प्याज का संकट वर्ष के अंतराल में आता है. प्याज के भाव कभी आसमान को छू जाते हैं, तो कभी सड़कों पर भाव कम होने से फेंके जाते हैं. सब्जियों में स्वाद को बढ़ाने के लिए दैनिक उपयोग में आनेवाले प्याज के भाव से हम सभी अचंभित हैं. इसलिए प्याज की संग्रहण प्रक्रिया वैज्ञानिक तरीके से खोजने की जरूरत है, ताकि संकट के समय इसका उपयोग किया जा सके. समर्थन मूल्य सरकार की ओर से जब पैदावार अधिक हो, तब मिलना चाहिए. संकट के समय विदेशों से भी आयात किये जाने से प्याज की कमी महसूस नहीं होगी.
बढ़ते भाव के लाेभ में किसान प्याज की खेती के प्रलोभन में फंस कर ज्यादा प्याज बो देता है. लेकिन फिर प्याज की बंपर आवक होने से भाव गिर जाता है, तब किसान कर्ज में चला जाता है. सुझाव है कि प्याज की कमी और बढ़ते भाव के चक्रव्यूह में न फंस कर हमारे देश के किसान परंपरागत फसल की ओर ध्यान केंद्रित करें.
संजय वर्मा ‘दृष्टि’, धार, मध्य प्रदेश