– सेत कुमार एक्का –
गुमला : उत्तर प्रदेश में संतों के 84 कोसी अयोध्या परिभ्रमण का एलान हो चुका है, जिसे ‘राष्ट्रवादी’ संगठन विहिप और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का समर्थन भी हासिल है. तो दूसरी ओर, कानून–व्यवस्था और धार्मिक सद्भावना बिगड़ने के खतरे के नाम पर यूपी सरकार ने इस यात्रा पर रोक लगा दी है.
इस बीच यात्रा और इस पर लगी रोक के मद्देनजर राजनीतिक गलियारों में तरह–तरह की चर्चाएं भी चल रही हैं. लेकिन अब यह यात्रा हो या न हो, पर यात्रा का नेतृत्व करनेवाली और इसे रोकनेवाली ताकतों के मिजाज से ऐसा आभास होने लगा है कि धार्मिक माहौल बिगड़ने वाला है और देश एक और दंगे की ओर बढ़ रहा है.
हमें याद है कि विगत वर्षो में एक पवित्र ग्रंथ की प्रतियां विदेश में जलायी गयी थीं और उसका असर भारत में भी हुआ था. इस घोषित यात्रा से दो संप्रदाय के लोग आमने–सामने आते दिख रहे हैं. अत: देशवासियों से आग्रह है कि राजनेताओं और धर्म के ढोंगी ठेकेदारों से सावधान हो जायें.
क्योंकि इनके सामने अभी मिशन 2014 है और इसमें सफलता के लिए ये लोग कुछ भी कर सकते हैं. और चूंकि धर्म आम लोगों की भावना से जुड़ा हुआ है, अत: भावना भड़काने की कोशिशें होंगी.
विश्व के इस सबसे बड़े लोकतंत्र में दर्जनों राजनीतिक दल हैं, जिनको समझ पाना मुश्किल है और सबको खुश रखना भी मुश्किल है. ऐसे में हर भारतीय नागरिक का कर्तव्य है कि हम संयम से काम लें और सांप्रदायिक सद्भाव को बिगड़ने से रोकें और देशहित में अपने उच्च शिक्षित विवेक का उपयोग करें.
ज्ञातव्य हो कि हमारे देश में जितने भी दंगे हुए हैं, उनकी शुरुआत शहरों से ही हुई है. साथ ही यह भी याद रखना होगा कि संप्रदायों के बीच झगड़े में बहनेवाला खून का हर कतरा भारतीयों का ही होता है.