16.1 C
Ranchi

लेटेस्ट वीडियो

Mahalaya : पितृगण को तृप्त कर मां दुर्गा के स्वागत का दिवस है महालया, बंगाल में है मांसाहार की परंपरा

Mahalaya 2025 Date : जब हरसिंगार के फूलों की सुगंध, वातावरण को सुगंधित कर दे. अपराजिता और काश के फूल देवी दुर्गा के चरणों पर अर्पित होने के लिए तैयार हो जाएं. शरद ऋतु आहट देने लगे, तब देवी दुर्गा अपने दिव्य निवास स्थान कैलाश से अपने मायके पृथ्वी का रुख करती हैं. उनके साथ उनकी चारों संतान भी होती है, जो पृथ्वीवासियों को सुख, संपत्ति, समृद्धि और ज्ञान का वरदान देने के लिए उनके साथ पृथ्वी की ओर प्रस्थान करते हैं, यही दिवस महालया कहा जाता है. महालया को लेकर बंगाल में इसी तरह की लोकमान्यता है.

Mahalaya 2025 Date : महालया यानी महान आगमन का आधार या शुरुआत. बंगाल में इसी दिन से दुर्गापूजा की शुरुआत मानी जाती है. महालया आश्विन मास की अमावस्या को मनाया जाता है. इस दिन पितृपक्ष का अंत होता है और देवी दुर्गा का आगमन पृथ्वी पर होता है. महालया के अगले दिन यानी आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की प्रथम तिथि यानी प्रतिपदा के साथ ही शारदीय नवरात्र की शुरुआत हो जाती है. पूरे भारत में नवरात्रि की शुरुआत शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से होती है, लेकिन बंगाल में दुर्गा पूजा की शुरुआत महालया से होती है. दुर्गापूजा यानी नवरात्रि के मौके पर ही देवी दुर्गा ने राक्षस महिषासुर का वध किया था.

क्या है महालया?

महालया यानी देवी दुर्गा के पृथ्वी पर आगमन का संकेत और पितृपक्ष का समापन. इस दिन से देवी पक्ष की शुरुआत हो जाती है. हिंदू मान्यता के अनुसार महालया के दिन ही मां दुर्गा अपने दिव्य निवास स्थान से पृथ्वी पर आगमन प्रारंभ करती हैं. बंगाल के लोग यह मानते हैं कि महालया के दिन ही देवी दुर्गा अपनी चार संतान गणेश, कार्तिकेय, लक्ष्मी और सरस्वती के साथ पृथ्वी के लिए प्रस्थान करती हैं. एक ओर जहां मां दुर्गा बुराई का अंत कर अच्छाई की स्थापना के लिए पृथ्वी पर आती हैं, वहीं उनकी चार संतान गणेश (सिद्धि और समृद्धि के देवता),कार्तिकेय (शौर्य और युद्ध के देवता),लक्ष्मी (धन और समृद्धि की देवी) एवं सरस्वती (ज्ञान और कला की देवी) अपने साथ अपनी कृपा भी लेकर आते हैं. इसी वजह से बंगाल में महालया का महत्व बहुत अधिक है. शिवालय ट्रस्ट कोलकाता के श्री ब्रह्मानंद (अभिजीत शास्त्री) ने बताया कि महालया बहुत ही खास तिथि है. इस तिथि को हम अपने पितृगण का तर्पण करते हैं और उन्हें पितृलोक में तृप्त करते हैं. इस तिथि को पितृपक्ष का अंत और देवी पक्ष या मातृपक्ष की शुरुआत होती है. जब पितृ तृप्त होते हैं, तब माता का आशीर्वाद भी हमें सहजता से मिलता है. महालया को माता के आगमन का प्रतीक माना जाता है. पंडित अशोक चतुर्वेदी कहते हैं कि महालया जहां पितरों के श्राद्ध का खास अवसर है, वहीं यह माता के आगमन का प्रतीक दिवस है. महालया के दिन ही मां दुर्गा की प्रतिमा में चक्षुदान किया जाता है यानी आंखों को आकार दिया जाता है.

महालया के अवसर पर बंगाल में क्या हैं पूजा परंपराएं

Mahalaya
महालया यानी महान आगमन की शुरुआत

बंगाल में देवी पूजन का विशेष महत्व है. दुर्गा पूजा बंगालियों के लिए केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं हैं. यह उनके लिए आपसी भाईचारा बढ़ाने का और समाज को जोड़ने वाला एक महोत्सव है. दुर्गा पूजा के मौके पर बंगाल में अहले सुबह यानी सुबह चार बजे घर का शुद्धिकरण किया जाता है, उसके बाद स्नान करके पितरों को जल अर्पित करके यानी उनकी विदाई करके मां दुर्गा का स्वागत किया जाता है. महालया के दिन बंगाली समाज ना सिर्फ घरों को शुद्ध करता है, बल्कि माता के स्वागत में सजावट भी करता है. ‘ऐशो मां आमार घोरे’ कहकर उनका स्वागत किया जाता है. चूंकि मां दुर्गा को बेटी स्वरूप मान कर उनकी पूजा की जाती है, इसी वजह से दुर्गा पूजा के मौके पर बंगाली विभिन्न पकवान बनाते हैं और माता को अर्पित करते हैं. इस मौके पर चंडी पाठ महिषासुर मर्दिनी को सुनने की परंपरा है. यह माना जाता है कि जब महिषासुर मर्दिनी बजता है तो मां दुर्गा अपने भक्तों पर दृष्टि डालती हैं, इसी वजह से बंगाली समाज महालया के दिन सुबह उठकर मां दुर्गा की स्तुति करता है. श्री ब्रह्मानंद बताते हैं कि महालया के मौके पर जो महिषासुर मर्दिनी का पाठ होता है उसमें दुर्गा सप्तशती के कुछ अंश और कुछ गाने हैं, जिनका सुरबद्ध पाठ होता है. इसे बांग्ला में ‘गीति आलेख्य’ कहा जाता है.

महालया के मौके पर मां दुर्गा की तैयारी में सज जाती है प्रकृति

देवी दुर्गा जब हिमालय से अपने चारों संतान के साथ प्रकृति के लिए प्रस्थान करती हैं तो पूरी प्रकृति उनकी स्वागत में सज जाती है. काश, पारिजात(हरसिंगार) और अपराजिता के फूल खिल जाते हैं. वर्षा ऋतु का अंत हो जात है और शरद की शुरुआत हो जाती. ठंडी हवाएं बहना शुरू हो जाती हैं, जो बहुत ही सुखद होती है. खेतों की हरियाली, नदियां और फूल सभी मां का स्वागत करते हैं.

दुर्गा पूजा के मौके पर बंगाल में मांसाहार की परंपरा

बंगाल में शाक्त परंपरा के तहत पूजा होती है, जिसमें देवी को सृष्टि का प्रधान माना गया है. श्री ब्रह्मानंद बताते हैं कि इस परंपरा के तहत पशुबलि दी जाती है. पहले बंगाल में महिषी (भैंस) की बलि होती थी लेकिन अब छागोल(बकरी का बच्चा, पाठा) की बलि होती है. बंगाल में नवरात्रि के मौके पर मछली को भोग के रूप में अर्पित किया जाता है, इसी वजह से बंगाल में नवरात्रि के मौके पर भी मांसाहार का चलन है. यहां गौर करने वाली बात यह है कि पहले पूजा के वक्त सिर्फ वही मांसाहार बनता था, जो भोग स्वरूप अर्पित होता था. उसको बनाने की विधि भी अलग होती थी, उसमें प्याज, लहसुन आदि का प्रयोग नहीं होता था. भोग का मांसाहार सिर्फ अदरक, जीरा और मिर्च में बनाया जाता था, अब इसमें बदलाव हो गया है और लोग अपनी सुविधा अनुसार मांसाहार खाते हैं. दुर्गा पूजा के अवसर पर बंगाल में उत्सव होता है, लेकिन वह मां दुर्गा के लिए उत्सव है, ना कि उत्सव के लिए मां दुर्गा हैं.

विभिन्न विषयों पर एक्सप्लेनर पढ़ने के क्लिक करें

कैसे हुआ देवी का जन्म

असुरों के आतंक से जब देवता बुरी तरह त्रस्त हो गए तब उन्होंने त्रिदेव (ब्रह्मा, विष्णु और महेश) से रक्षा की गुहार लगाई. तीनों देवों ने अपनी शक्तियों को एकत्रित किया, तो उससे एक अद्‌भुत देवी दुर्गा का जन्म हुआ. देवी दुर्गा को सभी देवताओं ने अपने अस्त्रों से सुसज्जित किया. देवी दुर्गा को शक्ति का स्वरूप और सृष्टि की आधारशिला माना जाता है. दुर्गा पूजा के मौके पर उनसे सुख-समृद्धि, स्वास्थ्य और संरक्षण की अर्चना की जाती है. देवी दुर्गा ने नवरात्रि के मौके पर ही महिषासुर का वध किया था. यह युद्ध बिना रूके नौ रात और नौ दिन तक चला था. दसवें दिन मां दुर्गा ने महिषासुर का संहार किया था, जिसे विजयादशमी कहा जाता है.

ये भी पढ़ें : क्या है UPS जिसे सरकार बना रही है ओल्ड पेंशन स्कीम का विकल्प, इससे किसको होगा फायदा?

Kudmi movement : कौन हैं कुड़मी या कुरमी? आखिर क्यों करते हैं एसटी कैटेगरी में शामिल करने की मांग

Rajneesh Anand
Rajneesh Anand
इलाहाबाद विश्वविद्यालय से स्नातक. प्रिंट एवं डिजिटल मीडिया में 20 वर्षों से अधिक का अनुभव. राजनीति,सामाजिक मुद्दे, इतिहास, खेल और महिला संबंधी विषयों पर गहन लेखन किया है. तथ्यपरक रिपोर्टिंग और विश्लेषणात्मक लेखन में रुचि. IM4Change, झारखंड सरकार तथा सेव द चिल्ड्रन के फेलो के रूप में कार्य किया है. पत्रकारिता के प्रति जुनून है.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

संबंधित ख़बरें

Trending News

जरूर पढ़ें

वायरल खबरें

ऐप पर पढें
होम आप का शहर
News Snap News Reel