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आयुष्मान भारत में फर्जीवाड़ा

Ayushman Bharat PMJAY : राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण (एनएचए) ने धोखाधड़ी के खिलाफ कड़ी कार्रवाई के दिशा-निर्देश दिये हैं. इसी के तहत नेशनल एंटी फ्रॉड यूनिट (एनएएफयू) गठित की गयी है, जो राज्य की यूनिट के साथ मिलकर फर्जी दावों और धोखाधड़ी के मामलों की जांच करती है.

Ayushman Bharat PMJAY : नरेंद्र मोदी सरकार की महत्वाकांक्षी योजनाओं में एक आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री-जन आरोग्य योजना में बड़े पैमाने पर फर्जी दावे पेश किये जाने का सरकार का खुलासा बहुत ही चौंकाने वाला है. इस योजना के तहत आर्थिक रूप से कमजोर 40 फीसदी आबादी के 12.37 करोड़ परिवारों के करीब 55 करोड़ लाभार्थियों को हर साल पांच लाख रुपये का हेल्थ कवर दिया जाता है.

हाल ही में 4.5 करोड़ परिवारों के छह करोड़ वरिष्ठ नागरिकों को वय वंदना कार्ड के साथ इस योजना में शामिल किया गया है. राज्यसभा में विगत 11 फरवरी को सरकार ने यह जानकारी दी कि जांच के दौरान निजी अस्पतालों के 562.4 करोड़ रुपये के 2.7 लाख दावे फर्जी पाये गये. सबसे ज्यादा फर्जी दावे उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, हरियाणा और केरल से किये गये थे. करीब दो साल पहले भी भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (कैग) ने अपनी रिपोर्ट में कई चौंकाने वाले खुलासे किये गये थे कि इस योजना के करीब 7.50 लाख लाभार्थियों का मोबाइल नंबर एक ही था, 43,197 घरों में परिवार का आकार 11 से 201 सदस्यों का था, तो कई राज्यों में पेंशनभोगी भी इस योजना का लाभ उठाते पाये गये थे.

इस बार राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण (एनएचए) ने धोखाधड़ी के खिलाफ कड़ी कार्रवाई के दिशा-निर्देश दिये हैं. इसी के तहत नेशनल एंटी फ्रॉड यूनिट (एनएएफयू) गठित की गयी है, जो राज्य की यूनिट के साथ मिलकर फर्जी दावों और धोखाधड़ी के मामलों की जांच करती है. इसी ने फर्जी दावे पकड़े हैं. अभी तक की कार्रवाई के तहत 114 अस्पतालों को पैनल से हटाया गया है और 549 अस्पतालों को निलंबित कर दिया गया है. आयुष्मान भारत योजना के तहत 30,000 से ज्यादा अस्पतालों में इलाज होता है, जिनमें से 13,352 निजी अस्पताल हैं.

जाहिर है, इस योजना के विस्तार के साथ अस्पतालों की संख्या बढ़ेगी, जिनमें निजी अस्पतालों की संख्या भी बढ़ेगी. चूंकि इस योजना में निजी अस्पतालों की भी बड़ी भूमिका से इनकार नहीं किया जा सकता, लिहाजा पैनल से हटाना फौरी तौर पर सही कदम होने के बावजूद इस समस्या का स्थायी हल नहीं हो सकता. सरकार का कहना है कि आयुष्मान भारत योजना के तहत निजी अस्पतालों में फर्जी क्लेम बड़ी चुनौती है. लेकिन फर्जी बिलिंग का स्थायी हल तो सरकार को ही निकालना ही होगा. फर्जीवाड़े के खिलाफ सख्त कदम उठाये जाने पर इस दुष्प्रवृत्ति पर भी देर सबेर अंकुश लगना तय है.

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