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वायु प्रदूषण पर अंकुश
जलवायु परिवर्तन, वैश्विक तापमान और पर्यावरण क्षरण की समस्याओं के साथ जल, वायु और भूमि के प्रदूषण ने मानव जाति के भविष्य पर प्रश्नचिह्न लगा दिया है. इन चुनौतियों का सर्वाधिक दबाव भारत जैसे देशों पर है, जहां जनसंख्या बहुत है और संसाधन कम. अंतरराष्ट्रीय सहयोग के साथ समाधान के प्रयास के क्रम में संयुक्त […]
जलवायु परिवर्तन, वैश्विक तापमान और पर्यावरण क्षरण की समस्याओं के साथ जल, वायु और भूमि के प्रदूषण ने मानव जाति के भविष्य पर प्रश्नचिह्न लगा दिया है. इन चुनौतियों का सर्वाधिक दबाव भारत जैसे देशों पर है, जहां जनसंख्या बहुत है और संसाधन कम.
अंतरराष्ट्रीय सहयोग के साथ समाधान के प्रयास के क्रम में संयुक्त राष्ट्र ने मंगलवार को दिल्ली में ‘स्वच्छ वायु पहल’ की घोषणा की है.
इस विश्व संस्था द्वारा सितंबर में न्यूयॉर्क में ‘जलवायु सक्रियता सम्मेलन’ का आयोजन भी प्रस्तावित है. दिल्ली में वायु प्रदूषण रोकने के कार्यक्रम की घोषणा महत्वपूर्ण है, क्योंकि भारत की राजधानी विश्व के सबसे प्रदूषित महानगरों में एक है. इतना ही नहीं, सर्वाधिक प्रदूषित 20 शहरों में 14 हमारे देश में ही हैं. हर साल लाखों लोग जहरीली हवा में सांस लेने से बीमारी और मौत का शिकार होते हैं. संयुक्त राष्ट्र ने सभी देशों से 2030 तक नीतिगत प्रयासों से विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा निर्धारित वायु गुणवत्ता मानकों को हासिल करने का आग्रह किया है. देशों के लिए ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन में अगले दशक तक 45 फीसदी की कमी करने और 2050 तक इसे शून्य के स्तर तक ले जाने का लक्ष्य है.
भारत ने इस दिशा में उल्लेखनीय पहलें की है. अभी तक 80 गीगावाट स्वच्छ ऊर्जा का उत्पादन हो रहा है और 2022 तक इसे 175 गीगावाट तक किया जाना है. पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने बताया है कि भारत ने सकल घरेलू उत्पादन के अनुपात में कार्बन उत्सर्जन में 21 फीसदी की कमी की है और इस संबंध में पेरिस जलवायु सम्मेलन के लक्ष्य को पूरा करने की दिशा में अग्रसर है. उज्जवला योजना के अंतर्गत रसोई गैस के सात करोड़ सिलेंडरों का वितरण किया जा चुका है तथा इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देने की लगातार कोशिश हो रही है.
वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार, 16.6 करोड़ परिवार खाना बनाने के लिए लकड़ी, पुआल, फूस, कोयला, उपला आदि का इस्तेमाल करते थे. रसोई गैस के वितरण से इस संख्या में बड़ी कमी आयी है. शहरों में वाहनों से निकलनेवाला धुआं वायु प्रदूषण का बड़ा कारण है. तेल व गैस चालित वाहनों में सुधार और इलेक्ट्रिक वाहनों के विस्तार से इसे रोका जा सकेगा. स्वच्छ भारत कार्यक्रम ने भी प्रदूषण नियंत्रण में बड़ा योगदान दिया है.
नदियों की सफाई और पेड़ लगाने की कोशिशें भी बेहद अहम हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैकरां के साथ सौर ऊर्जा के उत्पादन और उपयोग पर जोर देते हुए अंतरराष्ट्रीय संगठन की स्थापना की है, जिससे अनेक देश जुड़ रहे हैं.
यह बहुत उत्साहवर्धक है कि बेहतर जलवायु के लिए भारत समेत अनेक देशों की 28 बड़ी कंपनियों ने उत्सर्जन घटाते जाने का निर्णय लिया है. पर्यावरण के संरक्षण और प्रदूषण में कटौती के लिए न केवल सभी देशों को मिल-जुलकर काम करना होगा, बल्कि उद्योग जगत और नागरिक समाज को भी इसमें बढ़-चढ़कर योगदान करना होगा. ध्यान रहे, स्वास्थ्य और समृद्धि के लिए स्वच्छ पर्यावरण आवश्यक है.
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