Earthquake: म्यांमार के पास 28 मार्च 2025 को 7.7 तीव्रता का भूकंप दर्ज किया गया है. ये भूकंप सैगिंग फॉल्ट (Sagaing Fault) क्षेत्र में आया. इसके चलते म्यांमार और थाईलैंड दोनों को भारी नुकसान हुआ. अब जानते हैं कि ये सैगिंग फॉल्ट क्या है? कहानी शुरू होती है हिमालय के निर्माण से. लगभग 7 करोड़ साल पहले इंडियन प्लेट उत्तर की ओर यूरेशियन प्लेट की ओर खिसकती गई. लगभग 1 करोड़ साल पहले यह दोनों प्लेट टकरा गईं. यह टक्कर इतनी जबरदस्त थी कि जमीन ऊपर की ओर उभरती चली गई. इस टकराव के कारण ऊपर उठी जमीन से ही विशाल हिमालय पर्वत श्रृंखला का जन्म हुआ. भूवैज्ञानिक इसे जटिल भूगर्भीय गतिविधि कहते हैं. जो अभी भी जारी है. वैज्ञानिकों के अनुसार इतनी बड़ी भूगर्भीय घटना के बावजूद आज भी इस क्षेत्र में इंडियन और यूरेशियन प्लेट सक्रिय हैं. इन प्लेटों के आसपास के क्षेत्रों में इसीलिए भूकंप आता रहता है.
म्यांमार में क्यों आया भूकंप
अब आते हैं Sagaing Fault पर, ये वो जगह है जो इंडियन प्लेट और यूरेशियन प्लेट के बीच की सीमा के रूप में जाना जाता है. इस क्षेत्र में इंडियन प्लेट हर साल 18 मिलीमीटर की दर से यूरेशियन प्लेट में पर दबाव बना रही है. यही दबाव फॉल्ट लाइन के साथ जमा होता है और अचानक भूकंप का रूप ले लेता है. इंडियन प्लेट के यूरेशियन प्लेट में घुसने से हिमालय की ऊंचाई भी बढ़ रही है. वैज्ञानिक बताते हैं कि लगभग सौ सालों में सैगिंग फॉल्ट में कई बड़े भूकंप आ चुके हैं. ये सभी भूकंप 7.0 से लेकर 7.6 तीव्रता के दर्ज किए गए हैं. इस बार म्यांमार का भूकंप 7.7 तीव्रता का दर्ज किया गया है.
कितना खतरनाक होता है भूकंप
भूकंप की तीव्रता को रिक्टर स्केल से मापा जाता है. तीव्रता में एक-एक अंक की बढ़ोत्तरी भूकंप की ताकत को कई गुना बढ़ा देती है. 7.7 तीव्रता का भूकंप इसीलिए इतना खतरनाक होता है कि इससे इमारतें, सड़क, पुलि सब कुछ बर्बातद करने की क्षमता रहती है. यहां तक धरती में बड़ी दरारें भी इसकी वजह से बन जाती हैं. भारत भी भूकंप के जोखिम वाले क्षेत्र में आता है. यहां अलग-अलग क्षेत्रों को तीव्रता के आधार बांटा गया है. भारत को कुल चार भूकंपीय जोन में बांटा गया है. इसमें जोन 2, जोन 3, जोन 4 और जोन 5 हैं. भारत में जोन पांच सबसे अधिक भूकंप गतिविधि वाला इलाका हैं. इसमें गुजरात में कच्छ का रण, जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड का कुछ हिस्सा व अंडमान निकोबार द्वीप समूह आते हैं. जबकि जोन चार में जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड को जोन पांच से बचा हुआ हिस्सा आता है. इसके दिल्ली, बिहार, सिक्किम, पश्चिम बंगाला, महाराष्ट्र, राजस्थान का कुछ हिस्सा आता है.
भारत में सबसे खतरनाक भूकंप
भारत में सबसे खतरनाक भूकंप 26 जनवरी 2001 को गुजरात के भुज में आया था. यहां 7.7 तीव्रता का भूकंप आने के कारण 13 हजार से अधिक लोगों की जान गई थी. उस दिन लोग गणतंत्र दिवस के कार्यक्रम में व्यस्त थे और तभी भारत में इतिहास का सबसे बड़ा भूकंप आ गया था. 13 हजार से अधिक मौतों के अलावा 1.67 लाख से अधिक लोग घायल हुए थे. चार लाख घर नष्ट हुए थे और 6.30 लाख से अधिक लोग बेघर हो गए थे. इस भूकंप के कारण जान गंवाने वाले लोगों याद में भुज में एक स्मृति वन बनाया गया है. इस स्मारक में सभी लोगों के नाम भी दर्ज हैं.
दुनिया के खतरनाक भूकंप
- 1960 में चिली में 9.5 तीव्रता का भूकंप आया था. इसमें 16 हजार लोगों की मौत हुई थी, जबकि 20 लाख से अधिक लोग बेघर हो गए थे. वालदीविया और पूर्तो मॉन्ट इलाके में आए भूकंप की वजह से आसपास के देशों में लोगों की मौत हुई थी.
- 28 मार्च 1964 को अलास्का में 9.2 तीव्रता का भूकंप आया था. इसके बाद आई सुनामी से 131 लोगों की मौत हो गई थी.
- 26 दिसंबर को सुमात्रा के उत्तरी तट पर 9.1 तीव्रता का भूकंप आया था. यहां भी सुनामी के कारण 1.80 लाख से अधिक लोग मारे गए थे.
- 11 मार्च 2011 को जापाना में 9.1 तीव्रता का भूकंप आया था. भूकंप के आधे घंटे बाद आई सुनामी से जापाना का तटीय इलाका तबाह हो गया था. एक न्यूक्लियर रिएक्टर भी इस दौरान नष्ट हुआ था. जिससे रेडिएशन भी फैल गया था. इस भूकंप और सुनामी में 18 हजार लोगों की मौत हो गई थी.
- 7 जनवरी 2015 को नेपाल में 7.1 तीव्रता का भूकंप आया था. इसकी वजह से तिब्बत और भारत में भी झटके महसूस किए गए थे. इस भूकंप से नेपाल में भारी तबाही मची थी.