21.1 C
Ranchi

लेटेस्ट वीडियो

स्वच्छता सेवाओं में जारी है असमानता

Sanitation Services : रिपोर्ट हालांकि यह भी बताती है कि ग्रामीण इलाकों में धीरे-धीरे सुधार हो रहा है, जबकि शहरी क्षेत्रों में स्थिति जस की तस बनी हुई है. रिपोर्ट का एक चिंतनीय पहलू यह है कि इस संकट का बोझ किशोरियां और महिलाएं ज्यादा उठाती हैं. ज्यादातर देशों में महिलाएं और लड़कियां ही पानी लाने की जिम्मेदारी निभाती हैं.

Sanitation Services : विश्व स्वास्थ्य संगठन और यूनिसेफ ने विश्व जल सप्ताह, 2025 के मौके पर जारी अपनी रिपोर्ट, ‘प्रोग्रेस ऑन हाउसहोल्ड ड्रिंकिंग वाटर एंड सैनिटेशन, 2000-2024 : स्पेशल फोकस ऑन इनइक्वैलिटीज’ में वैश्विक असमानता का जो जिक्र किया है, वह बेहद चिंताजनक है. रिपोर्ट के मुताबिक, दुनिया में 2.1 अरब लोग स्वच्छ पेयजल से वंचित हैं. इनमें से 10.6 करोड़ लोग सीधे नदियों, तालाबों या झीलों से पानी पीने को विवश हैं.

ऐसे ही, 3.4 अरब लोग सुरक्षित शौचालय से वंचित हैं, जिनमें से 35.4 करोड़ लोग अब भी खुले में शौच करते हैं. रिपोर्ट बताती है कि 1.7 अरब लोगों के पास बुनियादी स्वच्छता सेवाएं भी नहीं हैं. इनमें से 6.11 करोड़ लोगों के पास हाथ धोने या स्वच्छता के लिए भी कोई सुविधा नहीं है. यह समस्या भी पूरी दुनिया में एक समान नहीं है. कम विकसित देशों में रहने वाले लोग स्वच्छ पेयजल और शौचालय सुविधाओं के मामले में विकसित देशों की तुलना में दोगुने वंचित हैं. यानी गरीब और ग्रामीण इलाकों में रहने वाले लोग सबसे ज्यादा कठिनाई झेलते हैं.

रिपोर्ट हालांकि यह भी बताती है कि ग्रामीण इलाकों में धीरे-धीरे सुधार हो रहा है, जबकि शहरी क्षेत्रों में स्थिति जस की तस बनी हुई है. रिपोर्ट का एक चिंतनीय पहलू यह है कि इस संकट का बोझ किशोरियां और महिलाएं ज्यादा उठाती हैं. ज्यादातर देशों में महिलाएं और लड़कियां ही पानी लाने की जिम्मेदारी निभाती हैं. इसका सीधा असर उनकी शिक्षा, स्वास्थ्य और जीवन की गुणवत्ता पर पड़ता है. जबकि 70 देशों के आंकड़े बताते हैं कि अधिकांश महिलाओं और किशोरियों के लिए माहवारी के समय बदलने के लिए पर्याप्त जगह और सामग्री नहीं हैं. इस कारण किशोरियां स्कूल नहीं जा पातीं या दूसरे कामों या सामाजिक गतिविधियों में भाग नहीं ले पातीं.

संयुक्त राष्ट्र ने अपने सतत विकास लक्ष्य में 2030 तक हर व्यक्ति को सुरक्षित पानी, शौचालय और स्वच्छता सेवाएं उपलब्ध कराने का लक्ष्य रखा है. लेकिन रिपोर्ट बताती है कि मौजूदा गति से यह लक्ष्य पाना मुश्किल होता जा रहा है. रिपोर्ट में बताया गया है कि भारत में सुरक्षित व साफ पेयजल का उपयोग करने वाले लोगों की संख्या 61 प्रतिशत से बढ़कर 73 फीसदी हो गयी है, जबकि वैश्विक औसत 62 प्रतिशत है. जल जीवन मिशन से ग्रामीण घरों में नल कनेक्शन 2019 के 16.7 प्रतिशत से बढ़कर 2023 तक 62.79 फीसदी हो गया. लेकिन जाहिर है, इस मोर्चे पर अब भी बहुत कुछ किये जाने की जरूरत है.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

संबंधित ख़बरें

Trending News

जरूर पढ़ें

वायरल खबरें

ऐप पर पढें
होम आप का शहर
News Snap News Reel