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बिहार के 6 जिलों में अक्तूबर से नये बंदोबस्तधारी करेंगे बालू का खनन, टेंडर से किया जायेगा चयन

बिहार में इस साल अक्तूबर से नये बंदोबस्तधारी बालू का खनन करेंगे. फिलहाल छह जिलों के बालू घाटों के लिए टेंडर के माध्यम से बंदाेबस्तधारियों का चयन किया जायेगा. इनमें पटना, भोजपुर, सारण, औरंगाबाद, रोहतास और गया शामिल हैं. इनमें गया को छोड़कर अन्य जिलों के बालू घाटों के बंदोबस्तधारियों ने एक मई, 2021 से बालू का वैध खनन बंद कर दिया था.

बिहार में इस साल अक्तूबर से नये बंदोबस्तधारी बालू का खनन करेंगे. फिलहाल छह जिलों के बालू घाटों के लिए टेंडर के माध्यम से बंदाेबस्तधारियों का चयन किया जायेगा. इनमें पटना, भोजपुर, सारण, औरंगाबाद, रोहतास और गया शामिल हैं. इनमें गया को छोड़कर अन्य जिलों के बालू घाटों के बंदोबस्तधारियों ने एक मई, 2021 से बालू का वैध खनन बंद कर दिया था.

गया जिले के बंदोबस्तधारियों ने पहले से ही खनन बंद कर दिया था. इसके लिए पर्यावरणीय स्वीकृति को ट्रांसफर करने के लिए राज्य कैबिनेट की मंजूरी का इंतजार था, जो पिछले दिनों मिल चुकी है. इसकी अधिसूचना भी जारी हो चुकी है. अब फिलहाल छह जिलों के नदी घाटों की बंदोबस्ती की तैयारी खान एवं भूतत्व विभाग कर रहा है.

सूत्रों के अनुसार, फिलहाल एक जुलाई से 30 सितंबर तक एनजीटी की गाइडलाइन के तहत राज्य में बालू का खनन बंद है. एक अक्तूबर से खनन शुरू होने के पहले खान एवं भूतत्व विभाग सभी घाटों पर खनन शुरू करवाने की प्रक्रिया में लगा हुआ है.

दरअसल, 2019 के दिसंबर तक नयी बंदोबस्ती की प्रक्रिया पूरी नहीं होने पर पुराने बंदोबस्तधारियों को ही राजस्व में 50 फीसदी बढ़ोतरी के साथ 31 दिसंबर, 2020 तक बालू का खनन करने की अनुमति दी गयी थी. अब इन्हीं दरों पर अप्रैल से सितंबर 2021 यानी छह महीने के लिए बालू खनन करने की मंजूरी पिछले दिनों राज्य कैबिनेट ने दे दी थी.

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राजस्व में 50 फीसदी बढ़ोतरी का वहन करने से छह जिलों के बंदोबस्तधारियों ने मना कर दिया. साथ ही पांच जिले के बंदोबस्तधारियों ने बालू के अवैध खनन, ढुलाई और बिक्री रोकने में विफल रहने का आरोप जिला प्रशासन और खान एवं भूतत्व विभाग पर लगाया. इसी आरोप के तहत उन्होंने बालू घाटों का संचालन बंद कर दिया.

सूत्रों के अनुसार राज्य के नदी घाटों की पर्यावरणीय स्वीकृति लेेने की प्रक्रिया लंबी है. इसमें छह से 10 महीेने तक का समय लगता है. ऐसी हालत में इन छह जिलों के नदी घाटों की पर्यावरणीय स्वीकृति पहले ले ली गयी थी, लेकिन बंदोबस्तधारियों द्वारा खनन से मना कर देने और किसी दूसरे व्यक्ति को बंदोबस्त करने पर नयी पर्यावरणीय स्वीकृति लेने में अड़चन थी. इस संबंध में कोई नियम नहीं था कि इसे ट्रांसफर कर दिया जाये. इसलिए राज्य सरकार ने इसे ट्रांसफर करने की मंजूरी दे दी है. इससे बंदोबस्तधारियों का समय बचेगा और तुरंत खनन शुरू हो सकेगा.

सूत्रों के अनुसार फिलहाल राजस्व में बढ़ोतरी सितंबर तक मान्य है. इसके बाद अक्तूबर से नये राजस्व के बारे में सरकार विचार कर सकती है. वहीं, पहले से राज्य में करीब 350 घाटों की बंदोबस्ती हो चुकी है, लेकिन उनकी पर्यावरणीय स्वीकृति का इंतजार है. पर्यावरणीय स्वीकृति मिलते ही नये बंदोबस्तधारी खनन शुरू करेंगे.

POSTED BY: Thakur Shaktilochan

Prabhat Khabar News Desk
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