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सरकार का यह कैसा है निर्णय?
पिछले दिनों मैंने जब समाचार पत्र के माध्यम से जाना कि कई दशकों से चले आ रहे हिंदी विद्यापीठ देवघर की मान्यता कार्मिक विभाग ने पूर्व की तिथि से समाप्त करने की घोषणा कर दी है, तो मैं झारखंड हाइकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश, झारखंड सरकार के मुख्य सचिव और माननीय मुख्यमंत्री को यह जानकारी देना […]
पिछले दिनों मैंने जब समाचार पत्र के माध्यम से जाना कि कई दशकों से चले आ रहे हिंदी विद्यापीठ देवघर की मान्यता कार्मिक विभाग ने पूर्व की तिथि से समाप्त करने की घोषणा कर दी है, तो मैं झारखंड हाइकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश, झारखंड सरकार के मुख्य सचिव और माननीय मुख्यमंत्री को यह जानकारी देना चाहूंगा कि यह फैसला न्यायसंगत है.
सवाल यह पैदा होता है कि आखिर ऐसे संस्थानों के बने रहने का क्या फायदा, जब उससे किसी के भविष्य का निर्माण ही न हो? आज कितने छात्र इस संस्थान से पास होकर रोजगार पाने में सफल हुए हैं?
कितने छात्रों ने उच्च योग्यता हासिल की है? कार्मिक विभाग ने पत्रंक संख्या 6063, दिनांक 23.11.2003 के जरिये झारखंड सरकार की स्थायी नौकरी में यहां की डिग्री को मान्यता प्रदान की थी. अब क्या इसकी मान्यता निरस्त करने को संविधान स्वीकार करेगा?
मनीष आनंद, गोड्डा
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