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हमारी सरकार की नियति में ही खोट
एक तरफ संपूर्ण विकास करने के वायदे किये जा रहे हैं, वहीं यहां बननेवाली सरकारें वर्तमान और भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रही हैं. झारखंड में अभी हाल ही में जो नयी सरकार बनी है, उसकी नियति भी ठीक नहीं दिखाई दे रही है. सरकार के रवैये और अब तक किये गये कार्यो से तो […]
एक तरफ संपूर्ण विकास करने के वायदे किये जा रहे हैं, वहीं यहां बननेवाली सरकारें वर्तमान और भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रही हैं. झारखंड में अभी हाल ही में जो नयी सरकार बनी है, उसकी नियति भी ठीक नहीं दिखाई दे रही है. सरकार के रवैये और अब तक किये गये कार्यो से तो यही लगता है कि सरकार सिर्फ विकास के नाम पर ढिंढोरा ही पीटना चाहती है.
आज राज्य की स्थिति यह है कि यहां विकास पूरी तरह गौण है. खास कर जिस शिक्षा की बुनियाद पर विकास की इमारत खड़ी होती है, उसकी स्थिति भी दयनीय बनी हुई है. सरकारी स्कूलों में प्राथमिक शिक्षा से लेकर उच्च शिक्षा की स्थिति ठीक नहीं है. शिक्षा सुविधा के नाम पर बच्चों को दोपहर का भोजन और मुफ्त में किताबों के साथ वर्दियां दे तो दी जाती हैं, लेकिन बच्चों को मिलनेवाली शिक्षा के स्तर में सुधार की दिशा में कोई कारगर कदम उठाये नहीं जा रहे हैं. राज्य के प्राथमिक, माध्यमिक और उच्च विद्यालयों में शिक्षकों का घोर अभाव बना हुआ है, तो कहीं शिक्षक ही नहीं पाये जाते हैं. यहां की शिक्षा व्यवस्था में सुधार के लिए भारी मात्र में शिक्षकों की आवश्यकता है.
वहीं, यहां की सरकार प्राथमिक और माध्यमिक विद्यालयों में जिस प्रक्रिया के तहत शिक्षकों की नियुक्ति की जा रही है, उससे यहां के स्कूलों में शिक्षकों के 90 फीसदी पद रिक्त रह जायेंगे. इसी प्रकार बेरोजगारों को रोजगार देने और नये उद्योग धंधे स्थापित करने में भी सरकार की ओर ढिलाई बरती जा रही है. नये रोजगार सृजन की दिशा में काम नहीं हो रहा है, तो पुराने उद्योग बंद किये जा रहे हैं और नये उद्योगों की स्थापना ठप है. स्थिति यह कि खनिज पदार्थो के खनन में भी घोटालों का काला साया दिखायी दे रहा है.
दिनिश कुमार दास, मनिकलालो, गिरिडीह
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