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इसरो की कामयाबी

पूर्व राष्ट्रपति एवं प्रसिद्ध वैज्ञानिक एपीजे अब्दुल कलाम कहा करते हैं कि ‘सपना वह नहीं होता जिसे आप सोती आंखों से देखते हैं, सपना तो वह होता है जो आपको पूरा होने से पहले सोने ही नहीं देता.’ स्वदेशी क्रायोजेनिक इंजन का निर्माण भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान (इसरो) का एक ऐसा ही सपना रहा है. […]

पूर्व राष्ट्रपति एवं प्रसिद्ध वैज्ञानिक एपीजे अब्दुल कलाम कहा करते हैं कि ‘सपना वह नहीं होता जिसे आप सोती आंखों से देखते हैं, सपना तो वह होता है जो आपको पूरा होने से पहले सोने ही नहीं देता.’
स्वदेशी क्रायोजेनिक इंजन का निर्माण भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान (इसरो) का एक ऐसा ही सपना रहा है. अब उच्चशक्ति के स्वदेशी क्रायोजेनिक इंजन के जमीनी परीक्षण में एक और सफलता के साथ इसरो ने देश का सिर गर्व से ऊंचा कर दिया है.
यह कामयाबी भारत के लिए कई मायनों में महत्वपूर्ण है. पहली बात देश के स्वाभिमान से जुड़ी है. दो दशक पूर्व जार्ज बुश (सीनियर) ने मिसाइल रोधी तकनीक के प्रसार पर नियंत्रण की नीति अपनायी और बिल क्लिंटन के वक्त में इसी नीति के कारण रूस के बोरिस येल्तिसिन के साथ अमेरिका की सहमति बनी कि रूस भारत को सात क्रायोजेनिक इंजन देगा, पर तकनीक नहीं देगा.
यह एक तरह से क्रायोजेनिक इंजन की तकनीक को चंद विकसित देशों की निजी संपदा बनाये रखने का प्रयास तो था ही, भारतीय वैज्ञानिकों को संकेत भी था कि अभी आपकी प्रतिभा इतनी प्रचंड नहीं हुई है कि क्रोयोजेनिक इंजन जैसा जटिल उपकरण बना सके. दूसरी बात भारत के अनुभवों से जुड़ी है.
2001 से 2007 के बीच भारत ने पांच जीएलएलवी उपग्रह अंतरिक्ष में छोड़े, जिनमें से तीन प्रक्षेपण ही सफल रहे. ये प्रक्षेपण रूसी क्रायोजेनिक इंजन के जरिये हुए, जिनमें दो की असफलता के बीच स्वदेशी इंजन की जरूरत ज्यादा महसूस हुई. हालांकि क्रायोजेनिक इंजन के विकास को बड़ा झटका 2010 में लगा, जब बरसों की मेहनत से तैयार इंजन के जरिये छोड़ा गया जीएसएटी-4 उपग्रह बंगाल की खाड़ी में गिर पड़ा.
भारत ने अब उच्च शक्ति के क्रायोजेनिक इंजन के जमीनी परीक्षण में सफल होकर अपनी वैज्ञानिक प्रतिभा का लोहा मनवाया है. तीसरी बात उपग्रह प्रक्षेपण के बढ़ते बाजार में धाक जमाने से जुड़ी है. हाल ही में इसरो ने पीएसएलवी-सी28 के जरिये पांच ब्रिटिश व्यावसायिक उपग्रहों का प्रक्षेपण किया है. भारत 19 देशों के 45 उपग्रह अंतरिक्ष में भेज चुका है और ऐसी क्षमतावाले चार देशों में एक है.
उच्चशक्ति के क्रायोजेनिक इंजन के विकास से भारत अरबों डॉलर के प्रक्षेपण बाजार में ज्यादा विदेशी मुद्रा प्राप्त कर सकेगा. अब अचरज नहीं होगा यदि 100 से ज्यादा अंतरिक्ष अभियानों को पूरा करनेवाला इसरो जल्द ही अपने क्रायोजेनिक इंजन के बूते देश की धरती से अंतरिक्ष में भारतीय अंतरिक्ष यात्री भेजने में सफल होता दिखे.

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