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क्या शशि थरूर से पीछा छुड़ाना चाहती है कांग्रेस पार्टी, बार-बार सामने आ रहे विवाद के पीछे कौन हैं मास्टरमाइंड?

Shashi Tharoor : शशि थरूर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हैं, लेकिन इन दिनों उनकी चर्चा इस बात को लेकर ज्यादा हो रही है कि वे मोदी सरकार की प्रशंसा कर रहे हैं और कांग्रेस पार्टी की नीतियों के खिलाफ जा रहे हैं. कांग्रेस में जारी घमासान का फायदा मोदी सरकार को हो रहा है और विपक्ष कमजोर हो रहा है. कयास यह भी लगाए जा रहे हैं शशि थरूर पार्टी छोड़ सकते हैं. हालांकि थरूर ने अपने विरोधियों पर तीखा हमला किया है और अपने बयान पर स्पष्टीकरण भी दे दिया है, जो उनकी स्थिति को स्पष्ट करता है. थरूर ने कांग्रेस में अपने विरोधियों के लिए zealots शब्द का प्रयोग किया है, जिसका अर्थ होता है उग्रपंथी. उन्होंने अपना स्पष्टीकरण देते हुए यह कहा है कि मेरे पास करने के लिए बहुत काम हैं.

Shashi Tharoor : कांग्रेस के वरिष्ठ और काबिल नेता शशि थरूर एक बार फिर चर्चा में हैं. एलओसी को लेकर दिए गए उनके बयान पर कांग्रेस में ही विवाद खड़ा हो गया है. पार्टी के नेता उदित राज ने उनपर यह आरोप लगाया है कि वे पार्टी की छवि को नुकसान पहुंचा रहे हैं. उदित राज ने शशि थरूर के निलंबन की भी मांग की है. गौर करने वाली बात यह है कि उदित राज के बयान से पवन खेड़ा और जयराम रमेश भी सहमत से नजर आ रहे हैं. पिछले कुछ दिनों से शशि थरूर और कांग्रेस पार्टी के बीच सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है और जिस तरह शशि थरूर, पवन खेड़ा और जयराम रमेश ने एक्स पर पोस्ट किया है, वह इस बात की पुष्टि करते हैं.

क्या शशि थरूर ने पार्टी विरोधी बयानबाजी की है?

शशि थरूर अभी एक डेलिगेशन का नेतृत्व करते हुए अमेरिका और अन्य देशों की यात्रा पर हैं. वहां वे ऑपरेशन सिंदूर और आतंकवाद के खिलाफ भारत का पक्ष रख रहे हैं. इसी क्रम में उन्होंने यह कहा कि 2016 में भारत ने पहली बार एलओसी पार कर आतंकवादी ठिकानों पर हमला किया. उनके इस बयान से कांग्रेस में विवाद शुरू हो गया और कहा यह जा रहा है कि वे कांग्रेस के इतिहास को धूमिल करना चाहते हैं. पवन खेड़ा ने उनकी ही किताब से कुछ अंश सोशल मीडिया में पोस्ट किया है, जिसमें उन्होंने पीएम मोदी की नीतियों की आलोचना की है और यह कहा है कि वे हर आतंकवादी घटना के बाद बातचीत बंद कर सर्जिकल स्ट्राइक करते हैं. लेकिन अभी उन्होंने पनामा में जो कुछ कहा वह किताब की बातों से मेल नहीं खाता है. इस मसले पर प्रभात खबर से बात करते हुए वरिष्ठ पत्रकार रशीद किदवई ने कहा कि शशि थरूर ने अपने बयान में ऐसी कोई बात नहीं कही है जिसे पार्टी विरोधी करार दिया जाए. हां, उनसे एक चूक कल हुई थी लेकिन आज उन्होंने अपने पोस्ट से उसे सुधार लिया है, इसलिए यह कहना कि शशि थरूर का बयान पार्टी विरोधी है, किसी भी एंगल से सही नहीं है. उन्हें अगर पार्टी कारण बताओ नोटिस जारी भी करती है तो उसका आधार क्या होगा? उन्होंने कुछ भी ऐसा नहीं कहा है जिसपर उनके खिलाफ कार्रवाई की जाए. शशि थरूर ने अपने कोलंबिया रवाना होने से पहले यह बताया कि मैंने एलओसी को लेकर जो कुछ कहा, वह हाल के दिनों की बात पर कहा, इसका पुराने युद्धों से कोई संबंध नहीं है.

क्या कांग्रेस के अंदर शशि थरूर के खिलाफ हो रही है साजिश

कांग्रेस पार्टी के अंदर कुछ ऐसे लोग हैं, जो शशि थरूर को पसंद नहीं करते. खासकर केरल की राजनीति को लेकर उनकी जो सोच और डिमांड है, उसे दरकिनार करने की कोशिश की जा रही है. राहुल गांधी के करीबी और केरल कांग्रेस के वरिष्ठ नेता केसी वेणुगोपाल केरल में शशि थरूर की बढ़ती लोकप्रियता से खुश नहीं हैं. शशि थरूर ने स्पष्ट तौर पर कुछ कहा नहीं है, लेकिन वे केरल के मुख्यमंत्री पद के दावेदार हैं,इस बात को भी केसी वेणुगोपाल पसंद नहीं करते हैं. शशि थरूर को लेकर कांग्रेस पार्टी में जो कुछ चल रहा है उसके पीछे केसी वेणुगोपाल की महत्वकांक्षा भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है. रशीद किदवई बताते हैं कि शशि थरूर के खिलाफ जो लोग मोर्चा खोलकर बैठे हैं, उसकी वजह कांग्रेस पार्टी की नीतियां महत्वपूर्ण नहीं हैं, बल्कि उनकी महत्वकांक्षा जरूरी है और इसी वजह से शशि थरूर को घेरा जा रहा है.

क्या शशि थरूर से कांग्रेस पार्टी को खतरा है?

Sonia Gandhi And Shashi Tharoor
सोनिया गांधी और शशि थरूर

पिछले कुछ समय से शशि थरूर ने ना सिर्फ प्रधानमंत्री मोदी की तारीफ की है, बल्कि उनकी कुछ नीतियों की भी तारीफ की है. इसी वजह से लगातार यह कहा जा रहा है कि शशि थरूर कांग्रेस पार्टी के लिए खतरा हैं. उदित राज, पवन खेड़ा और जयराम रमेश जैसे नेता उन्हें सवालों के घेरे में ला रहे हैं. इस बारे में बात करते हुए रशीद किदवई कहते हैं कि पिछले कुछ दिनों से जिस तरह की बयानबाजी हुई है, उससे यह तो साफ है कि पार्टी और थरूर के बीच एक खाई बन रही है. इस खाई को सिर्फ और सिर्फ सोनिया गांधी ही भर सकती हैं क्योंकि उन्होंने ही शशि थरूर को राजनीति में लाया था और वे सांसद हैं. लेकिन इस पूरे प्रकरण में राहुल यह चाहते हैं कि खरगे, शशि थरूर से बात करें और इस समस्या का हल निकालें. लेकिन खरगे यह चाहते हैं कि गांधी परिवार इसका हल निकाले. 2023 में शशि थरूर ने कांग्रेस अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ा था, लेकिन वे हार गए थे. इस परिस्थिति में यह विचार भी लोगों के मन में है कि अगर शशि थरूर उस वक्त अध्यक्ष चुन लिए गए होते और जिस तरह वे मोदी की नीतियों से सहमत हो रहे हैं, वो कांग्रेस पार्टी के अस्तित्व पर सवाल खड़े कर देता. यह स्थिति कांग्रेस के लिए खतरनाक हो सकती थी.

कांग्रेस बनाम कांग्रेस की जंग में मोदी सरकार को फायदा

कांग्रेस पार्टी ऑपरेशन सिंदूर के बाद मोदी सरकार को घेरना चाहती है. वह देश की सुरक्षा से जुड़े कई सवाल करना चाहती है, इसलिए लगातार यह डिमांड की जा रही है किस सरकार संसद का सत्र बुलाए, लेकिन अबतक ऐसा नहीं हुआ है. इधर सरकार ने कूटनीतिक पहल करते हुए सात डेलिगेशन दुनिया के विभिन्न देशों में भेजा है. यह डेलिगेशन जब वापस आएगा और संसद का मानसून सत्र आयोजित होगा, उस वक्त विपक्ष सरकार को घेर नहीं पाएगा क्योंकि विपक्ष के वो नेता जो डेलिगेशन का हिस्सा रहे हैं वो ये बताएंगे कि उन्होंने विदेश में क्या काम किया और एक तरह से वे सरकार की तारीफ ही करेंगे. कांग्रेस के आपसी विवाद की वजह से भी सरकार को फायदा हो रहा है. वरिष्ठ पत्रकार रशीद किदवई कहते हैं कि जिस वक्त सरकार के कार्यों की समीक्षा होनी चाहिए थी, उस वक्त शशि थरूर, कांग्रेस पार्टी और राहुल गांधी की समीक्षा हो रही है. आम जनमानस के मन में यह छवि भी बन रही है कि विपक्ष देश विरोधी है, तो एक तरह से कांग्रेस की आपसी जंग से मोदी सरकार को फायदा ही हो रहा है.

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Rajneesh Anand
Rajneesh Anand
Senior Journalist with experience of more than 20 years in Print and Digital Media. Expertise in writing material on the topics of politics , sports and women issues. Fellow of IM4Change, Jharkhand Govt. and Save Children.

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