33.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Trending Tags:

Advertisement

Christmas 2021: शांति की रानी महागिरजाघर में इस बार कैसे मनेगा क्रिसमस, आयोजन को लेकर क्या है तैयारी

Christmas 2021: शांति की रानी महागिरजाघर में सादगी से क्रिसमस मनाने की तैयारी की जा रही है. साफ-सफाई का कार्य अंतिम चरण में है. चरनी बनाने की भी तैयारी की जा रही है.

Christmas 2021: झारखंड के पलामू जिले के मेदिनीनगर स्टेशन रोड स्थित शांति की रानी महागिरजाघर सिर्फ धार्मिक दृष्टिकोण से नहीं, पर्यटन और पुरातत्व के लिहाज से भी अमूल्य धरोहर है. आज जो खूबसूरत और भव्य गिरजाघर दिखता है, उसकी आधारशिला 31 मई 1994 को डालटनगंज धर्मप्रांत के द्वितीय धर्माध्यक्ष फादर चार्ल्स सोरेंग एसजे द्वारा रखी गयी थी. इसे बनने में करीब चार साल लगे थे और 11 जनवरी 1998 को इसका उद्घाटन बिशप राइट रेवरेंड गेब्रियल कुजूर एसजे के द्वारा किया गया था. सादगी से त्योहार मनाने की तैयारी की जा रही है. शांति की रानी महागिरजाघर में साफ-सफाई का कार्य अंतिम चरण में है. चरनी बनाने की भी तैयारी की जा रही है.

यह भव्य गिरजाघर पहले छोटे प्रारूप में था, जहां उस समय के मिशनरी समाज के लोग इकट्ठा होकर धर्मीय आचार-अनुष्ठान करते थे. संकलित दस्तावेजों के अनुसार 1967 के आसपास यहां छोटे से गिरजाघर में लोग पूजा के लिए आते थे. उस समय यहां मिशनरियों की संख्या 200 के करीब थी. तत्कालीन डालटनगंज का मिशनरी समाज रांची धर्म प्रांत के अंतर्गत आता था. उस समय रांची धर्म प्रांत के आर्चबिशप पीयूष केरकेट्टा की अगुवाई में यह तय किया गया की चूंकि रांची से डालटनगंज की दूरी और यहां अनुयायियों की संख्या अधिक है तो डालटनगंज को एक अलग धर्म प्रांत घोषित किया जाए.

Also Read: राष्ट्रीय ऊर्जा संरक्षण दिवस: झारखंड में एक दशक में दोगुनी से भी अधिक हुई बिजली की खपत, ऐसे बचा सकते हैं बिजली

यहां के कलेशिया के लिए एक अलग धर्म प्रांत बनाया गया. डालटनगंज धर्म प्रांत के पहले बिशप के रूप में फादर जॉर्ज सुफ़ैन एसजे का आगमन हुआ. उन्होंने सबसे पहले यह विचार लाया कि यहां एक बड़ा गिरजाघर बनना चाहिए. धीरे-धीरे यह योजना मूर्त रूप लेना शुरू किया और फिर शांति की रानी महागिरजाघर बनकर तैयार हुआ. इसके आर्किटेक्ट बेल्जियम के रेवरेंड फादर डेलपोर्ट एसजे थे, जिन्हें बाद में भारतीय नागरिकता भी मिली थी. चर्च के अंदर बनी प्रभु यीशु की प्रतिमा बेहद खूबसूरत है. यह मूर्तिकला का एक बेजोड़ नमूना है, जिसमें भारतीय और पाश्यात्य शैली का अद्भुत मेल दिखता है. इसे केरल में बनाया गया था. रेल द्वारा इस प्रतिमा को केरल से यहां लेकर प्रतिष्ठित किया गया था. इसका वजन करीब डेढ़ क्विंटल है. इसके अलावा माता मरियम की प्रतिमा मूर्तिकला का बेजोड़ नमूना है. चर्च के बाहर प्रांगण में भी माता मरियम की एक मूर्ति स्थापित है जहां लोग मोमबत्ती जलाते हैं.

Also Read: मुख्यमंत्री आमंत्रण फुटबॉल प्रतियोगिता: न ढंग का भोजन, न किराया, खिलाड़ियों को जर्सी व टीशर्ट भी नसीब नहीं

पल्ली पुरोहित फादर मोरिस कुजूर व शिक्षा निदेशक फादर मोरिस टोप्पो ने बताया कि कोरोना की स्थिति को देखते हुए सरकार जिस तरह की गाइडलाइन बनाएगी, उसी का पालन करते हुए पर्व मानाने की रूपरेखा तैयार की जाएगी. वैसे फ़िलहाल अपनी-अपनी यूनिट में लोग सादगी से त्योहार की तैयारी कर रहे हैं. शांति की रानी महागिरजाघर में साफ-सफाई का कार्य अंतिम चरण में है. चरनी बनाने की भी तैयारी की जा रही है. आम लोगों के लिए पूर्व की तरह गिरजाघर खोला जायेगा या नहीं, इस पर अभी निर्णय नहीं हुआ है. अभी शांति की रानी महा गिरजाघर में प्रेरितिक प्रशासक के रूप में राइट रेवरेंड बिशप फादर थिओडर मस्केरेहेंस की नियुक्ति हुई है. उन्होंने आठ दिसम्बर 2021  को अपना पद संभाला है.

Also Read: देवघर एम्स व एयरपोर्ट से जुड़ेगा पटना-कोलकाता एक्सप्रेस-वे, बढ़ेगी कनेक्टिविटी, कम समय में कर सकेंगे सफर

रिपोर्ट: सैकत चटर्जी

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें