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Cyclone Ditwah : कैसे होता है किसी चक्रवाती तूफान का लैंडफॉल? जानिए पूरी बात

Cyclone Ditwah : हम अकसर यह सुनते हैं कि फलां चक्रवाती तूफान तटीय इलाकों से 30-40 किलोमीटर दूर है और संभवत: आज रात उसका लैंडफॉल होगा. लैंडफॉल से पहले चक्रवाती तूफान का भयंकर रूप दिखने की बात भी हम जानते हैं. मौसम विभाग रेड अलर्ट घोषित करता है और तेज हवाओं के साथ बारिश से भी हम अच्छी तरह परिचित हैं. लेकिन क्या आप लैंडफॉल से परिचित हैं? क्या आप जानते हैं कि लैंडफॉल कैसे होता है?

Cyclone Ditwah : चक्रवाती तूफान दित्वा के प्रभाव से तमिलनाडु और पुडुचेरी में तेज हवाओं के साथ भारी बारिश हो रही है. जगह-जगह पर जलजमाव की स्थिति है, मौसम विभाग ने इन इलाकों के लिए रेड अलर्ट जारी किया है. हालांकि अभी दित्वा तूफान तट से टकराया नहीं है, लेकिन वह तेजी से भारत के पूर्वी तटीय इलाकों की ओर बढ़ रहा है.

मौसम विभाग की ओर से जो जानकारी अभी तक मिली है, उसके अनुसार संभव है कि दित्वा तूफान तट से ना भी टकराए और उसके समानांतर चलते हुए गुजर जाए. किसी भी चक्रवाती तूफान के लैंडफॉल यानी जमीन से टकराने की प्रक्रिया को बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है क्योंकि उसी वक्त तूफान का प्रभाव सबसे अधिक दिखता है और तबाही होती है.

किसी चक्रवाती तूफान का लैंडफॉल कैसे होता है?

Process-Of-Landfall
लैंडफॉल की प्रक्रिया

लैंडफॉल उस प्रक्रिया को कहते हैं जिसमें एक चक्रवाती तूफान या साइक्लोन का केंद्र जिसे आंख भी कहा जाता है, जमीन की सतह से टकराता है. हालांकि जब कोई चक्रवाती तूफान जमीन की ओर बढ़ता है तो उसके केंद्र से पहले उसकी बाहरी दीवारें जिसे आइवॉल कहते हैं, वह सतह से टकराती हैं. यहां गौर करने वाली बात यह है कि आइवॉल के टकराने को लैंडफॉल नहीं कहा जाता है,जब चक्रवाती तूफान की आंख जमीन से टकराती है, तो उसे लैंडफॉल कहा जाता है.

चक्रवाती तूफान के लैंडफॉल का क्या होता है परिणाम?

कोई भी चक्रवाती तूफान जब समुद्र में बनता है तो वह गर्म पानी से ऊर्जा प्राप्त करता रहता है, इसलिए उसकी तीव्रता बहुत अधिक होती है. जैसे-जैसे वह जमीन की सतह की ओर बढ़ता है उसके प्रभाव से तटीय इलाकों में तेज बारिश होती है और हवाएं भी बहुत तेज चलती हैं. चक्रवाती तूफान का सबसे भयंकर स्वरूप तब नजर आता है जब उसका केंद्र सतह से टकराता है. हालांकि चक्रवाती तूफान की दीवारों के सतह से टकराने पर भी बारिश बहुत होती है और तेज हवाएं भी चलती है.

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मौसम विभाग, रांची के वैज्ञानिक अभिषेक आनंद बताते हैं कि चक्रवाती तूफान का लैंडफॉल तब माना जाता है, जब उसका केंद्र जिसे आंख कहा जाता है, वह जमीन की सतह से टकराए. किसी भी चक्रवाती तूफान का सबसे भयंकर रूप उसी वक्त दिखता है. सतह से टकराने के बाद चक्रवाती तूफान कमजोर पड़ने लगता है. इसके पीछे वजह यह है कि जमीन पर आने के बाद तूफान को गर्म पानी की ऊर्जा नहीं मिलती, इसलिए वह धीरे-धीरे कमजोर हो जाता है.

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Rajneesh Anand
Rajneesh Anand
इलाहाबाद विश्वविद्यालय से स्नातक. प्रिंट एवं डिजिटल मीडिया में 20 वर्षों से अधिक का अनुभव. राजनीति,सामाजिक मुद्दे, इतिहास, खेल और महिला संबंधी विषयों पर गहन लेखन किया है. तथ्यपरक रिपोर्टिंग और विश्लेषणात्मक लेखन में रुचि. IM4Change, झारखंड सरकार तथा सेव द चिल्ड्रन के फेलो के रूप में कार्य किया है. पत्रकारिता के प्रति जुनून है.

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