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अमीरों को पहले, गरीबों को बाद में
ऐसे दिन आ गये है कि गांवों में भी गरीबों को न्याय नहीं मिलता. हाल ही की एक बात है, जब मैंने गांव के दो-तीन लोगों से मिला. उनसे उनका हाल-चाल पूछा. पूछा कि आप लोगों का तो बीपीएल कार्ड बन गया होगा, तो उन्होंने कहा कि हम लोगों का कार्ड नहीं बना है. कारण […]
ऐसे दिन आ गये है कि गांवों में भी गरीबों को न्याय नहीं मिलता. हाल ही की एक बात है, जब मैंने गांव के दो-तीन लोगों से मिला. उनसे उनका हाल-चाल पूछा. पूछा कि आप लोगों का तो बीपीएल कार्ड बन गया होगा, तो उन्होंने कहा कि हम लोगों का कार्ड नहीं बना है. कारण पूछने पर वे आक्रोशित होते हुए बोले कि यहां अच्छे-अच्छे लोग का कार्ड बन गया है.
जिनके पास चारचक्का है, उन्हें आसानी से बीपीएल कार्ड बन जाता है, लेकिन जिन्हें इसकी खास जरूरत है, उन्हें यह कार्ड देखने को भी नसीब नहीं होता. एक महिला वृद्धा पेंशन के सवाल का जवाब देते हुए बोलीं कि मुखिया से मुलाकात की, तो कहा गया कि अभी तुम्हारी उम्र नहीं हुई है. ग्रामीणों के जवाब से मैं सोच में पड़ गया. सोचा कि ग्रामीण परिवेश में भी भेदभाव हो रहा है. यहां भी अमीरों को लाभ पहले मिलता है, गरीबों को बाद में.
अभिषेक चंद्र उरांव, ई-मेल से
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