झामुमो के राजनीतिक गढ़ रहे संताल परगना के सपने क्या सच होने वाले हैं? मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने स्थापना दिवस पखवारा का समापन कार्यक्रम भोगनाडीह में रख कर अपने कार्यक्षेत्र को फोकस किया है.संताल परगना के लोग, जिस विकास के सपने देख रहे थे, उसे पूरा करने की आधारशिला मुख्यमंत्री ने इन चार दिवसीय दौरे में रखी है. सोनारायठाढ़ी में ग्रिड का शिलान्यास इस दिशा में अहम कदम हो सकता है. वहीं मुख्यमंत्री ने अपने इस दौरे में पहली बार लोगों को यह अहसास कराया कि उनको अपने गृह क्षेत्र की सुधि है. यहां के अधिकारियों को भी चेताया.
करोड़ों की योजनाओं का शिलान्यास व उद्घाटन किया. देखा जाये तो इसमें राजनीतिक लाभ भी छिपा हो सकता है, लेकिन इसका दूसरा पहलू यह भी है कि संताल परगना में पहली बार किसी मुख्यमंत्री ने यह दिखा दिया कि अब बारी इस क्षेत्र की ही है. हां, यह देखना अहम है कि जिन-जिन योजनाओं की उन्होंने आधारशिला रखी, उसकी मॉनटिरिंग कितनी होती है.
योजनाएं समय पर पूरी होती है या नहीं? चूंकि सरकार के पास समय कम है. मुट्ठी से रेत की तरह फिसलते इस समय में हेमंत सरकार को कुछ ऐसा कर दिखाना है, जिससे झारखंड का यह इलाका रोशन हो सके. लोगों की उम्मीदें पूरी हों. आखिर लोगों का हक भी है कि वह राज्य के मुखिया हेमंत सोरेन के समक्ष अपनी बातों को रखें. इन्हीं के वोट की बदौलत वे मुख्यमंत्री बने हैं.
दौरे की सबसे अच्छी बात यह रही है कि मुख्यमंत्री ग्रामीणों से सीधे रू-ब-रू हुए. आम ग्रामीण लोगों ने भी बड़ी सहजता से मुख्यमंत्री के समक्ष अधिकारियों की शिकायत की. अब जरा संताल परगना की राजनीतिक पृष्ठभूमि देखें . यहां की तीन लोकसभा सीटों में से दो पर भाजपा का कब्जा है. हेमंत सोरेन ऐसा कभी नहीं चाहेंगे कि आगामी चुनाव में भी ऐसा हो. उन्होंने इसकी तैयारी भी अपने इस दौरे से शुरू कर दी है.
कार्यकर्ताओं के साथ रणनीति बनायी गयी. मुख्यमंत्री का चार दिवसीय दौरा कई मायने में यहां के लिए महत्वपूर्ण रहा. वहीं, आनन-फानन में मुख्यमंत्री के हाथों कई ऐसी योजनाओं का भी उद्घाटन करा लिया गया, जिसका पहले भी उद्घाटन हो चुका है. ऐसी खामियों को अविलंब दूर करने की जरूरत है.