडर को लेकर ट्रंप ने क्या नीतियां बनाई हैं?

ट्रंप ने थर्ड जेंडर की मान्यता खत्म कर दी है और कहा है कि देश में केवल दो जेंडर होंगे, औरत और मर्द. थर्ड जेंडर की मान्यता समाप्त कर दी गई है.

एच1बी वीजा की फीस ट्रंप ने क्यों बढ़ाई?

ट्रंप का मानना है कि वे अमेरिका फर्स्ट की नीति पर भरोसा करते हैं और एच1बी वीजा की वजह से अमेरिकियों का हित मारा जा रहा है.

Rajneesh Anand
Rajneesh Anand
इलाहाबाद विश्वविद्यालय से स्नातक. प्रिंट एवं डिजिटल मीडिया में 20 वर्षों से अधिक का अनुभव. राजनीति,सामाजिक मुद्दे, इतिहास, खेल और महिला संबंधी विषयों पर गहन लेखन किया है. तथ्यपरक रिपोर्टिंग और विश्लेषणात्मक लेखन में रुचि. IM4Change, झारखंड सरकार तथा सेव द चिल्ड्रन के फेलो के रूप में कार्य किया है. पत्रकारिता के प्रति जुनून है.

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