28.7 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Trending Tags:

Advertisement

बेहतर हो स्वास्थ्य सेवा

बेहतर हो स्वास्थ्य सेवा

कुछ दिन पहले एक संसदीय समिति ने रेखांकित किया था कि अगर कोरोना वायरस के संक्रमण के उपचार के लिए निजी अस्पतालों ने अपने दरवाजे पहले खोल देते और उपचार के एवज में बड़ी रकम की मांग नहीं रखते, तो कई लोगों को मरने से बचाया जा सकता था. उल्लेखनीय है कि महामारी के शुरुआती दिनों में सस्ते जांच और उपचार मुहैया करने के लिए अदालतों तक को दखल देना पड़ा था. इस महामारी ने यह भी इंगित किया है कि न केवल शहरों में, बल्कि ग्रामीण और दूरदराज के इलाकों में स्वास्थ्य केंद्रों और चिकित्साकर्मियों की समुचित उपलब्धता सुनिश्चित कराना जरूरी है.

संक्रमित लोगों की बड़ी संख्या को देखते हुए अस्थायी केंद्र बनाने की मजबूरी तो थी ही, स्वास्थ्यकर्मियों को दिन-रात काम भी करना पड़ा था. लगभग सौ साल के बाद देश और दुनिया ने ऐसी महामारी का सामना किया है, लेकिन यह भी सच है कि कई अन्य देशों की तरह हमारे देश के विभिन्न इलाकों में अक्सर जानलेवा बीमारियों का कहर टूटता रहता है. संक्रमित और दूषित पानी से भी बड़ी तादाद में मौतें होती हैं. ऐसे रोगों को सामान्य चिकित्सा और मामूली दवाओं के जरिये ठीक किया जा सकता है.

प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र न होने और निजी अस्पतालों में महंगे इलाज की वजह से कई लोग साधारण बीमारी को अनदेखा कर देते हैं, जो बाद में गंभीर रूप धारण कर लेती है. भारत उन देशों में शामिल है, जो स्वास्थ्य के मद में बहुत कम सरकारी खर्च करते हैं. हमारे देश में यह आंकड़ा सकल घरेलू उत्पादन का सवा से डेढ़ फीसदी के बीच है. ऐसे में निजी अस्पतालों और क्लिनिकों को कमाई का बड़ा मौका मिल गया है. इलाज के खर्च और गुणवत्ता को लेकर निगरानी की कोई ठोस व्यवस्था भी नहीं है.

अनेक रिपोर्टों में बताया गया है कि हमारे देश में हजारों परिवार गंभीर बीमारियों के भारी खर्च की वजह से हर साल गरीबी की चपेट में आ जाते हैं. सरकार ने बीमा योजनाओं और कल्याणकारी कार्यक्रमों के जरिये स्वास्थ्य सेवाओं को सुलभ बनाने की दिशा में अहम कदम उठाये हैं. आगामी सालों में सार्वजनिक खर्च में बढ़ोतरी करने और हर जिले में मेडिकल कॉलेज खोलने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है.

विभिन्न राज्य सरकारें भी अपने स्तर पर प्रयासरत हैं. इसमें कोई दो राय नहीं है कि चिकित्सा में निजी क्षेत्र की बड़ी भागीदारी जरूरी है, किंतु सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवाओं और संसाधनों में बढ़ोतरी भी नीतिगत प्राथमिकता होनी चाहिए. इस महामारी के कारण अन्य कई गंभीर बीमारियों से ग्रस्त लोगों को नियमित इलाज मिलने में बाधा आयी है. तपेदिक, कैंसर, मधुमेह आदि रोग भी बड़ी संख्या में मौतों का कारण बन रहे हैं. इस स्थिति के सबसे बड़े भुक्तभोगी गरीब और वंचित हैं. भारत को स्वस्थ और समृद्ध देश बनाने के लिए हमें अपनी स्वास्थ्य सेवा को बेहतर बनाने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए.

Posted By : Sameer Oraon

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें