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भ्रष्टाचार पर लगाम

भारत ने भ्रष्टाचार के प्रति किसी तरह नरमी नहीं बरतने तथा इससे निपटने के लिए वैश्विक सहयोग बढ़ाने पर जोर दिया है.

भारत की अध्यक्षता में जी-20 समूह के देशों के विभिन्न सम्मेलन आयोजित हो रहे हैं. इसी क्रम में भ्रष्टाचार विरोधी कार्य समूह की चार दिवसीय बैठक चल रही है. इसमें समूह के सदस्य देशों के प्रतिनिधियों के साथ-साथ 10 एसोसिएट डीएसओएन तथा नौ संगठनों के लोग शामिल हैं. इस बैठक का उद्देश्य भ्रष्टाचार की रोकथाम और सार्वजनिक धन को अवैध तरीके से देशों की सीमा से बाहर ले जाने से रोकने के उपायों पर विचार करना है.

वर्ष 2010 में स्थापित हुए इस कार्य समूह ने भ्रष्टाचार रोकने के लिए अंतरराष्ट्रीय सहयोग बढ़ाने की दिशा में महत्वपूर्ण योगदान दिया है. भ्रष्टाचार एक विश्वव्यापी समस्या है. अक्सर ऐसा होता है कि एक देश में जनता से लूटे गये धन को दूसरे देशों में हवाला और अन्य माध्यमों से भेजा जाता है. इस रैकेट के तार नशीले पदार्थों के कारोबार, घातक हथियारों की तस्करी तथा आतंकवाद से भी जुड़े होते हैं.

प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्य मंत्री डॉ जितेंद्र सिंह ने उचित ही रेखांकित किया है कि भ्रष्टाचार से संसाधनों का प्रभावी उपयोग बाधित होता है, शासन में रुकावट आती है तथा बेहद निर्धन और हाशिये के लोग इससे सबसे अधिक प्रभावित होते हैं. भारत ने इस बैठक में इस गंभीर समस्या के प्रति किसी तरह नरमी नहीं बरतने का आह्वान किया है तथा वैश्विक स्तर पर भ्रष्ट एवं अवैध तरीके से कमाये गये धन को पकड़ने के लिए सहयोग बढ़ाने पर जोर दिया है.

उद्घाटन सत्र के बाद डॉ सिंह ने जानकारी दी कि भारत में प्रवर्तन निदेशालय ने पांच वर्षों में लगभग 180 अरब डॉलर की भ्रष्ट कमाई को पकड़ा है. इन मामलों में जिन लोगों को पकड़ा गया है, उनके द्वारा लगभग 272 अरब डॉलर की लूट किये जाने का अनुमान है. वर्ष 2018 में मोदी सरकार ने आर्थिक अपराधियों के विरुद्ध एक विशेष कानून भी बनाया था. जो भ्रष्ट लोग बाहर भाग जाते हैं या अवैध कमाई को भेज देते हैं, उन्हें पकड़ना या उनकी ठीक से जांच एवं पूछताछ करना इसलिए मुश्किल होता है कि हर देश के कानून अलग-अलग हैं.

कई बार एजेंसियां या पुलिस तंत्र का अपेक्षित सहयोग नहीं मिल पाता. अपराधी कानूनी कमियों का फायदा भी उठाते हैं. भ्रष्टाचार विरोधी कार्य समूह की बैठक में इन चुनौतियों पर विचार किया गया है. कुछ समय से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर यह समझ बनने लगी है कि कानूनी पहलुओं पर आपसी सहयोग बढ़ाना जरूरी है क्योंकि भ्रष्टाचार, वस्तुओं और लोगों की तस्करी, नशे, आतंक आदि से कमोबेश सभी प्रभावित होने लगे हैं. परस्पर सहयोग बढ़ने से बैंकों, वित्तीय संस्थाओं और कराधान प्रतिष्ठानों को भी लाभ मिलेगा तथा वैश्विक विकास को भी गति मिलेगी.

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