10.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

नियोजित शिक्षकों के नाम छात्रों का पत्र

अजय पांडेय प्रभात खबर, गया आरदरणीय मास्टर साहेब, आप लोगों ने स्कूलों में हड़ताल कर बच्चों पर बड़ी कृपा की है. कोई टेंशन नहीं है. भर दुपहरिया टिकोरा लूट रहे हैं. कुकुहा खेल रहे हैं. बस, स्कूल की तरह दोपहर का खाना नहीं मिल रहा है. लेकिन, सोचिए आपकी हड़ताल से हमारा क्या होगा? अभी […]

अजय पांडेय
प्रभात खबर, गया
आरदरणीय मास्टर साहेब,
आप लोगों ने स्कूलों में हड़ताल कर बच्चों पर बड़ी कृपा की है. कोई टेंशन नहीं है. भर दुपहरिया टिकोरा लूट रहे हैं. कुकुहा खेल रहे हैं. बस, स्कूल की तरह दोपहर का खाना नहीं मिल रहा है. लेकिन, सोचिए आपकी हड़ताल से हमारा क्या होगा? अभी तो मजा है, लेकिन भविष्य भी तो हमारा ही दावं पर लगा है. आपलोग स्कूलों से बच्चों को भगा रहे हैं. ताले लगा दे रहे हैं. बड़े-बुजुर्ग मास्टरों को स्कूल नहीं खोलने की चेतावनी दे रहे हैं.
इनमें तो कई आपके भी मास्टर रहे होंगे, उनका भी सम्मान नहीं कर रहे. आपलोग जिस मांग को लेकर घड़ा रैली, शवयात्र, मोटरसाइकिल जुलूस और बिहार बंद करवा रहे हैं, उसके बारे में हम बच्चे तो ज्यादा नहीं समझ रहे, लेकिन इतना जरूर जानते हैं कि आपलोग अपने पैसे बढ़वाने की मांग कर रहे हैं. यह ठीक है कि आपका जितना हक है, उतना मिलना चाहिए. जितना काम कर रहे हैं, उसके बराबर तनख्वाह मिलनी चाहिए. लेकिन, आपने कभी सोचा है कि हमारे घरों में क्या होता है. हमारे पिताजी कितना कमाते हैं.
मेरे पिताजी आइसक्रीम बेचते हैं. एक दिन मैंने उनकी कमाई पूछी, तो बताया कि एक आइसक्रीम बेचने पर उनको चार आना (25 पैसा) मिलता है. दिनभर में 500 आइसक्रीम बेचते हैं, उस हिसाब से एक दिन में 125 रुपये, यानी महीने के 3750 रुपये. इतने कम रुपये में क्या होता है? खेत-बाड़ी भी इतनी नहीं है कि साल भर का अनाज-पानी हो जाये.
मास्टर साहेब, हमारे गांव में एक टिमल चाचा हैं. एक दिन गेहूं के खेत में गये. गेहूं में दाना नहीं देख कर उनको पता नहीं क्या हुआ, घर आकर बेहोश हो गये और मर गये. उनका बड़ा बेटा मेरे साथ स्कूल जाता है. बाकी तीन अभी छोटे हैं. जो मेरे साथ पढ़ता है, उसने कसम खायी है कि वह खूब पढाई करेगा. खेती नहीं करेगा. लेकिन, आपलोगों का जो रवैया है, उससे उसके सपने कैसे पूरे होंगे?
सुने हैं कि आपलोगों ने पटना में राष्ट्रपति पुरस्कार प्राप्त एक शिक्षक के मुंह पर कालिख पोत दी है. आखिर, इसमें उनकी क्या गलती थी? कालिख पोत देने से आपको क्या मिलेगा? क्या आपने कभी सोचा है कि पढाई-लिखाई ठप होने से सरकारी स्कूलों की साख पर क्या असर पड़ेगा? हमारे जैसे लाखों बच्चों का क्या होगा, जिनके पास सरकारी स्कूलों में पढने के अलावा कहीं और विकल्प नहीं है. इधर, आपलोग हड़ताल पर हैं. एक महीने बाद गरमी की छुट्टी हो जायेगी. इसके बाद पर्व-त्योहार शुरू हो जायेंगे. फिर छुट्टियां. हमारी पढाई-लिखाई का तो बंटाधार ही हो गया.
गुरुजी, आपलोगों के ही हाथों में हमारा भविष्य है. एक बार आप अपने निर्णय पर विचार करिये. हमारे जैसे लाखों बच्चे स्कूल जा रहे हैं, लेकिन ताला लटका देख वापस लौट जा रहे हैं, आखिर यह सब कब तक चलेगा?

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें