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भविष्य की ओर बढ़ती भारत-मॉरीशस साझेदारी

India-Mauritius Partnership : भारत ने लंबे समय से मॉरीशस के दावे का समर्थन किया है. चागोस समुद्री क्षेत्र के विकास और निगरानी में भारत की मदद न केवल मॉरीशस की संप्रभुता को मजबूत करती है, बल्कि हिंद महासागर को मुक्त, सुरक्षित और स्थिर बनाये रखने की भारत की प्रतिबद्धता को भी दर्शाती है.

India-Mauritius Partnership : भारत और मॉरीशस ने फिर अपने संबंधों की मजबूती और रणनीतिक गहराई को साबित किया है. मॉरीशस के प्रधानमंत्री नवीनचंद्र रामगुलाम की भारत यात्रा ने दिखाया कि यह रिश्ता केवल सांस्कृतिक और ऐतिहासिक जुड़ाव तक सीमित नहीं रहा, बल्कि सशक्त आर्थिक, रणनीतिक और भू-राजनीतिक साझेदारी में बदल चुका है. जब हिंद महासागर क्षेत्र में बड़ी शक्तियों के बीच प्रतिस्पर्धा तेज हो रही है, तब दोनों प्रधानमंत्रियों की मुलाकात ने स्पष्ट किया कि भारत क्षेत्रीय संतुलन बनाये रखने और अपने करीबी साझेदारों के विकास को समर्थन देने के लिए दृढ़ संकल्पित है.


दोनों देशों के बीच संबंध केवल राजनीति तक सीमित नहीं हैं, बल्कि सदियों पुरानी सभ्यतागत कड़ियों से जुड़े हैं. मॉरीशस में बड़ी संख्या में भारतीय मूल के लोग रहते हैं और यह साझा सांस्कृतिक धरोहर दोनों को गहरे विश्वास और आत्मीयता से जोड़ती है. प्रधानमंत्री मोदी का यह कहना कि ‘भारत और मॉरीशस सिर्फ साझेदार नहीं, बल्कि परिवार हैं’ इसी स्नेह और विश्वास को अभिव्यक्त करता है. भारत ने मॉरीशस को 680 मिलियन डॉलर का विशाल आर्थिक पैकेज देने की घोषणा की, जिसमें 25 मिलियन डॉलर की बजटीय सहायता भी शामिल है. यह पैकेज अनुदान और ऋण, दोनों के रूप में कई परियोजनाओं को गति देगा.

इन योजनाओं में पोर्ट लुईस बंदरगाह का पुनर्विकास, चागोस समुद्री संरक्षित क्षेत्र का विकास और निगरानी, अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर एयर ट्रैफिक कंट्रोल टावर का निर्माण और राष्ट्रीय राजमार्गों व रिंग रोड का विस्तार शामिल है. ये परियोजनाएं केवल बुनियादी ढांचे तक सीमित नहीं हैं, बल्कि मॉरीशस की समुद्री क्षमता को मजबूत करेंगी, उसकी कनेक्टिविटी बढ़ायेंगी और आर्थिक विकास को नयी दिशा देंगी. हिंद महासागर में समुद्री सुरक्षा और समुद्री मार्गों के नियंत्रण की बढ़ती अहमियत को देखते हुए ये कदम भारत के रणनीतिक हितों को सुदृढ़ करेंगे. यात्रा का सबसे अहम पहलू चागोस द्वीपसमूह पर दिया गया जोर था. हाल ही में मॉरीशस ने ब्रिटेन के साथ एक संधि पर हस्ताक्षर किये हैं, जिसने चागोस द्वीपों पर उसकी संप्रभुता को मान्यता दी है, हालांकि डिएगो गार्सिया सैन्य अड्डा ब्रिटेन और अमेरिका के पास रहेगा.

भारत ने लंबे समय से मॉरीशस के दावे का समर्थन किया है. चागोस समुद्री क्षेत्र के विकास और निगरानी में भारत की मदद न केवल मॉरीशस की संप्रभुता को मजबूत करती है, बल्कि हिंद महासागर को मुक्त, सुरक्षित और स्थिर बनाये रखने की भारत की प्रतिबद्धता को भी दर्शाती है. प्रधानमंत्री रामगुलाम का यह कहना कि वह चागोस द्वीप की यात्रा भारतीय पोत से करना चाहेंगे, इस गहरे विश्वास और रणनीतिक समझ को स्पष्ट करता है.


भारत-मॉरीशस के बीच कई समझौतों पर हस्ताक्षर हुए, जो दोनों देशों की बहुआयामी साझेदारी को दर्शाते हैं. मॉरीशस के विशेष आर्थिक क्षेत्र में हाइड्रोग्राफिक सर्वे और नौवहन चार्टिंग में भारत सहयोग करेगा, जिससे कि मॉरीशस अपने समुद्री संसाधनों का बेहतर उपयोग कर सके. ऊर्जा और बिजली क्षेत्र में 17.5 मेगावाट का फ्लोटिंग सोलर पावर प्लांट स्थापित करने और अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी में उपग्रह नेविगेशन व रिमोट सेंसिंग सहयोग पर भी सहमति बनी है. भारत ने मॉरीशस में पहला जनऔषधि केंद्र खोलने की घोषणा की, ताकि सस्ती दवाएं उपलब्ध करायी जा सके.


मॉरीशस हिंद महासागर में भारत की सुरक्षा नीति का अहम अंग है. इस क्षेत्र में चीन की बढ़ती उपस्थिति और बंदरगाह परियोजनाओं को देखते हुए भारत के लिए आवश्यक है कि वह मॉरीशस के साथ अपने संबंधों को मजबूत बनाए. मोदी ने हिंद महासागर को ‘मुक्त, सुरक्षित और स्थिर’ रखने की बात दोहराते हुए यह स्पष्ट किया कि भारत इस क्षेत्र में पहला मददगार और सुरक्षा प्रदाता बनने के लिए तैयार है.
दोनों देशों के बीच 2021 में व्यापक आर्थिक सहयोग और साझेदारी समझौता हुआ था, जो भारत का किसी अफ्रीकी देश के साथ पहला व्यापारिक समझौता है. वर्ष 2000 से 2025 के बीच भारत में एफडीआइ का करीब एक चौथाई हिस्सा मॉरीशस से आया. बदले में भारत मॉरीशस को पेट्रोलियम, दवाएं, अनाज, कपास और समुद्री खाद्य निर्यात करता है, जबकि मॉरीशस से वनीला, चिकित्सा उपकरण, एल्यूमीनियम मिश्र धातु और परिष्कृत तांबा आयात करता है. हालांकि आपसी रिश्तों में चुनौतियां भी हैं.

मॉरीशस की भारतीय सहायता पर निर्भरता उसे अपने साझेदारों में विविधता लाने के लिए प्रेरित कर सकती है. चीन की बढ़ती निवेश गतिविधियां भारत के लिए प्रतिस्पर्धा पैदा करती हैं. समुद्री डकैती, नशीले पदार्थों की तस्करी और अवैध मछली पकड़ने जैसी समुद्री सुरक्षा चुनौतियां भी बनी हुई हैं. इनके बावजूद भारत–मॉरीशस संबंधों की दिशा सकारात्मक है. कोविड-19 महामारी, 2020 के वकासियो तेल रिसाव और 2024 के चक्रवात चिदो के दौरान भारत ने लगातार मदद कर अपनी विश्वसनीयता साबित की है. मॉरीशस भी भारत की ‘पड़ोस प्रथम’ नीति और क्षेत्रीय पहलों का महत्वपूर्ण हिस्सा है. दोनों देशों के बीच गहरी ऐतिहासिक और सांस्कृतिक निकटता भविष्य में इस साझेदारी को और मजबूत आधार प्रदान करती है.
(ये लेखक के निजी विचार हैं.)

आनंद कुमार
आनंद कुमार
डॉ. आनंद कुमार नई दिल्ली स्थित मनोहर पर्रिकर रक्षा अध्ययन एवं विश्लेषण संस्थान (MP-IDSA) में एसोसिएट फेलो हैं। डॉ. कुमार अब तक चार पुस्तकें लिख चुके हैं और दो संपादित ग्रंथों का संपादन कर चुके हैं। उनकी नवीनतम पुस्तक Strategic Rebalancing: China and US Engagement with South Asia है।

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