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शेयर बाजार में उछाल की उम्मीद

लोगों को यह समझना होगा कि शेयर बाजार कोई जुआघर नहीं है, यह तो देश की अर्थव्यवस्था की चाल को नापने का एक आर्थिक बैरोमीटर है.

डॉ जयंतीलाल भंडारी, अर्थशास्त्री

jlbhandari@gmail.com

यकीनन नये वर्ष 2021 में देश के शेयर बाजार द्वारा नयी ऊंचाइयां छूने का परिदृश्य उभरता हुआ दिखायी दे रहा है. यह कोई छोटी बात नहीं है कि कोरोना वायरस के कारण बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (बीएसइ) का जो सेंसेक्स 23 मार्च, 2020 को 25,981 अंकों पर आ गया था, वह लगातार बढ़ते हुए दिसंबर, 2020 के अंतिम छोर पर 47,800 अंकों के पार रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गया. यदि हम वर्ष 2020 में दुनियाभर के विकासशील देशों के शेयर बाजारों की तस्वीर को देखें, तो हमें भारतीय शेयर बाजार की स्थिति शानदार दिखती है और नये वर्ष 2021 में शेयर बाजार के तेजी से आगे बढ़ने की संभावनाओं के कई कारण चमकते हुए दिख रहे हैं.

भारत के द्वारा कोविड-19 का रणनीतिकपूर्वक सफल मुकाबला किये जाने से अर्थव्यवस्था पटरी पर लौट रही है. कोविड-19 से बचाव के टीके, ब्रेक्जिट समझौते और वैश्विक अर्थव्यवस्था में सुधार से आर्थिक सकारात्मकता आयी है. अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के द्वारा प्रोत्साहन के लिए 900 अरब डॉलर जारी करने के विधेयक पर हस्ताक्षर करने से निवेशकों की धारणा को बल मिला है.

इन महत्वपूर्ण कारणों के साथ-साथ शेयर बाजार में निवेश पर बढ़ते रिटर्न के कारण लोगों का रुझान स्टॉक मार्केट में बढ़ा है. म्युचुअल फंड में निवेश में भी तेजी आयी है. गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) के संकट में कमी आयी है. लघु एवं मझोले उद्यमों में कोविड-19 महामारी के बाद एनपीए का जोखिम कम हुआ है. कंपनियों की लागत में कमी और उत्पादकता में सुधार हुआ है. पिछले एक साल के दौरान छोटे शहरों से निवेशकों की संख्या में लगातार वृद्धि हुई है. भारत में वर्ष 2020 में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआइ) के योगदान ने नया रिकॉर्ड बनाया है, इससे वैश्विक स्तर पर उभरते बाजारों में एफपीआइ निवेश के लिहाज से भारत का स्थान शीर्ष पर रहा है.

उल्लेखनीय है कि सरकार ने कोविड-19 की चुनौतियों का मुकाबला करने के लिए वर्ष 2020 में एक के बाद एक कुल 29.87 लाख करोड़ रुपये की राहतों के एलान किये. कोरोना काल में सरकार को उन सुधारों को आगे बढ़ाने का अवसर मिला है, जो दशकों से लंबित थे. खासतौर से कोयला, कृषि, नागरिक विमानन, श्रम, रक्षा और विदेशी निवेश जैसे क्षेत्रों में किये गये जोरदार सुधारों से अर्थव्यवस्था आगे बढ़ी है.

भारत के ऐसे रणनीतिक प्रयासों से कोविड-19 का भारतीय अर्थव्यवस्था पर अन्य देशों की तुलना में कम प्रभाव पड़ा है और इससे भारतीय शेयर बाजार को तेजी से आगे बढ़ने का अवसर मिला है. चाहे कोविड-19 के कारण वर्ष 2020 में भारत की आर्थिक चुनौतियां मुंह बाए खड़ी रहीं, लेकिन भारत की आर्थिक संभावनाओं के लिए एक के बाद एक जो वैश्विक सर्वेक्षण प्रकाशित हुए, उनसे भी भारतीय शेयर बाजार को बढ़त मिली.

कोविड-19 की आर्थिक चुनौतियों के कारण इस समय भारतीय कारोबारियों के पास नये उद्यम शुरू करने या चालू उद्यम को पूरा करने के लिए पर्याप्त धन नहीं है. नये फंड तक भी उनकी पहुंच नहीं है, क्योंकि बैंक अब फंसे हुए कर्ज के मामलों को देखते हुए नये ऋण देने में काफी सतर्कता बरतने लगे हैं. ऐसे में इस संकट से निकलने का तरीका है नये सिरे से पूंजीकरण करना. इस काम के लिए शेयर बाजार का विस्तार और अधिक लोगों के कदमों को शेयर बाजार की ओर मोड़ा जाना जरूरी है.

यद्यपि भारत में शेयर बाजार कोविड-19 के बीच भी तेजी से बढ़ा है, लेकिन फिर भी अन्य कई देशों की तुलना में भारत के शेयर बाजार के विकास की गति धीमी है. जहां भारत के करीब 3.3 प्रतिशत लोग ही शेयर बाजार से संबद्ध हैं, वहीं ऑस्ट्रेलिया के 40 प्रतिशत, न्यूजीलैंड के 31 प्रतिशत, इंग्लैंड के 30 प्रतिशत, जापान के 29 प्रतिशत तथा अमेरिका के 26 प्रतिशत लोग शेयर बाजार से जुड़े हुए हैं. चूंकि देश का आर्थिक विकास तेजी से हो रहा है, इसलिए शेयर बाजार में छोटे निवेशकों का तेजी से आना व जुड़ना जरूरी है.

चूंकि शेयर बाजार में लंबे समय से सुस्त पड़ी हुई कंपनियों के शेयर की बिक्री कोविड-19 के बीच तेजी से बढ़ी है, उससे शेयर बाजार में जोखिम भी बढ़ गया है. ऐसे में शेयर बाजार में हर कदम फूंक-फूंककर रखना जरूरी है. शेयर बाजार की ऊंचाई के साथ-साथ भारतीय शेयर बाजार में छोटे निवेशकों के हितों और उनकी पूंजी की सुरक्षा का ध्यान रखना जरूरी है. शेयर बाजार को प्रभावी व सुरक्षित बनाने के लिए सूचीबद्ध कंपनियों में गड़बड़ियां रोकने पर विश्वनाथन समिति ने सेबी को जो सिफारिशें सौंपी हैं, उनका क्रियान्वयन आने वाले समय में लाभप्रद होगा.

ऐसे में सरकार के द्वारा शेयर और पूंजी बाजार को मजबूत बनाने की डगर पर आगे बढ़ने के लिए सेबी की भूमिका को और प्रभावी बनाना होगा. जरूरी है कि सेबी शेयर बाजार की गतिविधियों पर सतर्कता से ध्यान देकर शेयर बाजार को अधिक स्वस्थ दिशा दे. सेबी के द्वारा बाजार के संदिग्ध उतार-चढ़ावों की तरफ आंखें खुली रखी जायें. शेयर बाजारों में घोटाले रोकने के लिए डीमैट और पैन की व्यवस्था को और कारगर बनाया जाये.

छोटे और ग्रामीण निवेशकों की दृष्टि से शेयर बाजार की प्रक्रिया को और सरल बनाया जाये. शेयर बाजार के महत्व को ज्यादा से ज्यादा लोगों को समझाये जाने की जरूरत है, ताकि अधिक संख्या में लोग बाजार का रुख करें. लोगों को यह समझना होगा कि शेयर बाजार कोई जुआघर नहीं है, यह तो देश की अर्थव्यवस्था की चाल को नापने का एक आर्थिक बैरोमीटर है.

हम उम्मीद करें कि कोविड-19 की चुनौतियों के बीच नये वर्ष 2021 में शेयर बाजार की कंपनियों के लिए सेबी की सतर्क निगाहें होंगी और सेबी के द्वारा भविष्य के लिए ऐसे कदम सुनिश्चित किये जायेंगे, जिससे शेयर बाजार अनुचित व्यापार व्यवहार से बच सकेगा. हम उम्मीद करें कि सरकार वर्ष 2021-22 के आगामी बजट में शेयर बाजार में निवेशकों के लिए नये कर प्रोत्साहन सुनिश्चित करेगी. हम उम्मीद करें कि वर्ष 2021 में अर्थव्यवस्था में सुधार की रफ्तार का आधार और मजबूत होगा तथा पूंजी पर प्रतिफल और मुनाफे में उत्साहजनक वृद्धि होगी. इससे शेयर बाजार के निवेशकों और अर्थव्यवस्था को लाभ मिलेगा.

(ये लेखक के निजी विचार हैं.)

Posted by: Pritish Sahay

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