Asim Munir : पाकिस्तान की नेशनल असेंबली ने बुधवार को 27वां संवैधानिक संशोधन पास किया. इसके साथ ही सेना प्रमुख फील्ड मार्शल आसिम मुनीर को असीम शक्ति प्राप्त हो गयी. संविधान संशोधन और उससे आसिम मुनीर को मिली अपार शक्ति ने यह साबित कर दिया है कि पाकिस्तान में जो बचा-खुचा लोकतंत्र था, वह भी ध्वस्त हो गया है. भले ही यह ऊपर से दिखाई न दे, परंतु यही वास्तविकता है. एक लोकतांत्रिक देश के लिए यह सामान्य घटना है, पर आज पाकिस्तान की जो स्थिति है, उसे देख कर आश्चर्य भी नहीं होना चाहिए. यह हम सब जानते हैं कि पाकिस्तान के सर्वाधिक लोकप्रिय नेता, इमरान खान, जिसे जनता ने चुना था, जेल में बंद हैं. और जो सेना द्वारा चुनी हुई सरकार है, वही आज पाकिस्तान को चला रही है. इस कारण वर्तमान में जो पाकिस्तान का लोकतंत्र है, जो लोकतांत्रिक सरकार है, उसके ऊपर पहले से ही बहुत से प्रश्नचिह्न लगे हुए हैं. जैसे, क्या इस सरकार को जनता का समर्थन प्राप्त है, क्या वह एक लोकतांत्रिक प्रणाली के तहत चुनी गयी सरकार है, आदि.
यदि आप गौर करें, तो पायेंगे कि जब से आसिम मुनीर सेनाध्यक्ष बने हैं, तब से उनकी शक्तियों में बढ़ोतरी होती रही है. ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद उन्होंने झूठ का सहारा लेते हुए अपने आपको फील्ड मार्शल घोषित कर दिया और इस तरह वह फोर स्टार से फाइव स्टार रैंक के सैन्य अधिकारी बन गये. इतना ही नहीं, ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद तो पाकिस्तान की तरफ से जितनी भी उच्च स्तरीय विदेश यात्राएं हुई हैं, चाहे वह अमेरिका की यात्रा हो, या अन्य देशों की, सभी जगह आसिम मुनीर गये हैं. सबने देखा है कि ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद किस तरह पाक सेना प्रमुख अमेरिका जाकर वहां के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से मिले, उन्हें व्हाइट हाउस में आमंत्रित किया गया और ट्रंप ने उनकी प्रशंसा में दिल खोल दिया, जबकि वह ट्रंप के समकक्ष नहीं हैं.
इतना ही नहीं, विदेश दौरे के तहत जहां-जहां पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ जाते हैं, वहां-वहां उनके साथ आसिम मुनीर भी रहते हैं. किसी भी लोकतांत्रिक प्रणाली में ऐसा नहीं होता है कि देश का शासनाध्यक्ष जहां भी जाये, सेना प्रमुख भी हर जगह उसके साथ रहे. हालांकि यह अप्रत्याशित भी नहीं है, क्योंकि काफी समय से पाकिस्तान के लोग, विश्लेषक इस तरह की अटकलें लगा रहे थे कि शहबाज सेना की कठपुतली हैं, असल में तो सेना ही सरकार चला रही है. पर अब 27वें संविधान संशोधन से इस बात पर मुहर लग गयी है कि प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ नहीं, पाकिस्तान के सेना प्रमुख ही पूरे देश को चला रहे हैं. यह बात भी कोई दबी-छुपी नहीं है कि पाकिस्तान में सैन्य तानाशाही का लंबा इतिहास रहा है. ऐसे में प्रश्न उठता है कि क्या आसिम मुनीर सैन्य तानाशाह बनने की राह पर हैं?
देखा जाये, तो पाकिस्तानी की राजनीति में अब तक जो होता आया है, उससे स्पष्ट है कि वहां हमेशा ही सेना हावी रही है, नागरिक सरकारें वहां बहुत कम चली हैं. और जो चली भी हैं, उनका तख्तापलट हो गया है. यह दुर्भाग्यपूर्ण ही है कि वर्तमान में दिखावे की जो सरकार पाकिस्तान में चल रही थी, उसकी लगाम भी पूरी तरह सेना प्रमुख के हाथों में आ गयी है. संविधान संशोधन के तहत आसिम मुनीर ने अपने आप को चीफ ऑफ डिफेंस फोर्सेज (सीडीएफ) घोषित कर लिया है. और चूंकि वह पहले से ही फील्ड मार्शल हैं, सो उनका कद बहुत बढ़ गया है. संविधान संशोधन के तहत जो दूसरी बात हुई है, वह यह कि मुनीर के विरुद्ध किसी तरह की कोई कानूनी कार्रवाई अब नहीं हो सकती. इस तरह मुनीर पाकिस्तान के भीतर सबसे महत्वपूर्ण और सबसे शक्तिशाली व्यक्ति बन गये हैं. अब वह जो भी चाहे कर सकते हैं, उनका कोई कुछ बिगाड़ नहीं सकता है. आसिम मुनीर का इतना शक्तिशाली हो जाना भारत के लिए अच्छा नहीं है.
यदि आप मुनीर के व्यक्तित्व पर ध्यान दें, तो पायेंगे कि जब से वह सेना प्रमुख बने हैं, और उसके बाद से जिस तरह उनका कद बढ़ा है, उसमें भारत का संदर्भ भी जुड़ा हुआ है. पहलगाम हमले के पहले जो भाषण उन्होंने दिया था, वह पूरी तरीके से भड़काऊ और विभाजनकारी था. इस तरह के बयान आम तौर पर वहां के सेना प्रमुख नहीं दिया करते. कम ही मौके ऐसे आये हैं, जब पाक सेना प्रमुख ने मुनीर की तरह विभाजनकारी और धार्मिक उन्माद फैलाने वाले भाषण दिये हैं. मुनीर के बयान के बाद ही भारत में पहलगाम हमले को आतंकियों ने अंजाम दिया था. उसके बाद भारत ने पाक स्थित आतंकी ठिकाने नष्ट करने के लिए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ को अंजाम दिया.
तस्वीरें इस बात की साक्षी हैं कि ‘ऑपरेशन सिंदूर’ में मारे गये आतंकियों के अंतिम संस्कार में पाकिस्तानी सेना के अधिकारी और जवान मौजूद थे. यह बात साबित करती है कि मुनीर आतंकियों के सरपरस्त हैं. चूंकि मुनीर अब पाकिस्तान के सर्वाधिक शक्तिशाली व्यक्ति बन गये हैं, ऐसे में उनको पाकिस्तान में खुली छूट होगी कि वह जो चाहें वह कर सकते हैं. सो, अब वह जब भी राजनीतिक संकट में होंगे, भारत के खिलाफ कोई न कोई नापाक हरकत जरूर करेंगे.
इन बातों को ध्यान में रखते हुए भारत को बहुत सावधानी बरतने की जरूरत है. भारत को यह मानकर चलना होगा कि जब तक मुनीर पाकिस्तान में शक्तिशाली बने रहेंगे, जब तक पाक सेना पर उनकी पकड़ मजबूत रहेगी, तब तक वह भारत के लिए कठिनाइयां उत्पन्न करते रहेंगे. इसमें किसी भी तरह का संशय नहीं होना चाहिए. उपरोक्त सभी घटनाक्रम को देखते हुए भारत की खुफिया एजेंसी को और सचेत होना पड़ेगा और हमें अपनी सीमाओं पर भी और सतर्क रहने की आवश्यकता है. इस मामले का कूटनीतिक हल निकालने की भी जरूरत है. भारत को चाहिए कि वह अंतरराष्ट्रीय समुदाय को सचेत करे, उन्हें बताये कि जब भी कभी पाकिस्तान के अंदर सेना इतनी शक्तिशाली हुई है, उससे दुनिया में विध्वंस मचा है और उससे किसी का भला नहीं हुआ है. हमें साफ तौर पर यह दिखाना पड़ेगा कि मुनीर के कारण किस तरीके से पाकिस्तान के अंदर अब आतंकियों को खुले तौर पर शरण मिलने की आशंका है. हमें अंतरराष्ट्रीय समुदाय को पाकिस्तान की सच्चाई दिखानी होगी और उन्हें यह भी समझाना होगा कि पाकिस्तान के अंदर किस तरह से लोकतंत्र को दरकिनार कर सेना, बिना किसी तख्तापलट के, बड़े आराम से राजनीति को नियंत्रित कर रही है.
(बातचीत पर आधारित)
(ये लेखक के निजी विचार हैं.)

