GST reform : आखिरकार काफी जद्दोजहद के बाद केंद्र सरकार ने जीएसटी की दरों में महत्वपूर्ण कटौती की घोषणा कर ही दी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संसद के मॉनसून सत्र में जनता को आश्वस्त किया था कि जीएसटी की दरें घटायी जायेंगी, जो उनके लिए दिवाली का उपहार होगा. वह अपनी बात पर खरे उतरे और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने उनकी बात मानते हुए जीएसटी काउंसिल की बैठक में जीएसटी की दर में भारी कटौती की घोषणा कर दी. यह आसान काम नहीं था और न ही पूरी तरह से केंद्र सरकार के हाथ में था, क्योंकि जीएसटी काउंसिल में सभी राज्यों के प्रतिनिधि होते हैं.
उनमें से कई इस तरह की कटौतियों का विरोध कर रहे थे. उन्हें लग रहा था कि इससे उनके राजस्व पर बुरा असर पड़ेगा. इसलिए उन्होंने इसका पुरजोर विरोध किया, लेकिन भाजपा तथा एनडीए के मुख्यमंत्रियों के समर्थन से यह संभव हो गया. विपक्ष के वित्त मंत्री अब भी इस फैसले के खिलाफ प्रतिक्रिया व्यक्त कर रहे हैं. पश्चिम बंगाल की वित्त मंत्री चंद्रिमा भट्टाचार्य ने तो कहा कि इससे 47,700 करोड़ रुपये का धक्का लगेगा. वैसे राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बीमा पर टैक्स हटाने का स्वागत किया और इसे अपनी पार्टी की नैतिक जीत बताया. दूसरी ओर कांग्रेस हमेशा की तरह हमलावर रही तथा उसने इस घोषणा की टाइमिंग पर सवाल उठाये.
उसकी तरफ से पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने कहा कि कांग्रेस आठ साल से टैक्स घटाने की मांग कर रही थी. उन्होंने पूछा कि क्या जीएसटी की दरों में कटौती सुस्त विकास को लेकर की गई है? या फिर बढ़ते हुए घरेलू कर्ज को लेकर? या घरेलू बचत में गिरावट के कारण? जबकि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने साफ कहा कि जीएसटी सुधार का ट्रंप के टैरिफ से कोई लेना-देना नहीं है. उन्होंने यह भी कहा कि हम इस पर डेढ़ साल से काम कर रहे थे. इस पर चूंकि काफी चर्चा हो चुकी है, इसलिए अब राजनीति की गुंजाइश नहीं है.
जाहिर है, जीएसटी की दरों में कटौती अब सच्चाई है. जीएसटी काउंसिल ने व्यापक सुधारों के तहत पांच और 18 प्रतिशत की दो-स्तरीय टैक्स संरचना को मंजूरी दे दी. यह व्यवस्था आगामी 22 सितंबर से लागू होगी. परिषद के फैसलों के अनुसार अब रोजमर्रा के सामान, खाने-पीने की वस्तुओं, कारों, ट्रकों, सीमेंट जैसी चीजों पर टैक्स या तो खत्म कर दिया गया है या घटा दिया गया है. इससे ग्राहकों खासकर मध्यवर्ग को काफी फायदा होने वाला है.
कम टैक्स देने से वे कहीं ज्यादा खरीदारी कर सकेंगे. सीमेंट पर टैक्स घटने से रियल एस्टेट सेक्टर में तेजी आयेगी. इससे सर्विस सेक्टर को भी सहारा मिलेगा, जिसे भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ माना जाता है. जीवन रक्षक दवाओं पर टैक्स हटाकर जीएसटी परिषद ने बड़ा कदम उठाया है. इसी तरह स्वास्थ्य बीमा पर 18 फीसदी के भारी-भरकम टैक्स को शून्य पर ले जाने से जनता को तो फायदा होगा ही, बीमा क्षेत्र को भी लाभ होगा. इससे इस क्षेत्र में रोजगार की संभावना भी बढ़ेगी क्योंकि भारत में अब भी 30 फीसदी लोगों के पास ही बीमा है.
शेष लोग किसी भी तरह के सुरक्षा कवच से वंचित हैं. ट्रांसपोर्ट और टूरिज्म ऐसे क्षेत्र हैं, जो बड़ी तादाद में रोजगार देते हैं और इन पर टैक्स घटाकर इन्हें प्रोत्साहित किया गया है. इससे पर्यटन और बढ़ेगा तथा सरकार को मिलने वाले टैक्स में भी वृद्धि होगी. प्रीपेड तथा पोस्टपेड मोबाइल सेवाओं पर टैक्स की दर घटने से कम आय वाले लोगों को राहत मिलेगी, तो इंटरनेट और डीटीएच की दरें घटने से युवा वर्ग को राहत होगी. यानी समाज के हर वर्ग को राहत देने की कोशिश की गयी है. विशेषज्ञों का कहना है कि इस फैसले से मुद्रास्फीति की दर में 1.1 फीसदी की कमी आयेगी.
जीएसटी की दरों में कटौती के फैसले का स्वागत शेयर बाजार ने किया. निवेशक भी इस फैसले से खुश हैं. दरअसल बाजार में मांग की कमी दिख रही थी और यह देखते हुए, कि भारतीय अर्थव्यवस्था खपत पर आधारित है, यह कदम उत्साहवर्धक है. दरअसल इस समय अर्थव्यवस्था को एक एक बूस्टर की जरूरत थी, जो उसे मिल गया है. इससे खरीदारी बढ़ेगी और उसका असर मैन्युफैक्चरिंग पर पड़ेगा, जो अंततः रोजगार बढ़ायेगा. इससे अर्थव्यवस्था के प्रति निवेशकों का विश्वास बढ़ेगा और जीडीपी विकास की दर ऊंची रहेगी, जो इस समय कुलांचे भर रही है, लेकिन जिस पर ट्रंप के टैरिफ का खतरा मडरा रहा है. आयकर में भारी छूट के बाद जीएसटी में बड़ी राहत न केवल महंगाई को नियंत्रित करेगी, बल्कि मध्यवर्ग की खपत की क्षमता को बढ़ावा देगी. लोकतंत्र में टैक्स वसूली ही सब कुछ नहीं है, टैक्स में सुधार करना और उसे जनता के मनमाफिक बनाना भी जरूरी है. जीएसटी काउंसिल ने यह बड़ा कदम उठाकर आर्थिक सुधारों के प्रति अपनी प्रतिबद्धता जतायी है.
पिछले कुछ समय से जीएसटी में सुधार की बहुत मांग की जा रही थी और पक्ष तथा विपक्ष के सांसद भी मुखर हो रहे थे. दरअसल कुछ वस्तुओं पर टैक्स की दरों में विसंगति थी, तो कुछ में अधिकता थी. जैसे, दो तरह के जो सामान मिलकर एक उत्पाद होते हैं, उन पर अलग-अलग टैक्स दरें हैं, जो कारोबारियों के लिए परेशानी का कारण है. जैसे, रेस्तरां में रोटी पर कम टैक्स है, तो परांठे पर ज्यादा. बिना एसी वाले रेस्तरां के लिए अलग दर है, तो एसी वाले के लिए अलग. खुले सामान पर कोई टैक्स नहीं है, लेकिन पैकेट में आते ही उस पर टैक्स लगेगा. ऐसे सैकड़ों उदाहरण हैं, जो जीएसटी की विसंगतियां के बारे में बताते हैं. लेकिन अब नयी घोषणा के बाद सभी तरह की विसंगतियां खत्म हो गयी हैं.
जीएसटी के जरिये कर संग्रह का जो लक्ष्य रखा गया था, वह काफी हद तक पूरा हो गया है. पिछले पांच साल में जीएसटी वसूली दोगुनी हो चुकी है. वर्ष 2024-25 में कुल जीएसटी वसूली 22.08 लाख करोड़ रुपये हो गयी है, जो 9.4 प्रतिशत की दर से बढ़ी है. यह भी एक कारण है कि सरकार टैक्स में कमी करने को तैयार हो गयी. अब सरकार को यह सुनिश्चित करना होगा कि कंपनियां, कारोबारी, दुकानदार, रेस्तरां मालिक टैक्स में कटौती का फायदा ग्राहकों को पहुंचायें. पिछली बार यह देखा गया था कि इसका फायदा खुद कारोबारी अपने सामान या सेवाओं की कीमतें बढ़ाकर हड़प लेते हैं. उम्मीद करनी चाहिए कि अब ऐसा नहीं होगा.
(ये लेखक के निजी विचार हैं.)

