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ऊर्जा दक्षता में आगे बढ़ता भारत

आरके सिंह केंद्रीय राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) delhi@prabhatkhabar.in ऊर्जा दक्षता से अर्थ है कि कम ऊर्जा खर्च करके कोई कार्य पूरा करना. जैसे कि सामान्य बल्ब की जगह एलइडी बल्ब का उपयोग करने पर सामान्य बल्ब की अपेक्षा आधी बिजली की खपत होती है. चूंकि ऊर्जा दक्षता बिजली की लागत को काफी कम कर देती […]

आरके सिंह
केंद्रीय राज्य मंत्री
(स्वतंत्र प्रभार)
delhi@prabhatkhabar.in
ऊर्जा दक्षता से अर्थ है कि कम ऊर्जा खर्च करके कोई कार्य पूरा करना. जैसे कि सामान्य बल्ब की जगह एलइडी बल्ब का उपयोग करने पर सामान्य बल्ब की अपेक्षा आधी बिजली की खपत होती है. चूंकि ऊर्जा दक्षता बिजली की लागत को काफी कम कर देती है, इसीलिए देश की अर्थव्यवस्था को सशक्त और आत्मनिर्भर बनाने में इसकी महत्वपूर्ण भूमिका है.
हमारा ऊर्जा दक्षता कार्यक्रम दुनिया के ऐसे बड़े कार्यक्रमों में से एक है. हम चाहते हैं कि ऊर्जा दक्षता हर भारतीय की जीवन शैली में शामिल हो जाये. हमारे ये प्रयास जलवायु परिवर्तन पर हुए पेरिस समझौते के तहत किये गये हमारे वादों के अनुरूप हैं और उस दिशा में हमें आगे बढ़ाते हैं.
पेरिस समझौते में हमने विकास को गति देने के साथ-साथ अपने कार्बन उत्सर्जन घटाने का संकल्प किया है. जलवायु परिवर्तन के नकारात्मक प्रभावों से गरीब और कमजोर तबके के लोगों को बचाने के लिए यह जरूरी है कि पूरा विश्व एक ऐसी जीवन शैली अपनाये, जिससे प्रकृति को नुकसान न पहुंचे. मजबूत राजनीतिक इच्छाशक्ति के चलते हम अल्प कार्बन उत्सर्जन वाली अर्थव्यवस्था की ओर बढ़ रहे हैं.
जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए देश में आठ राष्ट्रीय मिशन शुरू किये गये हैं, उनमें से एक है- संवर्धित ऊर्जा दक्षता पर राष्ट्रीय मिशन (एनएमइइइ). इसका मकसद ऊर्जा दक्षता के लिए एक बाजार आधारित व्यवस्था तैयार करना है, ताकि लोगों को अधिक ऊर्जा बचत के लिए प्रेरित किया जा सके.
इसके अंतर्गत एक स्कीम है ‘परफॉर्म अचीव ट्रेड’ (पीएटी) जिसमें कोई उद्योग यदि ऊर्जा बचाता है, तो उसे बचत सर्टिफिकेट दिया जाता है. यह स्कीम बड़े उद्योगों में ऊर्जा दक्षता को बढ़ावा देती है. अब तक इससे 93.8 लाख टन तेल के बराबर ऊर्जा की बचत हुई है, जो 11,794 करोड़ रुपये के बराबर है. इससे कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन में 37 मिलियन टन की कमी हुई है.
एक दूसरा प्रोग्राम है स्टैंडर्ड और लेबलिंग, जिसमें एसी, फ्रिज जैसे 14 उपकरण शामिल हैं, जिनके विभिन्न मॉडलों को ऊर्जा दक्षता के आधार पर एक से पांच स्टार दिये जाते हैं.
पांच स्टार का मतलब होता है बिजली की सबसे कम खपत. स्टार लेबलिंग से लोगों को सामान खरीदते समय सही मॉडल का चुनाव करने में आसानी होती है और ऊर्जा संरक्षण के बारे में जागरूकता बढ़ती है. इस प्रोग्राम से अब तक 48 अरब यूनिट बिजली (24,000 करोड़ रुपये) की बचत हुई है और कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन में 400 लाख टन की कमी आयी है.
ऊर्जा मंत्रालय के अधीन सार्वजनिक उपक्रम एनर्जी एफिशिएंसी सर्विसेज लिमिटेड (इइएसएल) ने देश में ऊर्जा दक्षता को बढ़ावा देने के लिए अनेक कार्यक्रम शुरू किये हैं.
ऐसा ही एक प्रमुख कार्यक्रम है- राष्ट्रीय स्ट्रीट लाइटिंग कार्यक्रम (एनएसएलपी), जिसमें पहले से लगी परंपरागत स्ट्रीट लाइटों को हटाकर उनकी जगह एलइडी स्ट्रीट लाइटें लगायी जा रही हैं, ताकि कम बिजली से ही पूरी रोशनी मिल सके. आज यह स्कीम एक अहम पड़ाव पर पहुंच रही है, इसके तहत लगनेवाली स्ट्रीट लाइटों की संख्या आज एक करोड़ को पार कर गयी है. इनसे हर साल 6.71 अरब किलोवॉट ऊर्जा की बचत होगी और कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन में 46.3 लाख टन की कमी आयेगी.
एलइडी स्ट्रीट लाइटें भारत की 2.70 लाख किलोमीटर सड़कों को रोशन कर रही हैं और इन्होंने 13 हजार रोजगार के अवसर सृजित किये हैं.
नागरिकों की संतुष्टि के स्तर के आकलन के लिए किये गये सर्वेक्षणों में पाया गया है कि 99 प्रतिशत लोग नयी एलइडी लाइट लगाये जाने से बेहतर महसूस करते हैं. इनका यह भी मानना है कि सुरक्षा और कारोबारी गतिविधियों में इससे काफी बेहतरी आयी है.
इस स्ट्रीट लाइटिंग कार्यक्रम की कामयाबी के पीछे एक अनूठा मॉडल है, जिसे ‘बचत से भुगतान करना’ या ‘पे ऐज यू सेव’ (पेज) मॉडल कहते हैं.
मान लीजिये आपके शहर में दस हजार स्ट्रीट लाइट हैं और नगर निगम हर महीने उनका बिल भरता है. तो इइएसएल जाकर उनकी जगह फ्री में एलइडी लाइट लगा देगी. इन नयी एलइडी स्ट्रीट लाइटों से नगर निगम को हर महीने बिजली बिल में जो बचत होगी, वह राशि इइएसएल के खाते में जायेगी और इस तरह नयी लाइटों की कीमत का क्रमश: भुगतान होगा. पंद्रह सौ शहरी स्थानीय निकाय इस कार्यक्रम में शामिल हो चुके हैं, अौर दूसरे देश भी इसे अपना रहे हैं.
इन एलइडी लाइटों की वजह से सड़कें ज्यादा रोशन हो गयी हैं, जिससे नागरिकों में सुरक्षा का भाव बढ़ा है. एनएसएलपी के तहत लगायी गयी इन स्मार्ट एलइडी लाइट को केंद्रीय नियंत्रण और निगरानी व्यवस्था की मदद से दूर से ही संचालित किया जा सकता है.
भारत सरकार ऊर्जा दक्षता के महत्व को गंभीरता से स्वीकार करती है और इस दिशा में एक करोड़ स्ट्रीट लाइट जैसे अहम पड़ाव हासिल होने से मेरा विश्वास और मजबूत हो रहा है कि हम जलवायु संबंधी अपने संकल्प को तय समय सीमा पर पूरा कर सकेंगे.
किसी भी बड़े बदलाव के लिए सतत प्रयास जरूरी होता है. आज मैं देशवासियों से अपील करता हूं कि वे भारत के ऊर्जा क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव लाने में सहयोग करें. आइए हम मिलकर शपथ लें कि कार्बन उत्सर्जन को कम करना जारी रखेंगे, जिससे विकास के लाभ का सबसे निचले तबके तक पहुंचना भी सुनिश्चित किया जा सके.

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