हमारे देश में आज समान नागरिक संहिता को लेकर बहसें चल रही हैं. सरकार कह रही है कि कानून सबके लिए है, लेकिन मुसलिम समाज इसे मानने से इनकार कर रहा है़ उसका मानना है कि यह उनके शरीयत जैसे कानून को तोड़नेवाली बात है़
यदि देश में समानता लानी है तो इसे लागू कर देना चाहिए. इसके साथ ही बहुपत्नी प्रथा को भी बंद कर देना चाहिए़ लेकिन, इस कोशिश का आधार महज राजनीतिक नहीं होना चाहिए़ किसी खास धर्म को लक्ष्य करने के बजाय, यह कोशिश की जानी चाहिए कि इसके तहत सभी धर्मों में व्याप्त कुरीतियां दूर हों.
सुमंत झा, रातू रोड, रांची