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अब राष्ट्रीय विमर्श

जदयू के अध्यक्ष पद की कमान संभालने के बाद नीतीश कुमार राष्ट्रीय फलक पर उस मुद्दे को ले जाना चाहते हैं जिसकी चर्चा पूरे देश में है. यह मुद्दा शराबबंदी का है. इस महत्वपूर्ण मसले को नीतीश कुमार सामाजिक बदलाव का बड़ा औजार मान रहे हैं. जब शराबबंदी की घोषणा हुई, तो अनेक आशंकाएं जतायी […]

जदयू के अध्यक्ष पद की कमान संभालने के बाद नीतीश कुमार राष्ट्रीय फलक पर उस मुद्दे को ले जाना चाहते हैं जिसकी चर्चा पूरे देश में है. यह मुद्दा शराबबंदी का है. इस महत्वपूर्ण मसले को नीतीश कुमार सामाजिक बदलाव का बड़ा औजार मान रहे हैं. जब शराबबंदी की घोषणा हुई, तो अनेक आशंकाएं जतायी जा रही थीं, पर इसे व्यापक समर्थन मिला. क्या इसे सामाजिक चिंतन में बदलाव नहीं माना जाये? उल्लेखनीय है कि महिलाओं ने शराब के खिलाफ आवाज उठायी थी और अब उनकी पहचान मजबूत मतदाता वर्ग के बतौर कायम हो चुकी है. यह कोई मामूली बदलाव नहीं है. आमतौर पर राजनीति सामाजिक मुद्दों पर सीधे हाथ डालने से बचती है.

यदि मामला शराब जैसी चीज से जुड़ा हो, तो सतर्कता और भी बढ़ जाती है. पर इस फैसले से जाहिर है कि राजनीति सामाजिक मुद्दों के साथ खुद को खड़ा करे, तो नये मुहावरे गढ़े जा सकते हैं. राजनीति के माध्यम से यही काम अब नीतीश कुमार राष्ट्रीय स्तर पर करना चाहते हैं. शराब के खिलाफ उत्तरप्रदेश और झारखंड से उन्हें मिले न्योते का मतलब यही है कि वे समाज भी शराब से तबाह हैं. कुछ सरकारें अपने राज्यों में शराबबंदी पर गंभीर हुई हैं. हालांकि शराबबंदी को राष्ट्रीय स्तर पर पहुंचाना बड़ी चुनौती है.

शायद उन चुनौतियों को नीतीश कुमार भी समझ रहे हैं. सरकारें तो आती-जाती हैं, पर संगठन की निरंतरता लोक जीवन में बनी रहती है. यही वजह है कि वे संगठन के जरिये अभियान चलाने की बात कर रहे हैं. सरकार की जगह वह संगठन को जनता के बीच ले जाना चाहते हैं.

बड़े बदलाव में संगठन की भूमिका ही अहम होती है. सच तो यह है कि राजनीति ने सामाजिक मुद्दों पर पहल करना लगभग छोड़ ही दिया था. नीतीश कुमार की यह पहल राजनीति में हवा के ताजे झोंके की तरह है. सरकारें या राजनीतिक पार्टियां सामाजिक जीवन से जुड़े मुद्दों पर मुखर हो जायें, तो इससे बदलाव की धारा फूटेगी. साथ ही, राजनीति के प्रति व्याप्त वितृष्णा का भाव भी खत्म होगा. बिहार का यह प्रयोग इंगित करता है कि सामाजिक जीवन से जुड़ कर राजनीति जरूरी मुद्दों को राष्ट्रीय विमर्श का एजेंडा बना सकती है.

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