समय-समय पर हमारे नेता आरक्षण पर तरह-तरह के बयान देते रहते हैं. मुख्य तौर पर उनका लक्ष्य यह होता है कि समाज के किसी खास वर्ग को विश्वास में ले कर अपना वोट बैंक तैयार करना. इसी क्रम में कई बार जातिगत आरक्षण को समाप्त कर आर्थिक आधार पर आरक्षण दिये जाने की वकालत भी की जाती है. मेरे अनुसार यह तार्किक, न्यायोचित और प्रासंगिक है.
जातिगत आरक्षण प्राप्त जातियों में भी कई ऐसे लोग हैं जो कमजोर हैं, लेकिन आरक्षण के लाभ से वंचित हैं. केवल वोट बैंक के लिए जो दलित या पिछड़ी जातियां आरक्षण से पीढ़ी दर पीढ़ी लाभान्वित हो चुकी हैं, उन्हें अब इसकी क्या जरूरत? क्यों नहीं एससी/ एसटी में भी क्रीमीलेयर को आरक्षण से वंचित किया जाता? आरक्षण का फायदा आर्थिक जरूरतमंद लोगों तक पहुंच सके, सरकार ऐसे प्रयास करे.
चंदन मिढा, ई-मेल से