युवाओं के देश भारत में बेरोजगारी की विकट स्थिति, सूखे की उत्पन्न महासंकट, खुदरा महंगाई और सेंसेक्स की अस्थिर चाल के बीच यदि यह खबर आये कि रोजगार के मोरचे पर संभावनाएं बेहतर हो रही हैं, तो यह करोड़ों लोगों के लिए अच्छे दिन की उम्मीद जगानेवाली खबर कही जायेगी.
‘टीमलीज’ के ‘एंप्लायमेंट आउटलुक रिपोर्ट’ के मुताबिक, अप्रैल से सितंबर, 2015 की छमाही में भारत में रोजगार संभावनाओं में चार फीसदी की वृद्धि हुई है और यह पिछले तीन साल के उच्चतम स्तर पर रही है. जॉब संभावनाओं में वृद्धि में रिटेल, ई-कॉमर्स, सूचना तकनीक (आइटी), टेलीकम्युनिकेशंस और उपभोक्ता वस्तुओं के क्षेत्र का सर्वाधिक योगदान रहा है.
दूसरी ओर आर्थिक मामलों के विशेषज्ञ बताते हैं कि देश के सतत विकास के लिए जरूरी है कि उत्पादन और ढांचागत निर्माण से जुड़े क्षेत्रों में तेजी से विकास हो. इसके मद्देनजर मोदी सरकार ‘मेक इन इंडिया’ एवं अन्य महत्वाकांक्षी पहलों के जरिये उत्पादन, इंजीनियरिंग व ढांचागत विकास के जिन आठ क्षेत्रों- टेक्सटाइल, चमड़ा उत्पाद, ऑटोमोबाइल, ज्वैलरी, मेटल, बीपीओ, ट्रांसपोर्ट और हैंडलूम व पावरलूम- में नये रोजगार पैदा करने पर ध्यान देने की बात कह रही है, वहां उक्त छमाही में संभावनाओं में कमी ही दर्ज की गयी है.
फिलहाल उम्मीद है कि इन क्षेत्रों में सरकारी पहल का असर दिखेगा और देश में रोजगार की स्थिति तेजी से सुधरेगी. यहां एक महत्वपूर्ण सवाल भी है कि क्या रोजगार के नये मौकों को भुनाने के लिए हमारे युवा तैयार हैं? हाल के तमाम सर्वे बताते हैं कि अर्थव्यवस्था की बदलती जरूरतों के अनुरूप कौशल-निर्माण कर पाने में भारत अभी बहुत पीछे है. इसी साल आयी एस्पाइरिंग माइंड्स की रिपोर्ट के मुताबिक, देश के 80 फीसदी इंजीनियरिंग स्नातक रोजगार देने के काबिल नहीं है.
इसमें दो राय नहीं कि अर्थव्यवस्था का तेज और सतत विकास तभी संभव है, जब सरकार अपने मानव संसाधन को प्रौद्योगिकी आधारित आधुनिक ज्ञान से संपन्न करने पर ठोस कार्ययोजना के साथ जरूरी निवेश करे. अच्छी बात है कि सरकार ‘स्किल इंडिया’ के तहत करोड़ों युवाओं को हुनरमंद बनाने का इरादा जता रही है, लेकिन इस दिशा में ठोस कार्ययोजना के साथ समयबद्ध प्रयास जरूरी है.