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विरोध छोड़ें, वरना कमाई और बढ़ेगी

बचपन में सुनता था कि ईश्वर सबकी मुराद पूरी करते हैं. अपने भक्तों की हर मुश्किल आसां कर देते हैं. बस, मन से प्रार्थना करो. बहरहाल, यदि प्रार्थना करने भर से ईश्वर सारी मुश्किलों का हल कर देते हैं, तो हमारे धर्माचार्य प्रार्थना क्यों नहीं करते कि आमिर की फिल्म ‘पीके’ जिन सिनेमा घरों में […]

बचपन में सुनता था कि ईश्वर सबकी मुराद पूरी करते हैं. अपने भक्तों की हर मुश्किल आसां कर देते हैं. बस, मन से प्रार्थना करो. बहरहाल, यदि प्रार्थना करने भर से ईश्वर सारी मुश्किलों का हल कर देते हैं, तो हमारे धर्माचार्य प्रार्थना क्यों नहीं करते कि आमिर की फिल्म ‘पीके’ जिन सिनेमा घरों में लगी है, उनके गेट ऐसे बंद हो जायें कि कोई दर्शक प्रवेश न कर पाये. कोई जिद्दी हॉल में दाखिल हो भी जाये, तो उसे परदे पर कुछ नजर न आये. दिख जाये, तो सुनाई न दे.

यह नहीं कर सकते, तो चीखना बंद करिए. टीवी देखना मुश्किल हो गया है. सारे एजेंटों की धार्मिक भावनाएं आहत हो रही हैं. फिल्म का बहिष्कार हो. कलाकारों का बहिष्कार करो. हाल के दिनों में कुछ कथित धर्मगुरुओं ने जो किया वो किसी से छिपा नहीं है. पर, किसी कलाकार ने नहीं कहा कि इनका बहिष्कार करो? फिल्म के बहिष्कार से आमिर का क्या बिगड़ेगा? उसे फीस मिल चुकी है. डूबेगा प्रोडय़ूसर, जिसके पैसे लगे हैं. वह डूबा, तो नयी फिल्म नहीं बनेगी? फिल्म नहीं बनी, तो सैकड़ों कलाकार बेरोजगार होंगे. चलो, मान लिया कि एक्टरों को किसी और प्रोडय़ूसर की फिल्म में काम मिल जायेगा. सिनेमा हॉल मालिक और कर्मचारियों के बारे में सोचिए, जिनकी आजीविका हिट या फ्लॉप पर टिकी है.

भगवान का नाम लेकर ही कुछ लोग टिकट ब्लैक करने का धंधा करते हैं. उनके बारे में सोचें. इनसानों के प्रति हमदर्दी मर गयी है, तो भी कोई बात नहीं. देश के बारे में सोचिए. प्रधानमंत्री और वित्त मंत्री के बारे में सोचिए. आडवाणी जी के बारे में सोचिए, जिन्होंने कहा कि सबको ‘पीके’ देखनी चाहिए. ‘आप की अदालत’ के 21 वर्ष पूरे होने पर पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा था..‘भारत जैसे कई देशों की अर्थव्यवस्था आप (धर्माचार्य) चला सकते हैं.’ यह और बात है कि आपके खजाने गुप्त हैं. आपको विरासत में मालमाल मठ मिलते हैं. सरकार के खजाने पर ‘राजा’ और ‘महाराजा’ सबने डाका डाला है.

इसलिए जनता बेहाल है. इसलिए हे चांदी के सिंहासन पर विराजने व मखमली तकिये पर चरण धरनेवालों! ‘महादेव’ की बात मानो. अपने अंतिम एपीसोड में भोलेनाथ ने भक्तों को गरीबों और जरूरतमंदों की सेवा करने का आदेश दिया. बैरभाव मिटाने का संदेश दिया. आप तो भगवान के करीब हैं. फिर वैमनस्यता क्यों फैला रहे? आपको उस ‘पीके’ से एलर्जी है, जिसे आपने देखी नहीं. चाहें तो आप भी ‘पीके’ देख लें. मनोरंजन के लिए हॉल जानेवालों को न रोकें? शिरडी के साईं की पूजा बंद करने की बात कही, तो साईं का चढ़ावा बढ़ गया. ‘पीके’ का विरोध शुरू किया, तो कमाई के सारे रिकॉर्ड टूट गये (करीब 400 करोड़). आप जितना विरोध करेंगे, तो कमाई और बढ़ेगी. इसलिए विरोध छोड़ भक्तों को आशीर्वाद दें. आशीष दें कि देश की खूब तरक्की हो और भूखी-नंगी जनता को रोटी, कपड़ा और मकान आसानी से नसीब हो.

मिथिलेश झा

प्रभात खबर, रांची

mithilesh.jha@prabhatkhabar.in

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