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Third World Countries : अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने तीसरी दुनिया के देशों से माइग्रेशन रोकने की धमकी दी है. उन्होंने यह कहा है कि वे तीसरी दुनिया के देशों से माइग्रेशन रोकने की योजना बना रहे हैं, ताकि अमेरिका में सिस्टम अच्छे से काम करे. उन्होंने यह भी कहा कि अमेरिका में वैसे लोगों को रहने की इजाजत नहीं हो सकती है जो वहां की सभ्यता संस्कृति और नियमों से मेल नहीं खाते हों. ट्रंप ने कहा कि ऐसे लोगों को वापस उनके देश भेजा जाएगा.
अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने यह बयान व्हाइट हाउस के पास हुई गोलीबारी के बाद दी है, जिसमें एक अफगानिस्तान के नागरिक ने दो नेशनल गार्ड को गोली मार दी थी, जिसमें एक मौत हो गई और दूसरा गंभीर रूप से घायल था. गौर करने वाली बात यह है कि ट्रंप ने तीसरी दुनिया शब्द का संबोधन किया है, लेकिन किसी खास देश का नाम नहीं लिया है. ऐसे में यह सवाल लाजिमी है कि आखिर डोनाल्ड ट्रंप किसे टारगेट कर रहे हैं और तीसरी दुनिया का अर्थ क्या है?
क्या है तीसरी दुनिया?
तीसरी दुनिया या थर्ड वर्ल्ड कंट्री वैसे देशों को कहा जाता है, जो विकासशील और कम विकसित देश हैं. ऐसे देशों में अधिकतर देश वो थे जो उपनिवेशवाद के शिकार रहे और सैकड़ों वर्षों तक गुलाम रहे. थर्ड वर्ल्ड कंट्री टर्म कोल्ड वार के वक्त उन देशों के लिए भी इस्तेमाल हुआ जो ना तो अमेरिका के साथ थे और ना ही रूस के साथ. हालांकि यह कोई भौगोलिक विभाजन नहीं था. समय के साथ यह वर्गीकरण समाप्त होता गया और आज के संदर्भ में थर्ड वर्ल्ड टर्म गरीब और विकासशील देशों के लिए प्रयुक्त होने लगा.
थर्ड वर्ल्ड में कौन से देश हैं शामिल?

विश्व के मानचित्र पर देखें तो थर्ड वर्ल्ड वैसे देश हैं, जो उपनिवेशवाद के शिकार रहे और कम विकसित हैं. प्रसिद्ध अर्थशास्त्री डॉ हरिश्वर दयाल बताते हैं कि तीसरी दुनिया में वैसे देश शामिल हैं, जो पिछड़े हैं, जहां गरीबी है और जो विकासशील हैं. इन देशों ने गुलामी झेली है और पहली और दूसरी दुनिया के लोगों ने इन देशों के संसाधनों का भरपूर दोहन भी किया है. अफ्रीका, लैटिन अमेरिका और एशिया के कई देश इस सूची में आते हैं.
थर्ड वर्ल्ड और पहली और दूसरी दुनिया का संबंध क्या है?
पहली और दूसरी दुनिया में विकसित देश आते हैं जहां औद्योगीकरण ज्यादा हुआ था और विकास भी. ऐसे देशों का नेतृत्व अमेरिका और रूस जैसे देश करते थे. डॉ हरिश्वर दयाल कहते हैं कि तीसरी दुनिया के लोग रोजगार और बेहतर जीवन के लिए पहली और दूसरी दुनिया का रुख करते हैं. इसकी वजह यह है कि यहां रोजगार और बेहतर जीवन के अवसर ज्यादा हैं. विकासशील देशों में इसकी कमी है. साथ ही इन देशों में जनसंख्या में काफी बढ़ी है क्योंकि मृत्युदर कम हुआ है, इसकी वजह से यहां वर्किंग एज के लोगों की आबादी बहुत अधिक है, काम की कमी की वजह से ये लोग विकसित देशों का रुख करते हैं.
डॉ हरिश्वर दयाल बताते हैं कि वहीं विकसित देशों में इनकम अधिक होने की वजह से फैमिली छोटी रखते हैं. जन्मदर यहां बहुत कम है, ऐसे में वे लेबर और अन्य रिसोर्स पर्सन के लिए तीसरी दुनिया के लोगों पर ही निर्भर हैं. हां, यह सही है कि लीगल तरीके से तीसरी दुनिया के लोग अगर विकसित देशों का रुख करें, तो खर्च बहुत ज्यादा आएगा, इसलिए वे डंकी रूट का सहारा लेते हैं और फिर विकसित देशों में जाकर छोटे-बड़े काम करते हैं और वहां खप जाते हैं.
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क्या भारत तीसरी दुनिया का हिस्सा है?
भारत इस कोशिश में है कि वह जल्दी ही खुद को 5 ट्रिलियन की अर्थव्यवस्था बना लें, इस लिहाज से भारत विश्व की पांच सबसे मजबूत अर्थव्यवस्था का हिस्सा है. तीसरी दुनिया की जो परिभाषा है उसपर अगर गौर किया जाए, तो वर्तमान में भारत की जो अर्थव्यवस्था है, वह उससे मेल नहीं खाती है. ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि क्या भारत तीसरी दुनिया का हिस्सा है या नहीं? चूंकि भारत एक विकासशील देश है इसलिए हमेशा से भारत को तीसरी दुनिया का हिस्सा माना गया. इस संबंध में डॉ हरिश्वर दयाल कहते हैं कि निश्चित तौर पर भारत तीसरी दुनिया का हिस्सा है, क्योंकि आज भी हमारे देश में गरीबी है और हम विकासशील देश हैं. हां, यह बात जरूर है कि हम अच्छे तरीके से विकास कर रहे हैं और हमारे विकास की गति बहुत अच्छी है. हमारे जो दावे हैं, उसे देखते हुए यह कहा जा सकता है कि निकट भविष्य में हम विकसित देश बन जाएं, लेकिन फिलवक्त हम विकासशील देश ही हैं.
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