अंशुमाली रस्तोगी
व्यंग्यकार
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हर बार जब नया साल आता है, तो उस खास मौके पर उसके पहले महीने की पहली तारीख पर लोगों के बीच कोई न कोई ‘संकल्प’ लेने की’परंपरा’ है. लोग कुछ अच्छा करने का संकल्प लेते हैं, लेकिन, मैं उन सबसे कुछ अलग संकल्प लेता हूं. मैं ‘सर्दी में न नहाने’ का संकल्प लेता हूं. काफीचिंतन-मनन के बाद एक यही संकल्प मेरी समझ में आता है.
अभी मौका भी है और मौसम भी. सर्दियों में नहाने को मैं बीवी की डांट खाने से भी बड़ा कामसमझता हूं. जाहिर है, एक बार को बीवी की डांट हजम हो सकती है, मगर सर्दी में नहाना बहुत झेला देता है. वैसे बताऊं, सर्दी तो महज बहाना है, मैं गर्मियों में भी नहाने से बचता हूं. नहाना मुझे जीवन का सबसे ‘निकृष्ट काम’ लगता है. खामख्वाह शरीर को कष्टदेने से क्या हासिल! यों भी, सर्दी में नहाकर मुझे ‘दादा साहब फाल्के पुरस्कार’ तो मिल नहीं जाना. पता नहीं क्यों लोग फिर भी नहाते हैं. नहाकर खुद को’तीस मार खां’ बनकर दिखाते हैं. जबकि, रोज नहाने से किसी का भी आज तक एक रुपये का भी ‘भला’ हुआ हो, तो वह मुझे बताये.इन दिनों तो सर्दी वैसे भी पिछले तमाम रिकॉर्ड तोड़े हुए है.
अभी पढ़ रहा था कि पिछले दिनों दिल्ली की सर्दी ने 119 साल का रिकॉर्ड ध्वस्त कर दिया. बताइये, इतनी भीषण सर्दी में किसे पागल कुत्ते ने काटा है, जो नहायेगा. अमां, नहाकर कोई जान थोड़े न गंवानी है. सुबह-सुबह जॉब पर जा रहे हैं, यही बहुत है. मैंने तो सोचा था कि सर्दी-सर्दी दो महीने की दफ्तर से छुट्टी ले लेता हूं, पर बीवी राजी ही नहीं है. कहती है- ‘छुट्टी लेकर तुम घर में बैठे-बैठे मेरी छाती पर मूंग ही दलोगे. तुम दफ्तर में ही ठीक हो.’ मरता क्या न करता. बीवी की बात को काटने का मतलब तो आप समझते ही हैं न!
मेरे विचार में सर्दियों में न नहाने का कानून बनना चाहिए. जो भी सर्दियों में नहाता हुआ पाया या सुना गया, तुरंत उसे छह माह की कैसे भी सजा मिलनीचाहिए. अच्छा, नहाने की सबसे अधिक खुजली घर वालों को ही मचती है. बंदा जब तलक नहा नहीं लेता, उनका खाना हजम नहीं होता.सर्दी में आप नहाने की बात करते हैं, ऐसे बहुत से काम हैं, जिन्हें सर्दी की वजह से मैं गोल कर देता हूं. अब विस्तार से क्या बताना, आप सब समझदार हैंही.
नये साल पर लिये जानेवाले सभी संकल्पों में से सबसे धांसू संकल्प यही है. इसका बड़ा फायदा यह है कि इसे भीषण सर्दी और भीषण गर्मी में भी आजमायाजा सकता है. होते हैं बहुत-से प्राणी मेरी तरह जो गर्मियों में भी नहीं नहाते.
इस संकल्प की रत्तीभर भनक बीवी को नहीं पड़ने दूंगा. नहीं तो जीना मुहाल हो जायेगा. बाथरूम में जाकर प्रतीकात्मक तौर पर पानी उड़ेलकर बाहर आजाया करूंगा. इससे सांप भी बचा रहेगा और लाठी भी न टूटेगी.
मेरी मानो, आप भी नये साल पर ‘सर्दी में न नहाने’ का संकल्प ले ही लो. इससे पानी की भी बचत होगी!