हर महीने एक सुनिश्चित राशि के भुगतान के बाद सीजीएचएस (केंद्र सरकार स्वास्थ्य योजना) द्वारा केंद्रीय कर्मचारियों को चिकित्सा सुविधा उपलब्ध करायी जाती है. रांची में सीजीएचएस के तीन स्वास्थ्य केंद्र (वेलनेस सेंटर) हैं जहां पेंशनभोगियों को चिकित्सा सुविधा उपलब्ध करायी जाती है. जहां सेवारत कर्मचारियों से प्रति माह भुगतान लिया जाता है, वहीं पेंशनभोगियों से पूरी जिंदगी के लिए भुगतान एकसाथ ले लिया जाता है. सीजीएचएस का यह नियम अमानवीय है.
ऐसा ही एक अन्य नियम यह है कि सेवानिवृत्ति के दूसरे दिन से ही कर्मचारियों के लिए सीजीएचएस की सुविधा बंद कर दी जाती है. जो तब तक बंद रहती है जब तक कि पेंशनर के नाम नया मेडिकल कार्ड नहीं बन जाता है. यहां तक कि इमरजेंसी की स्थिति में भी कार्ड नहीं बनने तक सुविधा बंद रहती है. बता दें कि कार्ड बनवाने में कम से कम 15 दिन का समय लगता है. कई बार इससे ज्यादा भी वक्त लग सकता है. यदि इस दौरान किसी सेवानिवृत्त कर्मचारी या उसके परिवार को अचानक इलाज की जरूरत पड़ जाये, तो वह क्या करेगा? इसलिए, सीजीएचएस का यह नियम बड़ा ही अमानवीय और अव्यावहारिक है, जिसे बिना देर किये निरस्त कर दिया जाना चाहिए. सेवा के दौरान जो कार्ड बनता है, वह पेंशनर वाला मेडिकल कार्ड बनने तक मान्य रहना चाहिए.
सेवानिवृत्ति के समय कर्मचारी वरिष्ठ नागरिक हो चुका होता है. वरिष्ठ नागरिकों को नियमित चिकित्सकीय देखरेख की जरूरत होती है. प्रभात खबर के माध्यम से मैं केंद्र सरकार से अनुरोध करना चाहता हूं कि वह सीजीएचएस के नियमों में जल्द से जल्द बदलाव करे.
एम जेड खान, डाक विभाग से सेवानिृवत्त, रांची