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शोषण के शिकार लोगों को भी दें राहत

जनवरी, 2016 से तृतीय व चतुर्थ वर्ग की नौकरियों के लिए होनेवाले साक्षात्कार को हटाने का प्रधानमंत्री का फैसला काबिल-ए-तारीफ है. वास्तव में इंटरव्यू के दौरान अभ्यर्थिय‍ों को काफी मानसिक तनाव होता था. इस निर्णय से शोषण का शिकार रहे लोगों को भी आशा बंधी है कि उनके साथ भी आज नहीं तो कल न्याय […]

जनवरी, 2016 से तृतीय व चतुर्थ वर्ग की नौकरियों के लिए होनेवाले साक्षात्कार को हटाने का प्रधानमंत्री का फैसला काबिल-ए-तारीफ है. वास्तव में इंटरव्यू के दौरान अभ्यर्थिय‍ों को काफी मानसिक तनाव होता था. इस निर्णय से शोषण का शिकार रहे लोगों को भी आशा बंधी है कि उनके साथ भी आज नहीं तो कल न्याय जरूर होगा. खासकर झारखंड के शिक्षकों में.
ठीक है कि प्रदेश में अप्रशिक्षित शिक्षकों की नियुक्ति बिना किसी लिखित परीक्षा के हुई. यह भी सच है कि ये नियुक्तियां सरकार के ही निर्णय से हुई. जो शिक्षक नियुक्ति के समय अप्रशिक्षित थे, अब पूर्णतया प्रशिक्षित हो चुके हैं. शिक्षा का अधिकार अधिनियम के मापदंडों को भी पूरा करते हैं. शिक्षा को बाढ़ावा देने के लिए बने सभी प्राधिकारों ने माना है कि टेट की परीक्षा पास करना काफी कठिन है. बहुत कम लोग इसमें पास हो पाते हैं.
70-80 प्रतिशत अंक लानेवाले भी प्राथमिक शिक्षक बनने से मात्र इसलिए वंचित किये जा रहे हैं, क्योंकि उन्होंने निष्ठापूर्वक मात्र 7000-8000 रुपये में शिक्षक की नौकरी लंबे समय तक की. जहां तक हमने सुना व जाना है, यदि कोई व्यक्ति किसी विभाग में लगातार 10-12 वर्ष तक बेदाग रहते हुए सेवा देता है, तो बिना किसी जांच के कर्मचारी को स्वतः प्रोन्नति मिल जाती है.
परंतु यहां उल्टा हो रहा है. एक ओर आरक्षण के नाम पर अघोषित प्रतिबंध लगाया जा रहा है, तो दूसरी ओर यदि कोई स्वार्थवश अन्यत्र नौकरी करने चला जाये और वह आज के समय में शिक्षक बनने की न्यूनतम अर्हता पूरी करता हो, उसे नौकरी में प्राथमिकता दी जा रही है. वहीं, 12 वर्षों से निष्ठापूर्वक शिक्षण कार्य करने और टेट में 70-80% अंक लानेवालों को नौकरी से निकाला जा रहा है.
– बाबूचंद साव, दुगदा ,बोकारो

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