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‘सबको स्वास्थ्य’ की ओर पहला कदम
इस नये साल में केंद्र की ओर से लोगों को ‘स्वास्थ्य का अधिकार’ के रूप में एक बड़ा तोहफा मिल सकता है. सरकार ने नयी राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति का प्रारूप देश के सामने रखते हुए इस पर सुझाव मांगे हैं. इस नीति में स्वास्थ्य व्यवस्था को व्यापक करने और उन्हें आम जन तक पहुंचाने का […]
इस नये साल में केंद्र की ओर से लोगों को ‘स्वास्थ्य का अधिकार’ के रूप में एक बड़ा तोहफा मिल सकता है. सरकार ने नयी राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति का प्रारूप देश के सामने रखते हुए इस पर सुझाव मांगे हैं. इस नीति में स्वास्थ्य व्यवस्था को व्यापक करने और उन्हें आम जन तक पहुंचाने का संकल्प है.
प्रारूप में कहा गया है कि 13 वर्ष पूर्व आयी नीति ने काफी हद तक अपना उद्देश्य पूरा किया है, परंतु बदलती परिस्थितियों में नयी नीतिगत पहल की जरूरत है. इस जरूरत के लिए चार प्रमुख कारक गिनाये गये हैं- स्वास्थ्य प्राथमिकताओं में तब्दीली, स्वास्थ्य सेवा उद्योग में वृद्धि, उपचार में भारी खर्च से गरीबी में वृद्धि और आर्थिक विकास से वित्तीय क्षमता में वृद्धि. समुचित खर्च में स्वास्थ्य सेवाओं को हर व्यक्ति के लिए सुनिश्चित करने की राजनीतिक इच्छाशक्ति को इस पहल का प्रमुख उत्प्रेरक बताया गया है.
हकीकत यह है कि स्वास्थ्य के क्षेत्र में अनेक उपलब्धियों के बावजूद आज देश के गरीब तबके, गांव और दूरदराज के इलाके सरकारी स्वास्थ्य सुविधाओं से दूर हैं. निजी क्लिनिक और अस्पतालों में इलाज बहुत महंगा है. राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन जैसी कुछ कोशिशों को छोड़ दें, तो इस क्षेत्र में सरकारों का प्रदर्शन निराशाजनक रहा है. भारत उन देशों में है, जहां स्वास्थ्य पर सरकारी खर्च बहुत ही कम है. देश के कुल स्वास्थ्य खर्च में सरकार की हिस्सेदारी एक तिहाई से भी कम है. सार्वजनिक स्वास्थ्य पर देश अपने सकल घरेलू उत्पादन का करीब एक फीसदी ही खर्च करता है, अगर इसमें निजी सेवाओं को भी जोड़ लें, तब भी यह आंकड़ा 4.3 फीसदी तक ही पहुंचता है.
ऐसे में सार्वभौमिक स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध कराने और स्वास्थ्य के अधिकार को बुनियादी मानवाधिकार बनाने की पहल बहुत उम्मीद जगानेवाली है. हालांकि, केंद्र की नयी सरकार ने स्वास्थ्य बजट में भारी कटौती की है, लेकिन नयी नीति के प्रारूप में भरोसा दिया गया है कि सार्वजनिक स्वास्थ्य पर होनेवाले खर्च में वृद्धि की जायेगी और नीति का मुख्य ध्यान गरीबों को अच्छी सुविधाएं मुहैया कराने पर होगा. जैसा कि प्रारूप में भी कहा गया है, किसी नीति के अच्छा होने का आधार उसका कारगर कार्यान्वयन है. उम्मीद है कि इस नीति की दिशा की पहली झलक आगामी बजट में दिखेगी.
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