22.1 C
Ranchi

लेटेस्ट वीडियो

पोषण भी पढ़ाई भी: भारत के भविष्य के लिए खेल-आधारित शिक्षा

Primary Education : आज के भारत में, खेल अब सिर्फ मनोरंजन भर नहीं, अपितु नीति है और इसके परिणाम बिल्‍कुल स्‍पष्‍ट और विश्‍वसनीय हैं . पिछले एक दशक में, मोदी सरकार ने प्रारंभिक बाल्‍यावस्‍था के विकास के प्रति अपने दृष्टिकोण को मूलभूत रूप से पुनर्परिभाषित किया है.

Primary Education : यदि हमें विकसित भारत का निर्माण करना है, तो हमें शुरुआत अपने सबसे छोटे नागरिकों की क्षमता के विकास से करनी होगी, जहां से जीवन का आगाज होता है. आंगनबाड़ी केंद्र में बच्चों की खिलखिलाती हंसी में, उनके द्वारा गायी जाने वाली कविताओं में और उनके द्वारा बनाए जाने वाले ब्लॉक में हमारे राष्ट्र के भविष्य का सामर्थ्‍य आकार लेता है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में, भारत ने अपने सबसे छोटे नागरिकों को अपनी विकास यात्रा के केंद्र में रखा है. प्रधानमंत्री ने न केवल विश्वविद्यालयों और डिजिटल बुनियादी ढांचे में निवेश करके, अपितु बच्‍चे के जीवन की पहली कक्षा, आंगनबाड़ी के अतिशय महत्व को पहचानते हुए हमारी राष्ट्रीय प्राथमिकताओं को नए सिरे से परिभाषित किया है.

आज के भारत में, खेल अब सिर्फ मनोरंजन भर नहीं, अपितु नीति है और इसके परिणाम बिल्‍कुल स्‍पष्‍ट और विश्‍वसनीय हैं . पिछले एक दशक में, मोदी सरकार ने प्रारंभिक बाल्‍यावस्‍था के विकास के प्रति अपने दृष्टिकोण को मूलभूत रूप से पुनर्परिभाषित किया है. राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 निर्णायक मोड़ साबित हुई, जिसमें यह स्‍वीकार किया गया कि मस्तिष्क का 85 प्रतिशत विकास छह साल की उम्र से पहले ही हो जाता है. यदि हम स्मार्ट, स्वस्थ और अधिक उपयोगी आबादी चाहते हैं, तो हमें वहां निवेश करना होगा जहां इसकी सबसे ज्यादा जरूरत है-जीवन के शुरुआती छह वर्षों में.

वैज्ञानिक प्रमाण इस बदलाव का समर्थन करते हैं. सीएमसी वेल्लोर के क्लिनिकल महामारी विज्ञान विभाग द्वारा किए गए एक अध्ययन में पाया गया कि जिन बच्चों को 18 से 24 महीने तक व्‍यवस्थित प्रारंभिक बाल्यावस्था देखभाल और शिक्षा (ईसीसीई) मिली, उनके आईक्यू में—पांच साल की उम्र तक 19 अंक तक, और नौ साल की उम्र तक तो 5 से 9 अंक तक की उल्लेखनीय और स्थायी वृद्धि देखी गई. विकासशील भारत के लिए ये वृद्धि बेहद महत्वपूर्ण है.भारत के ये निष्कर्ष वैश्विक शोध के अनुरूप हैं. अंतर्राष्ट्रीय अध्ययनों से पता चलता है कि पांच साल की उम्र से पहले गुणवत्तापूर्ण ईसीसीई कार्यक्रमों में भाग लेने वाले बच्चों में उच्च आईक्यू, बेहतर सामाजिक कौशल और बेहतर शैक्षणिक प्रदर्शन की संभावना 67 प्रतिशत अधिक होती है. जैसा कि नोबेल पुरस्कार विजेता डॉ जेम्स हेकमैन की प्रसिद्ध उक्ति है,जितनी जल्दी शुरुआत,उतने बेहतर परिणाम और उतने ही कुशल रिटर्न. उनके शोध में अनुमान व्‍यक्‍त किया गया है कि प्रारंभिक बाल्‍यावस्‍था में निवेश से 13-18 प्रतिशत तक रिटर्न मिलता है, जो शिक्षा या नौकरी के प्रशिक्षण के किसी भी अन्य चरण से अधिक है.

ईसीसीई के आर्थिक और सामाजिक दोनों ही प्रकार के महत्व को समझते हुए महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने पोषण भी पढ़ाई भी नामक एक पहल शुरू की है, जिसने आंगनवाड़ी केंद्रों को जीवंत प्रारंभिक शिक्षा केंद्रों में तब्‍दील कर दिया है. आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को पहली बार स्थानीय और स्वदेशी सामग्रियों का उपयोग कर गतिविधि-आधारित और खेल-उन्मुख दृष्टिकोणों पर ध्यान केंद्रित करते हुए व्यवस्थित रूप से ईसीसीई में प्रशिक्षित किया जा रहा है.

शिक्षण-अधिगम सामग्री के लिए बजट आवंटन में भी पर्याप्‍त वृद्धि की गई है और मासिक ईसीसीई दिवसों को संस्थागत रूप दिया गया है. आज, आंगनवाड़ी केंद्र केवल पोषण का स्थान नहीं है—यह प्रत्येक बच्चे की पहली पाठशाला है, जो जीवन के सबसे महत्वपूर्ण वर्षों में जिज्ञासा, रचनात्मकता और समग्र विकास का पोषण करती है.
मंत्रालय ने इस परिवर्तन को दिशा देने के लिए 3-6 वर्ष की आयु के बच्चों के लिए प्रारंभिक बाल्यावस्था देखभाल और शिक्षा हेतु राष्ट्रीय पाठ्यक्रम-आधारशिला की शुरुआत की है.

आधारशिला बच्चों के केवल बौद्धिक विकास पर ही नहीं, बल्कि भावनात्मक, शारीरिक और सामाजिक कल्याण पर भी जोर देते हुए समग्र विकास पर केंद्रित है. यह खेल के माध्यम से सीखने की व्‍यवस्थित प्रक्रिया को आगे बढ़ाता है, जिससे बच्चों को सहयोगपूर्ण वातावरण में बढ़ने और फलने-फूलने का अवसर मिलता है.बच्चे खेलने के प्रति सहज रूप से आकर्षित होते हैं . अपनी दुनिया के कोने-कोने को खोज और आनंद के स्थान में तब्‍दील कर देते हैं. सही वातावरण के साथ यह प्रवृत्ति आजीवन सीखने की नींव बन जाती है.

पोषण भी पढाई भी सुरक्षित, व्‍यवस्थित और प्रेरक वातावरण प्रदान करके इस भावना को पोषित करती है जहां बच्चे निर्देशित खेल और शिक्षा के माध्यम से फल-फूल सकते हैं. प्रारंभिक बाल्‍यावस्‍था देखभाल और शिक्षा (ईसीसीई) हमारे देश के भविष्य को आकार देने में बुनियादी भूमिका निभाती है. पोषण भी पढ़ाई भी पहल के तहत, देश भर के आंगनबाड़ी केंद्रों को समग्र प्रारंभिक शिक्षा के लिए पोषण स्थलों में बदला जा रहा है.

व्‍यवस्थित आधारशिला की 5+1 साप्ताहिक योजना यह सुनिश्चित करती है कि दिन की शुरुआत 30 मिनट के उन्‍मुक्‍त खेल से हो, उसके बाद भाषा, रचनात्मकता, मोटर स्किल और सामाजिक संपर्क को बढ़ाने वाली व्‍यवस्थित गतिविधियां हों. दोपहर के पौष्टिक भोजन और आराम के बाद, दिन का समापन बाहरी खेल और बातचीत के साथ होता है, जो मूल्यों को सुदृढ़ करता है और भावनात्मक संबंध बनाता है.

व्‍यवस्थित और निर्बाध खेल के प्रति यह संतुलित दृष्टिकोण अत्यंत महत्वपूर्ण है, खासकर राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 के आलोक में, जिसने औपचारिक स्कूल प्रवेश की आयु को छह वर्ष कर दिया है. व्‍यवस्थित ईसीसीई यह सुनिश्चित करती है कि बच्चे भावनात्मक, सामाजिक और संज्ञानात्मक रूप से स्कूल के लिए तैयार हों. देश भर के अभिभावकों का बढ़ता विश्वास वास्तव में उत्साहजनक है, जो परिवार पहले कभी आंगनवाड़ियों को केवल पोषण केंद्र मानते थे, अब उन्हें अपने बच्चे की शिक्षा की यात्रा में पहला कदम मानते हैं.

भारत में हर बच्चा जन्म से ही मजबूत शुरुआत का हकदार है, जन्म से तीन साल तक की आयु वर्ग के बुनियादी महत्व को समझते हुए मंत्रालय ने प्रारंभिक बाल्यावस्था प्रोत्साहन के लिए राष्ट्रीय ढांचा- नवचेतना की भी शुरूआत की है. यह पहल माता-पिता और देखरेखकर्ताओं को बच्चों के विकास के लिए घर पर ही सरल, खेल-आधारित, आयु के -उपयुक्त गतिविधियों के माध्यम से सशक्त बनाती है.

माता-पिता की भागीदारी बच्चे के विकास की कुंजी है. जहां एक ओर उच्च आय वाले परिवार खिलौनों और किताबों में निवेश कर सकते हैं, वहीं सरकार की भूमिका कम आय वाले परिवारों के लिए समान अवसर प्रदान करने की है. नवचेतना और पोषण भी पढ़ाई भी के माध्यम से, हम भारत के कोने- कोने में हर बच्चे को शुरू से ही आवश्यक प्रोत्साहन, देखभाल और पोषण मिलना सुनिश्चित करते हुए इस अंतर को पाट रहे हैं.

यदि भारत को सही मायनों में विकसित बनना है, तो हमारी युवा पीढ़ी को जीवन की सही शुरुआत के साथ सशक्त बनाना होगा. खेल कोई विलासिता नहीं है, यह सीखने का आधार है.महिला एवं बाल विकास मंत्रालय यह सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है कि भारत के प्रत्येक बच्चे को सीखने, बढ़ने और फलने-फूलने का अवसर मिले क्योंकि राष्ट्र निर्माण की शुरुआत उसके सबसे छोटे नागरिकों के पोषण से होती है.

( लेखिका केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री, भारत सरकार हैं)

अन्नपूर्णा देवी
अन्नपूर्णा देवी
केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

संबंधित ख़बरें

Trending News

जरूर पढ़ें

वायरल खबरें

ऐप पर पढें
होम आप का शहर
News Snap News Reel