QS World University Rankings : क्यूएस (क्वाक्वेरेली साइमंड्स) वर्ल्ड यूनिवर्सिटी के 15वें संस्करण में भारत के तीन आइआइटी और दो आइआइएम समेत नौ उच्च शिक्षा संस्थानों का 12 विषयों में शीर्ष 50 में जगह बनाना देश में शिक्षा के बेहतर होते स्तर के बारे में बताता है. क्यूएस वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग 2004 में शुरू हुई थी. यह दुनियाभर के विश्वविद्यालयों के प्रदर्शन का आंकड़ा देती है. विदेश में पढ़ाई के इच्छुक छात्र विश्वविद्यालयों का चयन करते समय रैंकिंग पर खास ध्यान देते हैं. इस बार की रैंकिंग में आइआइटी आइएसएम, धनबाद देश में शीर्ष पर रहा, जिसने खनिज और खनन इंजीनियरिंग में 20वीं रैंकिंग हासिल की.
इसे कुल 100 में 74.7 अंक मिले. पिछली बार इसकी रैंकिंग 41वीं थी. इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी में आइआइटी दिल्ली की 26वीं और इंजीनियरिंग-इलेक्ट्रिकल एंड इलेक्ट्रॉनिक्स में आइआइटी, बॉम्बे की 28वीं रैंकिंग रही. इन दोनों ने अपनी रैंकिंग सुधारी है. हालांकि कई उच्च शिक्षा संस्थानों की कुछ विषयों में रैंकिंग गिरी भी. जैसे आइआइटी, बॉम्बे की खनिज और खनन इंजीनियरिंग में रैंकिंग 25 से घटकर 40 हो गयी, आइआइटी, मद्रास की पेट्रोलियम इंजीनियरिंग में रैंकिंग 22 से गिरकर 27 पर आ गयी. आइआइएम, अहमदाबाद की रैंकिंग 22 से गिरकर 27 पर और आइआइएम, बेंगलुरु की रैंकिंग 32 से गिरकर 40 पर पहुंच गयी.
डेवलेपमेंटल स्टडीज में जेएनयू पिछली बार की 20वीं रैंकिंग से खिसककर 29वीं पर आ गया, तो आइआइटी, खड़गपुर की रैंकिंग घटकर 45 हो गयी. अलग-अलग देशों से रैंकिंग के लिए कितने विषयों में प्रविष्टियां भेजी गयीं, उनसे भी उन देशों में शिक्षा के स्तर का पता चलता है. अमेरिका से 3,686, ब्रिटेन से 1,883, चीन से 1,839 और भारत से 533 प्रविष्टियां भेजी गयी थीं. भारत कुल प्रविष्टियां भेजने के मामले में 12वें और नये संस्थानों की संख्या के मामले में पांचवें स्थान पर रहा. रैंकिंग रिपोर्ट में कहा गया है कि इस वर्ष 79 भारतीय उच्च शिक्षा संस्थानों ने, जो पिछली बार की तुलना में 10 अधिक है, 533 बार सूची में जगह बनायी है, जो पिछली बार से 25.7 प्रतिशत अधिक है. क्यूएस के सीइओ जेसिका टर्नर के मुताबिक, इस वर्ष के नतीजे दिखाते हैं कि भारत तकनीकी नवाचार, अनुसंधान और विषय आधारित शिक्षा के क्षेत्र में खास ध्यान दे रहा है. उच्च शिक्षा के क्षेत्र में भारत का यह प्रदर्शन और आगे बढ़ने का कारण होना चाहिए.