14.1 C
Ranchi

लेटेस्ट वीडियो

Bihar News: कानूनी प्रक्रिया में फंसा शराबबंदी संशोधन विधेयक, न्यायिक शक्ति देने से हाइकोर्ट का इन्कार

बिहार के महाधिवक्ता ललित किशोर ने भी इसकी पुष्टि की. हालांकि इस संबंध में आगे की कार्रवाई के संबंध में उन्होंने फिलहाल कुछ भी कहने से इन्कार कर दिया.

सुमित/पटना. बिहार मद्य निषेध और उत्पाद संशोधन नियमावली, 2022 कानूनी प्रक्रिया में फंस गयी है. पटना हाइकोर्ट ने इस नियमावली के तहत सभी 38 जिलों में अधिसूचित 392 विशेष कार्यपालक दंडाधिकारियों को न्यायिक शक्तियां देने से इन्कार कर दिया है. हाइकोर्ट ने आइपीसी की धारा 50 व सीआरपीसी की धारा 13 व 15 का हवाला देते हुए दंडाधिकारियों को न्यायिक शक्तियां देने में असमर्थता जतायी है. बिहार के महाधिवक्ता ललित किशोर ने भी इसकी पुष्टि की. हालांकि इस संबंध में आगे की कार्रवाई के संबंध में उन्होंने फिलहाल कुछ भी कहने से इन्कार कर दिया.

बिहार कैबिनेट से स्वीकृत और विधानमंडल से मंजूर इस संशोधित अधिनियम के तहत राज्य सरकार द्वारा अधिसूचित दंडाधिकारियों को मद्य निषेध अधिनियम की धारा 37 के तहत दर्ज होने वाले मामलों की सुनवाई करनी थी. इस धारा के तहत पहली बार शराब पीने पर गिरफ्तार होने वाले सभी नये-पुराने अभियुक्तों को न्यूनतम दो हजार से अधिकतम पांच हजार रुपये तक जुर्माना लेकर छोड़ा जाना था. दूसरी बार ऐसा करने पर उनको एक वर्ष की सजा का प्रावधान है.

शक्तियां मिलने पर तेजी से मामलों का होता निबटारा

सूबे में मद्य निषेध से जुड़े करीब साढ़े चार लाख से अधिक मामले लंबित हैं. दंडाधिकारियों को न्यायिक शक्तियां मिलने पर तेजी से इसका निबटारा हो सकता था. इसके तहत नये मामलों के साथ शराब पीने के पुराने संबंधित मामलों में भी जुर्माना लेकर केस बंद करने तथा जब्त वाहन सहित अन्य संपत्तियों को जुर्माना लेकर छोड़े जाने का प्रावधान है. लंबित केसों की संख्या को देखते हुए मद्य निषेध विभाग पुन: हाइकोर्ट से इस मामले पर सुनवाई की अपील कर सकता है.

क्या था संशोधन विधेयक में

नये प्रावधान के तहत पहली बार शराब पीने पर गिरफ्तार होने वाले सभी नये-पुराने अभियुक्तों को न्यूनतम दो हजार रुपये तक जुर्माना लेकर छोड़ा जाना था. दूसरी बार ऐसा करने पर उनको एक वर्ष की सजा का प्रावधान है. इसे पूरी तरह लागू करने के लिए पटना हाइकोर्ट से विशेष दंडाधिकारियों को न्यायिक शक्तियां देने का अनुरोध किया गया था.

अब दूसरे विकल्प क्या

सरकार के समक्ष अब शराबबंदी कानून को सरल बनाये जाने के बाद इसे जमीन पर उतारने की चुनौती है. सरकार के समक्ष एक बार फिर अपील में जाने का विकल्प है. दूसरा हाइकोर्ट की आपत्तियों को दूर कर दोबारा विधेयक में संशोधन किया जा सकता है.

करीब डेढ़ महीने पहले भेजा गया था प्रस्ताव

इस संशोधित कानून को पूरी तरह लागू करने के लिए करीब डेढ़ महीने पहले ही पटना हाइकोर्ट से विशेष दंडाधिकारियों को न्यायिक शक्तियां देने का अनुरोध किया था, ताकि उनके द्वारा मामलों की कानूनी रूप से सुनवाई की जा सके. न्यायिक शक्तियां मिलने तक मद्य निषेध से जुड़े मामलों को लेकर गठित विशेष न्यायालयों में ही नये अधिनियम के तहत सुनवाई की जानी थी. हालांकि, इससे जुड़े आंकड़े भी फिलहाल विभाग को उपलब्ध नहीं हो सके हैं. हाइकोर्ट ने सूचित किया है कि हम आपको न्यायिक शक्तियां नहीं दे सकते. इसके बाद अब आगे की रणनीति पर सरकार विचार कर रही है. -केके पाठक,अपर मुख्य सचिव, मद्य निषेध उत्पाद एवं निबंधन विभाग.

Prabhat Khabar News Desk
Prabhat Khabar News Desk
यह प्रभात खबर का न्यूज डेस्क है। इसमें बिहार-झारखंड-ओडिशा-दिल्‍ली समेत प्रभात खबर के विशाल ग्राउंड नेटवर्क के रिपोर्ट्स के जरिए भेजी खबरों का प्रकाशन होता है।

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

संबंधित ख़बरें

Trending News

जरूर पढ़ें

वायरल खबरें

ऐप पर पढें
होम आप का शहर
News Snap News Reel