पिछले दिनों धनबाद में नकल के आरोप में निष्कासन से आहत छात्रा ने कॉलेज गेट पर बस से टकरा कर जान दे दी. ऐसी परिस्थिति में परिजनों का आपा खोना लाजिमी है. लेकिन, इस मुद्दे पर छात्र नेताओं की राजनीति समझ से परे है. कॉलेजों में तालाबंदी, परीक्षा व शिक्षण व्यवस्था को प्रभावित करना, जायज नहीं है.
नकल रोकना कहीं से गलत नहीं है. क्योंकि, ऐसा न करना छात्रों को पढ़ने के लिए प्रोत्साहित न करने जैसा होगा. दूसरी ओर, आवेश में यदि आप शिक्षकों पर गंभीर आरोप मढ़ते हैं, तो फिर यह सोचना होगा कि कहीं उनकी छात्रा के साथ निजी दुश्मनी तो नहीं थी. यदि ऐसा नहीं है, तो इतना बखेड़ा करने के पूर्व सोचने की जरूरत थी. ऐसे मामलों में शिक्षकों व अभिभावकों को सजग रहने की जरूरत है.