रांची से जमशेदपुर के बीच एनएच 33 की बदतर स्थिति के लोग आदी हो चुके हैं. इस सड़क खंड पर आये दिन हादसा होना तो जैसे रोजमर्रा की बात हो गयी है. अभी सोमवार को ही हुए एक दर्दनाक हादसे में एक्साइज विभाग के दारोगा रवि वर्णवाल (42) और उनकी पत्नी रीमा की मौत हो गयी.
वे दोनों रांची से जमशेदपुर जा रहे थे. कई वर्षो से बदहाल एनएच 33 के रांची-जमशेदपुर खंड के लिए, सोमवार का दिन एक उम्मीद भरी खबर लेकर भी आया. केंद्रीय भूतल परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने झारखंड की सड़कों के लिए 7500 करोड़ रुपये की योजना को मंजूरी दी है.
मुख्यमंत्री रघुवर दास और झारखंड के सांसदों के साथ राज्य की सड़कों को लेकर सोमवार को रांची के प्रोजेक्ट भवन में हुई बैठक राज्य की खस्ताहाल सड़कों के लिए संजीवनी साबित होगी कि नहीं यह तो वक्त ही बतायेगा. नितिन गडकरी ने कहा कि राज्य की सड़कों को लेकर जो भी गतिरोध थे, सुलझा लिये गये हैं. आनेवाले दिनों में एनएच का काम तेज होगा. उन्होंने राज्य सरकार से कहा कि आदिवासी युवाओं को प्रशिक्षित कर उन्हें एक-दो करोड़ के ठेके दिये जायें, ताकि सड़क निर्माण में स्थानीय लोग जुड़ सकें. इससे कोई बाधा भी नहीं आयेगी. लोगों को रोजगार भी मिलेगा. यह अच्छी पहल है. सरकारों को यह भलीभांति मालूम है कि जनता को किसी भी विकास के काम में आने वाली बाधाओं के बारे में जानने में कोई जिज्ञासा नहीं होती. वह यह बात जान कर आखिर करेगी भी क्या? उसे तो बस नतीजे चाहिए.
यही बात रांची-जमशेदपुर सड़क पर लागू होती है. कई वर्षो से इसका काम किसी न किसी वजह से बाधित होता रहा है. परेशानी तो जनता ही ङोल रही है. जान से लेकर माल तक का नुकसान हो रहा है. झारखंड में कई सरकारें आयीं और गयीं. अब वक्त आ गया है कि रघुवर दास की नेतृत्व वाली सरकार इस बारे में ठोस संकल्प का प्रदर्शन करते हुए एनएच 33 के अधूरे पड़े प्रोजेक्ट को पूरा करे. उम्मीद की जानी चाहिए कि केंद्रीय मंत्री से मिले सहयोग के ठोस आश्वासन के बाद इसमें गति आयेगी और रांची-जमशेदपुर मार्ग का कायाकल्प हो सकेगा. मुख्यमंत्री और केंद्रीय मंत्री के बीच हुई बैठक के बाद राज्य की जनता को जो उम्मीद की किरण दिख रही है वह बुझनी नहीं चाहिए.