स्वामी विवेकानंद ने कहा था कि आप जीवन के सभी उद्देश्यों को पूरा करें, पर अपने स्वास्थ्य पर पूरा ध्यान दें. गांधीजी पैदल चलने, खान-पान ठीक रखने और सकारात्मक सोच को बहुत अहमियत देते थे. देश-दुनिया के ऐसे अनेक महान विभूतियों ने स्वस्थ शरीर का संदेश दिया है. लेकिन आधुनिक जीवन-शैली की वजह से हम सेहत की अनदेखी करने लगे हैं.
इस स्थिति में ठोस बदलाव लाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘फिट इंडिया मूवमेंट’ की शुरुआत की है. उन्होंने रहन-सहन और खान-पान पर ध्यान देते हुए शरीर को चुस्त-दुरुस्त रखने का आह्वान किया है. भारतीय चिकित्सा संघ की एक रिपोर्ट के मुताबिक, लगभग दस फीसदी लोग ही नियमित व्यायाम करते हैं. भारत की बड़ी आबादी युवाओं की है, लेकिन इनमें से 70 फीसदी रोजाना कसरत नहीं करते और 60 फीसदी से अधिक भोजन के मामले में लापरवाह हैं.
तकनीकी और मशीनी सुविधाओं के कारण शारीरिक गतिविधियों पर नकारात्मक असर पड़ा है. टेलीविजन, कंप्यूटर और स्मार्टफोन ने भी हमें अक्रिय बनाया है. लापरवाही और आलस से शरीर की क्षमता कम होती है, जिससे रोगों का प्रकोप बढ़ जाता है.
आज अधिकतर बीमारियां हमारे असंतुलित जीवन-शैली का परिणाम हैं. स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मन का निवास हो सकता है. अवसाद, चिंता, चिड़चिड़ापन, क्रोध, नशे की लत, इच्छाशक्ति व कल्पनाशीलता की कमी आदि मानसिक और मनोवैज्ञानिक व्याधियों पर नियंत्रण पाने का सबसे आसान तरीका नियमित रूप से कसरत करना है.
‘फिट इंडिया मूवमेंट’ को प्रभावी रूप से संचालित करने के लिए केंद्रीय खेल मंत्री किरण रिजिजू की अध्यक्षता में 28 सदस्यों की एक समिति का गठन किया गया है. विश्वविद्यालय अनुदान आयोग भी इस अभियान में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है. इस आंदोलन के तहत छोटे-बड़े शहरों में सेहत के प्रति जागरूकता पैदा करने के लिए विभिन्न कार्यक्रमों के आयोजन की योजना बनायी गयी है.
सरकार की यह पहल सराहनीय है और प्रधानमंत्री ने स्वयं इसकी शुरुआत कर इसे मजबूत आधार दिया है, लेकिन उन्होंने यह भी कहा है कि इस अभियान को जनता ही आगे बढ़ायेगी. आखिर सरकार हमें रोज कसरत करने, सक्रिय रहने और समुचित भोजन लेने की निगरानी नहीं कर सकती है. हमें ही अपने सेहत की जिम्मेदारी लेनी होगी, क्योंकि जीवन हमारा ही है. दिनभर में कुछ देर की शारीरिक गतिविधि से जीवन को सफलता की राह पर चलायमान करना आसान हो सकता है.
प्रधानमंत्री मोदी ने उचित ही कहा है कि फिटनेस में हमें कुछ भी निवेश नहीं करना है, पर इसके बदले हमें असीमित लाभ मिल सकते हैं. यह एक स्थापित तथ्य है कि शरीर अगर ठीक रहे, तो न सिर्फ मामूली बीमारियों से बचा जा सकता है, बल्कि रोगों को गंभीर होने से भी रोका जा सकता है. देश की बड़ी आबादी सेहतमंद होगी, तो स्वास्थ्य सेवा पर दबाव भी कम होगा तथा इलाज के खर्च को भी बचाया जा सकेगा.