16.1 C
Ranchi

लेटेस्ट वीडियो

बिहार विधानसभा चुनाव में महिला शक्ति दिखाएगी ताकत, उनका वोट तय करेगा राज्य का भविष्य

Bihar Assembly elections : बिहार विधानसभा चुनाव में इस बार महिला मतदाताओं की भूमिका जातीय समीकरणों से कहीं अधिक महत्वपूर्ण होने जा रही है. पहले मतदान को जाति, धर्म या परिवार के प्रभाव में बांटा जाता था, लेकिन अब महिलाएं अपने मत का इस्तेमाल स्वतंत्र सोच के साथ करेंगी.

गोविंद मिश्रा

Bihar Assembly elections : बिहार की राजनीति हमेशा से सामाजिक और जातीय समीकरणों का खेल रही है. किसी समय यह प्रदेश किसान आंदोलनों, छात्र आंदोलनों और जातिगत समीकरणों की वजह से सुर्खियों में रहा. लेकिन आज की स्थिति कुछ और ही तस्वीर पेश कर रही है. इस बार चुनाव की दिशा तय करने वाला सबसे बड़ा कारक बनकर उभर रही हैं-महिला मतदाता.

महिलाओं की भागीदारी अब केवल सांकेतिक नहीं रही. उनके मतदान पैटर्न, राजनीतिक समझ और सामाजिक जागरूकता ने इस बात को साबित कर दिया है कि भविष्य में बिहार की सत्ता का समीकरण अब महिला मतदाताओं के इर्द-गिर्द घूमेगा.

घर की चौखट से लेकर पंचायत तक

पहले कहा जाता था कि महिलाओं की दुनिया केवल घर और परिवार तक ही सीमित रहती है. रसोई, बच्चों की देखभाल और घरेलू कामकाज तक उनकी भागीदारी सीमित मानी जाती थी. लेकिन अब इस सोच में व्यापक बदलाव आया है. महिलाएं अब पंचायतों, स्थानीय समितियों, व्यवसायिक गतिविधियों और समाज सेवा में अपनी मजबूत उपस्थिति दर्ज करा रही हैं.

मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना, जीविका समूह और महिला आरक्षण ने इस बदलाव को और तेज किया है. छोटे-छोटे व्यवसाय और स्वरोजगार के माध्यम से महिलाएं न केवल आत्मनिर्भर बन रही हैं, बल्कि अपने परिवार और समाज में भी बदलाव ला रही हैं.

कटिहार की सीमा देवी पहले बकरी पालन के माध्यम से परिवार का खर्च चलाती थीं. आज वे अपनी छोटी डेयरी चला रही हैं और गांव की अन्य महिलाओं को रोजगार भी दे रही हैं. गया की अर्चना देवी सिलाई-कढ़ाई से इतनी आय कर रही हैं कि अपने बेटे को पटना में पढ़ा रही हैं. समस्तीपुर की राधा, जो साइकिल योजना की पहली लाभार्थियों में थीं, अब स्नातक की पढ़ाई पूरी कर शिक्षक बनने का सपना देख रही हैं.

ये केवल कुछ उदाहरण नहीं हैं. पूरे बिहार में ऐसी कहानियां बढ़ रही हैं. यह दर्शाता है कि महिला शक्ति अब केवल घरेलू स्तर तक सीमित नहीं है, बल्कि यह राजनीति और समाज की दिशा तय करने में निर्णायक भूमिका निभा रही है.

सरकारी योजनाओं का प्रत्यक्ष असर

डबल इंजन सरकार ने महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने के लिए कई योजनाएं लागू की हैं. उज्ज्वला योजना ने घर की रसोई में धुएं की समस्या को कम किया, नल-जल योजना से हर घर में साफ पानी की उपलब्धता सुनिश्चित हुई, प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत लाखों परिवारों को पक्के घर मिले, मुफ्त बिजली और पेंशन बढ़ोतरी से बुज़ुर्ग महिलाओं की आर्थिक स्थिति सुधरी.

इन योजनाओं का प्रभाव केवल जीवन स्तर तक सीमित नहीं रहा. महिलाओं ने महसूस किया कि उनकी ज़रूरतें और अपेक्षाएं अब राजनीति के केंद्र में हैं. यही वजह है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब कहते हैं-‘महिला शक्ति ही भारत की असली ताकत है’, तो यह सिर्फ नारा नहीं, बल्कि एक वास्तविकता बन गया है.

शिक्षा और सशक्तिकरण

महिलाओं की शिक्षा भी अब राजनीतिक और सामाजिक बदलाव का हिस्सा बन गई है. साइकिल योजना और छात्रवृत्ति योजनाओं के माध्यम से ग्रामीण क्षेत्र की लड़कियां अब स्कूल और कॉलेज तक पहुंच रही हैं. पहले जो लड़कियां पढ़ाई छोड़ देती थीं, अब आत्मविश्वास के साथ उच्च शिक्षा प्राप्त कर रही हैं और प्रतियोगी परीक्षाओं में हिस्सा ले रही हैं.

इस शिक्षा ने परिवार की सोच भी बदली है. अब मां और बहनें बच्चों की पढ़ाई और पोषण पर अधिक ध्यान देती हैं. यह केवल एक सामाजिक बदलाव नहीं है, बल्कि यह अगले पीढ़ी की सोच और निर्णय क्षमता को भी प्रभावित करता है.

आर्थिक भागीदारी और महिला उद्यमिता

महिलाओं की आर्थिक भागीदारी में भी तेज वृद्धि देखी गई है. जीविका समूह और स्वरोजगार योजनाओं के माध्यम से महिलाएं दूध, सब्जी, हस्तशिल्प और छोटे उद्योग चला रही हैं. दरभंगा की मधुबनी पेंटिंग बनाने वाली महिलाएं अब अपने उत्पाद अंतरराष्ट्रीय बाजार में बेच रही हैं. छत्तीसगढ़ और बिहार में ‘लखपति दीदी’ और ‘ड्रोन दीदी’ जैसे उदाहरण महिला सशक्तिकरण और नवाचार की मिसाल बन चुके हैं.

‘ड्रोन दीदी’ जैसी महिलाएं तकनीक अपनाकर कृषि क्षेत्र में नए अवसर पैदा कर रही हैं. यह दर्शाता है कि महिलाएं केवल पारंपरिक कार्यों तक सीमित नहीं हैं, बल्कि नए कौशल, तकनीक और नवाचार के क्षेत्र में भी पीछे नहीं हैं.

विभिन्न विषयों पर एक्सप्लेनर पढ़ने के लिए क्लिक करें

चुनावी परिदृश्य में बदलाव

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि आगामी चुनावों में महिला मतदाताओं की भूमिका जातीय समीकरणों से कहीं अधिक महत्वपूर्ण होगी. पहले मतदान को जाति, धर्म या परिवार के प्रभाव में बांटा जाता था, लेकिन अब महिलाएं अपने मत का इस्तेमाल स्वतंत्र और सोच-समझकर कर रही हैं.

महिलाओं की राजनीतिक सक्रियता केवल मतदान तक सीमित नहीं है. पंचायतों में उनकी बढ़ती भागीदारी, सामाजिक संगठनों में नेतृत्व और स्थानीय स्तर पर सक्रियता यह दिखाती है कि वे अब निष्क्रिय वोट बैंक नहीं हैं.

चुनौतियां और अवसर

हालांकि महिला शक्ति में यह तेजी भविष्य के लिए उत्साहजनक है, लेकिन चुनौतियां भी कम नहीं हैं. ग्रामीण क्षेत्रों में पितृसत्तात्मक सोच, संसाधनों की कमी और डिजिटल साक्षरता की कमी अभी भी महिलाओं को पूरी तरह स्वतंत्र होने से रोकती है. योजनाओं के क्रियान्वयन में भ्रष्टाचार और देरी जैसी शिकायतें भी उन्हें प्रभावित करती हैं.

फिर भी, यह स्पष्ट है कि महिला शक्ति अब पीछे लौटने वाली नहीं है. उनका सामाजिक और आर्थिक प्रभाव बढ़ता जा रहा है. आने वाले चुनावों में उनका वोट निर्णायक साबित होगा और यह बिहार की राजनीति के परिदृश्य को पूरी तरह बदल देगा.

सामाजिक बदलाव का असर

महिला सशक्तिकरण केवल राजनीतिक या आर्थिक परिवर्तन तक सीमित नहीं है. यह समाज की सोच, मूल्य और परंपराओं को भी प्रभावित कर रहा है. गांव की चौपाल में अब चर्चा जातीय पहचान या परिवार के प्रभाव से ऊपर उठकर यह होती है कि महिलाएं किसे समर्थन देंगी. पहले कहा जाता था-‘औरत घर की इज्जत है.’ आज कहा जाता है-‘औरत समाज की ताकत है.’

महिलाओं की यह भूमिका परिवार, समाज और स्थानीय प्रशासन तक विस्तृत है. महिलाएं न केवल अपने बच्चों की पढ़ाई और स्वास्थ्य की जिम्मेदारी ले रही हैं, बल्कि समाज और पंचायत में निर्णय लेने की प्रक्रिया में भी प्रभावी भूमिका निभा रही हैं.

भविष्य का बिहार

आने वाले चुनावों में यही महिला शक्ति तय करेगी कि सत्ता की बागडोर किसके हाथ में जाएगी. उनका सामाजिक और आर्थिक प्रभाव अब चुनावी नतीजों से अनदेखा नहीं किया जा सकता. पंचायत स्तर से लेकर विधानसभा और संसद तक, महिला मतदाता अपनी सक्रियता और जागरूकता के माध्यम से राजनीतिक दिशा तय कर रही हैं.

राजनीतिक दलों ने भी यह समझना शुरू कर दिया है कि महिलाओं को ध्यान में रखकर नीतियां बनाना और उनके लिए योजनाओं को केंद्र में रखना आवश्यक है. यह सिर्फ वोट पाने का मामला नहीं है, बल्कि समाज और अर्थव्यवस्था को संतुलित और सशक्त बनाने की दिशा में कदम है.

महिला मतदाता अब केवल पारंपरिक भूमिका तक सीमित नहीं रही हैं. उन्होंने शिक्षा, व्यवसाय, राजनीति और सामाजिक नेतृत्व में अपनी उपस्थिति दर्ज करा दी है. यही महिला शक्ति बिहार के राजनीतिक भविष्य की सबसे बड़ी पहचान बन गई है.

बिहार की राजनीति में यह बदलाव केवल सत्ता के समीकरण बदलने तक सीमित नहीं है. यह सामाजिक बदलाव, महिला सशक्तिकरण और स्थानीय विकास की कहानी भी है. आने वाला समय दिखाएगा कि किस तरह महिला मतदाता की बढ़ती ताकत बिहार की राजनीति का नया चेहरा बनाती है.

आज गांव की चौपाल, मोहल्ला और शहर की बातचीत में यही चर्चा होती है कि महिला शक्ति बिहार की तस्वीर बदल रही है. और यही वह नया दौर है, जो बिहार की राजनीति और समाज की दिशा दोनों को भविष्य में पूरी तरह बदल सकता है.

(लेखक पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक हैं)

ये भी पढ़ें : Who are Indian Muslims : कौन हैं भारतीय मुसलमान? इतिहास के पन्नों में झांककर देखें

Prabhat Khabar Digital Desk
Prabhat Khabar Digital Desk
यह प्रभात खबर का डिजिटल न्यूज डेस्क है। इसमें प्रभात खबर के डिजिटल टीम के साथियों की रूटीन खबरें प्रकाशित होती हैं।

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

संबंधित ख़बरें

Trending News

जरूर पढ़ें

वायरल खबरें

ऐप पर पढें
होम आप का शहर
News Snap News Reel