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देश स्वाइन फ्लू के कहर से बेपरवाह!
देश के कई हिस्सों में घातक स्वाइन फ्लू का संक्रमण कहर बरपा रहा है. रिपोर्टो के अनुसार, सिर्फ जनवरी में विभिन्न प्रदेशों में इससे 2,038 लोग पीड़ित हुए थे, जिनमें कम-से-कम 191 की मौत हो गयी. फरवरी के शुरू में मृतकों की संख्या 200 से अधिक हो चुकी है. राजस्थान में कम-से-कम 62, गुजरात में […]
देश के कई हिस्सों में घातक स्वाइन फ्लू का संक्रमण कहर बरपा रहा है. रिपोर्टो के अनुसार, सिर्फ जनवरी में विभिन्न प्रदेशों में इससे 2,038 लोग पीड़ित हुए थे, जिनमें कम-से-कम 191 की मौत हो गयी. फरवरी के शुरू में मृतकों की संख्या 200 से अधिक हो चुकी है.
राजस्थान में कम-से-कम 62, गुजरात में 38, तेलंगाना में 36, महाराष्ट्र में 22, मध्य प्रदेश में 17, हरियाणा में आठ, तमिलनाडु में सात और दिल्ली में पांच लोगों के मरने की खबर है. ये आंकड़े सरकार और अस्पतालों की सूचनाओं पर आधारित हैं, पीड़ितों की वास्तविक संख्या इससे अधिक हो सकती है. प्रभावित क्षेत्रों में त्वरित एवं कारगर उपचार के अभाव में ये आंकड़े लगातार बढ़ रहे हैं, लेकिन दिल्ली के विधानसभा चुनाव में व्यस्त केंद्र और कुछ राज्यों का सरकारी अमला इनसे बेपरवाह नजर आ रहा है. उल्लेखनीय है कि देश में 2012 और 2013 में स्वाइन फ्लू से क्रमश: 405 और 699 लोग मारे गये थे, पर 2014 मरनेवालों की संख्या 216 थी.
बीते दिसंबर में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने आश्वासन दिया था कि इस महामारी से देशवासियों को घबराने की जरूरत नहीं है और सरकार इस पर नियंत्रण के लिए हरसंभव प्रयास कर रही है. पर, जिस तरह से रोगियों और मृतकों की संख्या लगातार बढ़ रही है, उससे तो यही लगता है कि केंद्र और राज्य सरकारें बुनियादी स्तर पर इससे निपटने के उपाय करने में विफल रही हैं. देश में स्वास्थ्य सेवाओं की, विशेषकर ग्रामीण व गरीब इलाकों में, र्दुव्यवस्था के कारण कई तरह की बीमारियों का कहर बरपता रहता है.
बड़े-बड़े दावों के साथ केंद्र की सत्ता में आयी नयी सरकार पिछले आठ महीने में दो स्वास्थ्य मंत्री बदल चुकी है. लेकिन, दिसंबर में सरकार ने 2014-15 के बजट में स्वास्थ्य के मद में आवंटित राशि में आर्थिक तंगी के नाम पर करीब 20 फीसदी की कटौती कर दी थी. भारत उन देशों में शामिल है, जो स्वास्थ्य पर सबसे कम खर्च करते हैं. देश में सार्वजनिक स्वास्थ्य पर कुल घरेलू उत्पादन का दो फीसदी से भी कम खर्च किया जाता है, जबकि यहां दुनिया के सबसे गरीब लोगों की एक-तिहाई आबादी रहती है. इस बदहाली के मद्देनजर स्वाइन फ्लू जैसी जानलेवा संक्रामक बीमारी की रोकथाम के लिए सरकार को तुरंत युद्ध-स्तर पर सक्रिय होना चाहिए और भविष्य के लिए ठोस पहल करनी चाहिए.
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