केंद्रीय बजट सत्र में सरकार एक विधेयक लानेवाली है. इसमें पंचायतों में महिलाओं की 50 फीसदी भागीदारी सुनिश्चित की जायेगी़ साथ ही महिलाओं को पांच के बदले दस वर्ष अर्थात लगातार दो कार्यकाल का अवसर भी मिलेगा़ परंतु, अभी तक संसद व प्रांतीय सदनों के लिए इस संबंध मे कोई प्रस्ताव या विधेयक लाने की कोई चर्चा नहीं हो रही है़ ऐसा क्यों?
यह जनता की समझ से परे है़ उच्च स्तर पर नेतृत्व में भागीदारी नहीं रहने के कारण शायद आधी आबादी के इस हक पर उठनेवाली आवाज दब कर रह जाती है़ शिक्षा के क्षेत्र में आज भी राष्ट्रीय स्तर पर स्त्रियों की भागीदारी पुरुषों से कम है़ अतः गांव की पंचायत समेत देश की पंचायत में जिस दिन आधी आबादी को जगह मिल जायेगी, उस दिन ही सचमुच का सामाजिक न्याय का दर्शन इस देश को सुलभ हो सकेगा.
-महादेव डुंगरिआर, तालगड़िया