18.4 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

फादर्स डे की प्रासंगिकता

भारत जैसे समृद्ध सांस्कृतिक विरासत वाले देश में पता नहीं फादर्स डे कब आयातित हो गया. जहां पिता अपनी संतान के लालन-पालन में अपनी अस्थियां तक गला देता है, खुद की इच्छाओं-भावनाओं जैसी तमाम चीजों पर काबू रख सिर्फ संतान के सुख को अपना सुख मानता है, हमें हमारी संस्कृति ने पितृदेवो भवः का भाव […]

भारत जैसे समृद्ध सांस्कृतिक विरासत वाले देश में पता नहीं फादर्स डे कब आयातित हो गया. जहां पिता अपनी संतान के लालन-पालन में अपनी अस्थियां तक गला देता है, खुद की इच्छाओं-भावनाओं जैसी तमाम चीजों पर काबू रख सिर्फ संतान के सुख को अपना सुख मानता है, हमें हमारी संस्कृति ने पितृदेवो भवः का भाव सिखलाया है, वहां पिता के प्रति सम्मान को सिर्फ एक दिवस में बांध कर फादर्स डे मनाना अपनी संस्कृति का मजाक उड़ाने जैसा लगता है.

हां, पाश्चात्य देशों के लिए यह प्रासंगिक हो सकता है, जहां माता-पिता में कुछ ही वर्षों में अलगाव हो जाता है और संतान एवं पिता एक-दूसरे से दूर हो जाते हैं.

ऋषिकेश दुबे, बरिगावां, पलामू

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें