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बिन पानी सब सून

हमारा देश भयावह जल संकट की ओर बढ़ रहा है. सरकार द्वारा संसद को दी गयी जानकारी के मुताबिक, 2021 तक जल उपलब्धता औसतन प्रति व्यक्ति 1486 घन मीटर रह जायेगी, जो 2001 और 2011 में क्रमशः 1816 और 1545 घन मीटर थी. पानी की कमी और बाढ़ व सूखे के खतरे के आधार पर […]

हमारा देश भयावह जल संकट की ओर बढ़ रहा है. सरकार द्वारा संसद को दी गयी जानकारी के मुताबिक, 2021 तक जल उपलब्धता औसतन प्रति व्यक्ति 1486 घन मीटर रह जायेगी, जो 2001 और 2011 में क्रमशः 1816 और 1545 घन मीटर थी. पानी की कमी और बाढ़ व सूखे के खतरे के आधार पर हुए एक हालिया अध्ययन में वर्ल्ड रिसोर्सेज इंस्टीट्यूट ने 189 देशों में भारत को 13वें स्थान पर रखा है.
जलवायु परिवर्तन और वैश्विक तापमान बढ़ने के कारण सूखे और बाढ़ की बारंबारता की आशंकाएं भी बढ़ती जा रही हैं. भारत उन देशों में शामिल है, जो खेती, उद्योग और रोजमर्रा की औसतन 80 फीसदी जरूरत जमीन पर और उसके भीतर उपलब्ध पानी से पूरी करते हैं. नदियों और जलाशयों के समुचित रख-रखाव के अभाव में तथा उनके अतिक्रमण के कारण भी समस्या बढ़ रही है. हम बेहद मामूली मात्रा में बारिश के पानी का संरक्षण कर पाते हैं. कुछ सालों से मॉनसून लगातार कमजोर रहा है, जिससे सूखे और पानी की कमी की स्थिति पैदा होती रही है.
आम तौर पर यह संकट उत्तर भारत में बहुत गंभीर है, परंतु इस वर्ष पश्चिमी और दक्षिणी भारत में भी सूखे का चिंताजनक असर देखा गया है. पिछले साल नीति आयोग ने भी चेतावनी दी थी कि 2020 तक 21 बड़े शहरों में भूजल का स्तर शून्य तक पहुंच जायेगा. उल्लेखनीय है कि देश की 12 फीसदी आबादी को रोजाना नलके का पानी नहीं मिल पाता है. अनेक इलाकों में दूर-दूर से पानी लाना पड़ता है या फिर लंबी कतारें लगाकर कामभर पानी लेना पड़ता है.
इसके साथ यह भी रेखांकित किया जाना चाहिए कि अधिकांश आबादी प्रदूषित पानी का सेवन करने के लिए मजबूर है. इन तथ्यों व आंकड़ों के साथ इस संभावना को रख कर देखें कि आगामी एक दशक में पानी की मांग उपलब्ध मात्रा से दुगुनी हो जायेगी. भारत सरकार ने पानी के संरक्षण और नलके से पेयजल पहुंचाने की महत्वाकांक्षी योजना बनायी है. इसमें ग्रामीण और दूर-दराज के क्षेत्रों को प्राथमिकता दी गयी है. स्वच्छ भारत, शौचालय निर्माण और संक्रामक रोगों की रोकथाम आदि पहलों से पानी बचाने में मदद मिल रही है.
जलशक्ति मंत्रालय के तहत व्यापक इंफ्रास्ट्रक्चर बनाने पर जोर दिया जा रहा है, ताकि 2024 तक सभी घरों में नलके से पानी उपलब्ध कराया जा सके. इसके साथ पानी बचाने और वर्षाजल को संग्रहित करने पर ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिए, क्योंकि अगर पानी ही नहीं होगा, तो नलों की क्या उपयोगिता रह जायेगी.
भारत को सालाना तीन हजार अरब घन मीटर पानी की जरूरत होती है, जबकि बारिश की मात्रा ही चार हजार अरब घन मीटर है. इसके संग्रहण के लिए जलाशयों व नदियों को बचाना और भूजल के स्तर को बढ़ानेवाली जगहों को ठीक करना होगा. घरों में भी संग्रहण तथा पानी के सीमित और समुचित उपयोग के लिए जागरूकता बढ़ाने पर भी जोर होना चाहिए.

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